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कैमला गांव की घटना पर दीपेंद्र हुड्डा का बयान,'जिद और टकराव का रास्ता छोड़े सरकार' - kaimla village farmers mahapanchayat cancel

राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि केंद्र सरकार को जीत के रास्ते पर नहीं चलना चाहिए. पिछले कई दिनों से किसान कह रहे थे कि कार्यक्रम का बहिष्कार किया जाएगा. ऐसी परिस्थितियों में सरकार को टकराव के रास्ते को बढ़ाने के चलते ऐसे प्रोग्राम नहीं करने चाहिए थे.

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कैमला गांव की घटना पर दीपेंद्र हुड्डा का बयान
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Published : Jan 11, 2021, 12:34 PM IST

सोनीपत: करनाल के कैमला गांव में होने वाली महापंचायत को किसानों ने रद्द करा दिया. इस महापंचायत को रद्द कराने हजारों किसान कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे. इस पूरे मामले पर राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रतिक्रिया दी है. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार को अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए. करनाल प्रशासन ने पहले ही सरकार को बता दिया था कि वहां पर टकराव हो सकता है और किसान सीएम मनोहर लाल खट्टर का बहिष्कार कर सकते हैं.

राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि केंद्र सरकार को जीत के रास्ते पर नहीं चलना चाहिए. पिछले कई दिनों से किसान कह रहे थे कि कार्यक्रम का बहिष्कार किया जाएगा. मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को नहीं होने दिया जाएगा, जबकि प्रशासन की रिपोर्ट भी ये गई थी कि अभी कार्यक्रम करने का माहौल नहीं है. ऐसी परिस्थितियों में सरकार को टकराव के रास्ते को बढ़ाने के चलते ऐसे प्रोग्राम नहीं करने चाहिए थे.

कैमला गांव की घटना पर दीपेंद्र हुड्डा का बयान

दीपेंद्र हुड्डा ने आगे कहा कि अपनी जिद और टकराव का रास्ता सरकार का ठीक नहीं है. कितने लंबे समय से पूरे देश का किसान अलग-अलग जगह दिल्ली के बॉर्डर पर बैठा है. तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग देश का हर किसान कर रहा है. सिर्फ हरियाणा और पंजाब का किसान नहीं बल्कि पूरे देश का किसान सड़कों पर बैठा है. फिर सरकार मामने को तैयार नहीं है.

ये भी पढ़िए: कैमला 'किसान महापंचायत': भाकियू प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम चढ़ूनी समेत 71 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज

क्या हुआ था गांव कैमला में?

रविवार को करनाल के गांव कैमला में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर किसान महापंचायत नाम के कार्यक्रम के जरिए लोगों को केंद्र के तीन कृषि कानूनों के फायदे बताने वाले थे, लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने किसान महापंचायत के कार्यक्रम स्थल पर तोड़फोड़ की. हरियाणा पुलिस ने करनाल जिले के कैमला गांव की ओर किसानों के मार्च को रोकने लिए रविवार को पानी की बौछारें की और आंसू गैस के गोले दागे, लेकिन प्रदर्शनकारी कार्यक्रम स्थल तक पहुंच गए और किसान महापंचायत कार्यक्रम को बाधित किया. उन्होंने मंच पर तोड़फोड़ की, कुर्सियां, मेज और गमले तोड़ दिए. किसानों ने अस्थायी हेलीपेड भी खोद डाला.

सोनीपत: करनाल के कैमला गांव में होने वाली महापंचायत को किसानों ने रद्द करा दिया. इस महापंचायत को रद्द कराने हजारों किसान कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे. इस पूरे मामले पर राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रतिक्रिया दी है. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार को अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए. करनाल प्रशासन ने पहले ही सरकार को बता दिया था कि वहां पर टकराव हो सकता है और किसान सीएम मनोहर लाल खट्टर का बहिष्कार कर सकते हैं.

राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि केंद्र सरकार को जीत के रास्ते पर नहीं चलना चाहिए. पिछले कई दिनों से किसान कह रहे थे कि कार्यक्रम का बहिष्कार किया जाएगा. मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को नहीं होने दिया जाएगा, जबकि प्रशासन की रिपोर्ट भी ये गई थी कि अभी कार्यक्रम करने का माहौल नहीं है. ऐसी परिस्थितियों में सरकार को टकराव के रास्ते को बढ़ाने के चलते ऐसे प्रोग्राम नहीं करने चाहिए थे.

कैमला गांव की घटना पर दीपेंद्र हुड्डा का बयान

दीपेंद्र हुड्डा ने आगे कहा कि अपनी जिद और टकराव का रास्ता सरकार का ठीक नहीं है. कितने लंबे समय से पूरे देश का किसान अलग-अलग जगह दिल्ली के बॉर्डर पर बैठा है. तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग देश का हर किसान कर रहा है. सिर्फ हरियाणा और पंजाब का किसान नहीं बल्कि पूरे देश का किसान सड़कों पर बैठा है. फिर सरकार मामने को तैयार नहीं है.

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क्या हुआ था गांव कैमला में?

रविवार को करनाल के गांव कैमला में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर किसान महापंचायत नाम के कार्यक्रम के जरिए लोगों को केंद्र के तीन कृषि कानूनों के फायदे बताने वाले थे, लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने किसान महापंचायत के कार्यक्रम स्थल पर तोड़फोड़ की. हरियाणा पुलिस ने करनाल जिले के कैमला गांव की ओर किसानों के मार्च को रोकने लिए रविवार को पानी की बौछारें की और आंसू गैस के गोले दागे, लेकिन प्रदर्शनकारी कार्यक्रम स्थल तक पहुंच गए और किसान महापंचायत कार्यक्रम को बाधित किया. उन्होंने मंच पर तोड़फोड़ की, कुर्सियां, मेज और गमले तोड़ दिए. किसानों ने अस्थायी हेलीपेड भी खोद डाला.

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