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जानिए बरोदा विधानसभा का राजनीतिक इतिहास, जहां बीजेपी कभी नहीं जीत पाई

कांग्रेस के दिवंगत विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा की मौत के बाद खाली हुई बरोदा विधानसभा सीट पर 3 नवंबर को मतदान होना है जिसके लिए तमाम राजनीतिक पार्टियों ने जोर आजमाइश शुरू कर दी है.

baroda assembly constituency political information
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Published : Oct 6, 2020, 10:00 AM IST

चंडीगढ़ः बरोदा में चुनावी बिगुल बज चुका है. सभी पार्टियां कोरोना के इस दौर में भी उपचुनाव जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. बीजेपी यहां अपनी पहली जीत तलाश रही है तो इनेलो अपनी खोई जमीन की तलाश में रास्ते नाप रही है, उधर कांग्रेस अपने गढ़ को बचाने की जद्दोजहद में लगी है. एक और पार्टी इस चुनाव में अहम भूमिका में दिखेगी वो है जेजेपी. हालांकि जेजेपी और बीजेपी गठबंधन में सरकार चला रही हैं और मिलकर ये उपचुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी हैं लेकिन फिर भी जेजेपी इस जुगाड़ में है गठबंधन का उम्मीदवार उसका हो, हालांकि ऐसा होने के आसार कम ही नजर आते हैं

बरोदा विधानसभा का राजनीतिक इतिहास

सोनीपत विधानसभा का राजनीतिक इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है. यहां से आज तक कभी भी बीजेपी चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो पाई है. सोनीपत जिले में आने वाली इस विधानसभा सीट पर हरियाणा बनने के बाद 1967 के चुनाव में कांग्रेस आर धारी ने भारतीय जनसंघ के नेता डी सिंह को हराकर चुनाव जीता था. 2008 तक ये सीट आरक्षित थी लेकिन इस साल हुए परिसीमन में इसे अनारक्षित कर दिया गया.

  • 1986 में विशाल हरियाणा पार्टी से श्याम चंद जीते
  • 1972 में फिर से श्याम चंद जीते लेकिन कांग्रेस की टिकट पर
  • 1977 में देवी लाल के नेतृत्व में जनता पार्टी के भाले राम जीते
  • 1982 में फिर भाले राम जीते लेकिन इस बार लोक दल से
  • 1987 में लोक दल के टिकट पर किरपा राम पूनिया जीते
  • 1991 में जनता पार्टी से रमेश कुमार खटक
  • 1996 में भी रमेश कुमार जीते लेकिन समता पार्टी के टिकट पर
  • 2000 में भी रमेश कुमार जीते लेकिन इनेलो के टिकट पर
  • 2005 में इनेलो के रामफल चिराना जीते
  • 2008 के परिसीमन में ये सीट अनारक्षित कर दी गई
  • 2009 में कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा विधायक चुने गए
  • 2014 में भी कांग्रेस श्रीकृष्ण हु़ड्डा विधायक बने
  • 2019 में भी दिवंगत श्रीकृष्ण हुड्डा ने बीजेपी के पहलवान योगेश्वर दत्त को हराया
    बरोदा उपचुनाव
    बरोदा उपचुनाव

इस बार की 'जंग' होगी जोरदार

इस बार के उपचुनाव में एक बात और महत्वपूर्ण है कि 2019 के चुनाव में कृष्ण हुड्डा 34.67 प्रतिशत वोटों के साथ जीते थे और दूसरे नंबर बीजेपी के योगेश्वर दत्त थे जिन्हें 30.73 प्रतिशत वोट मिले थे. और तीसरे नंबर पर नई नवेली पार्टी जेजेपी के भूपेंद्र मलिक थे जिन्हें 26.45 फीसदी वोट मिले थे. अब जबकि बीजेपी और जेजेपी मिलकर यहां चुनाव लड़ेंगी तो जंग बेहद दिलचस्प होगी और बीजेपी पहली बार इस सीट पर कब्जा करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देगी. जबकि कांग्रेस अपना किला बचाने के लिए जीतोड़ मेहनत करेगी.

श्रीकृष्ण हुड्डा की मौत के बाद उपचुनाव

3 नवंबर को बरोदा सीट के लिए वोटिंग होगी. वहीं 10 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे. नामांकन प्रक्रिया 9 अक्टूबर से शुरू होगी, जो 16 अक्टूबर तक चलेगी. चुनाव आयोग की घोषणा के बाद ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. दरअसल 12 अप्रैल 2020 को बरोदा सीट से विधायक रहे श्रीकृष्ण हुड्डा का निधन हो गया था, वे 74 वर्ष के थे. हुड्डा 6 बार के विधायक थे. जो 2019 के चुनाव में पहलवान योगेश्वर दत्त को हराकर छठी बार विधानसभा पहुंचे थे.

चंडीगढ़ः बरोदा में चुनावी बिगुल बज चुका है. सभी पार्टियां कोरोना के इस दौर में भी उपचुनाव जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. बीजेपी यहां अपनी पहली जीत तलाश रही है तो इनेलो अपनी खोई जमीन की तलाश में रास्ते नाप रही है, उधर कांग्रेस अपने गढ़ को बचाने की जद्दोजहद में लगी है. एक और पार्टी इस चुनाव में अहम भूमिका में दिखेगी वो है जेजेपी. हालांकि जेजेपी और बीजेपी गठबंधन में सरकार चला रही हैं और मिलकर ये उपचुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी हैं लेकिन फिर भी जेजेपी इस जुगाड़ में है गठबंधन का उम्मीदवार उसका हो, हालांकि ऐसा होने के आसार कम ही नजर आते हैं

बरोदा विधानसभा का राजनीतिक इतिहास

सोनीपत विधानसभा का राजनीतिक इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है. यहां से आज तक कभी भी बीजेपी चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो पाई है. सोनीपत जिले में आने वाली इस विधानसभा सीट पर हरियाणा बनने के बाद 1967 के चुनाव में कांग्रेस आर धारी ने भारतीय जनसंघ के नेता डी सिंह को हराकर चुनाव जीता था. 2008 तक ये सीट आरक्षित थी लेकिन इस साल हुए परिसीमन में इसे अनारक्षित कर दिया गया.

  • 1986 में विशाल हरियाणा पार्टी से श्याम चंद जीते
  • 1972 में फिर से श्याम चंद जीते लेकिन कांग्रेस की टिकट पर
  • 1977 में देवी लाल के नेतृत्व में जनता पार्टी के भाले राम जीते
  • 1982 में फिर भाले राम जीते लेकिन इस बार लोक दल से
  • 1987 में लोक दल के टिकट पर किरपा राम पूनिया जीते
  • 1991 में जनता पार्टी से रमेश कुमार खटक
  • 1996 में भी रमेश कुमार जीते लेकिन समता पार्टी के टिकट पर
  • 2000 में भी रमेश कुमार जीते लेकिन इनेलो के टिकट पर
  • 2005 में इनेलो के रामफल चिराना जीते
  • 2008 के परिसीमन में ये सीट अनारक्षित कर दी गई
  • 2009 में कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा विधायक चुने गए
  • 2014 में भी कांग्रेस श्रीकृष्ण हु़ड्डा विधायक बने
  • 2019 में भी दिवंगत श्रीकृष्ण हुड्डा ने बीजेपी के पहलवान योगेश्वर दत्त को हराया
    बरोदा उपचुनाव
    बरोदा उपचुनाव

इस बार की 'जंग' होगी जोरदार

इस बार के उपचुनाव में एक बात और महत्वपूर्ण है कि 2019 के चुनाव में कृष्ण हुड्डा 34.67 प्रतिशत वोटों के साथ जीते थे और दूसरे नंबर बीजेपी के योगेश्वर दत्त थे जिन्हें 30.73 प्रतिशत वोट मिले थे. और तीसरे नंबर पर नई नवेली पार्टी जेजेपी के भूपेंद्र मलिक थे जिन्हें 26.45 फीसदी वोट मिले थे. अब जबकि बीजेपी और जेजेपी मिलकर यहां चुनाव लड़ेंगी तो जंग बेहद दिलचस्प होगी और बीजेपी पहली बार इस सीट पर कब्जा करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देगी. जबकि कांग्रेस अपना किला बचाने के लिए जीतोड़ मेहनत करेगी.

श्रीकृष्ण हुड्डा की मौत के बाद उपचुनाव

3 नवंबर को बरोदा सीट के लिए वोटिंग होगी. वहीं 10 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे. नामांकन प्रक्रिया 9 अक्टूबर से शुरू होगी, जो 16 अक्टूबर तक चलेगी. चुनाव आयोग की घोषणा के बाद ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. दरअसल 12 अप्रैल 2020 को बरोदा सीट से विधायक रहे श्रीकृष्ण हुड्डा का निधन हो गया था, वे 74 वर्ष के थे. हुड्डा 6 बार के विधायक थे. जो 2019 के चुनाव में पहलवान योगेश्वर दत्त को हराकर छठी बार विधानसभा पहुंचे थे.

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