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'मौत' के 24 कमरे, कौन लेगा जिम्मेदारी? देखिए गोहाना के सरकारी स्कूल की दयनीय तस्वीर

हरियाणा सरकार ने अपने बीते कार्यकाल में विकास के कई दावे किए. साथ ही ये भी दावा भी किया कि हरियाणा सरकार ने सरकारी स्कूलों की दशा सुधार दी है, लेकिन जमीनी हकीकत सरकारी दावों के आसपास भी नहीं दिखती. गोहाना के बरोदा गांव का सरकारी स्कूल सरकार के दावों की पोल खोलता दिखाई पड़ता है.

government school in gohana
देखिए गोहाना के सरकारी स्कूल की 'दयनीय' तस्वीर
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Published : Dec 19, 2019, 8:48 AM IST

Updated : Dec 19, 2019, 10:21 AM IST

सोनीपतः शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए केंद्र से लेकर प्रदेश की सरकारें पूरा दमखम दिखाती नजर आती हैं, लेकिन उसके बावजूद स्कूलों के हालात ज्यों के त्यों है. गोहाना के बरोदा गांव के सरकारी स्कूल में तो हालात ये हैं कि यहां 24 कमरे होने के बावजूद बच्चों को बाहर खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ना पढ़ रहा है.

स्कूल का गेट भी काफी टूटा फूटा है. ग्रामीणों के मुताबिक स्कूल की हालत देखकर बच्चों को स्कूल भेजने में भी डर लगता है. उनकी मांग है कि शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर जल्द इस मामले में संज्ञान लें.

देखिए गोहाना के सरकारी स्कूल की दयनीय तस्वीर

टूट-टूटकर गिर रहा है लैंटर
स्कूल की लगभग सारी इमारत जर्जर हो चुकी है. स्कूल की हर दीवार में दरारें आ चुकी हैं. ऐसा कोई गार्डर नहीं बचा है, जिसमें दरार ना आई हो और ज्यादातर गार्डरों से सीमेंट और मसाला अलग होकर झड़ चुका है. दीवारों के स्पोर्ट में केवल खाली सरिए ही दिखाई पड़ते हैं. स्कूलों की ऐसी जर्जर हालते में ही बच्चे रोजाना शिक्षा ग्रहण करते हैं.

स्कूल में 24 कमरे जर्जर हो चुके हैं, जहां कई कमरों की दीवार टूट कर गिर चुकी है तो कई झड़-झड़ के गिर रही है, पंखा टूटकर जमीन पर पड़ा है और तार टूटे पड़े हैं. यहां ना तो बैठने के लिए जगह है और ना ही ठंड और बारिश के मौसम में बचने का कोई साधन.

शिकायत के बावजूद नहीं हुई कोई कार्रवाई
सरकारी स्कूल की हालत ये है कि बुनियादी सुविधाएं तक स्कूलों से नदारद हैं. वहीं ना ही बच्चों के लिए पानी पीने के लिए कोई कूलर लगा हुआ है और बाथरूम की हालत तो ऐसी है जैसे वो बनाने के बाद कभी साफ ही ना हुआ हो.

स्कूल की समस्या को लेकर प्रशासन के अलावा गांव के सरपंच द्वारा कई बार शिक्षा विभाग को शिकायत दी गई. इसमें मुख्यमंत्री और मंत्रियों से मुलाकात कर पत्र भी लिखे जा चुके हैं लेकिन आज तक किसी ने इसकी सुध नहीं ली.

ये भी पढ़ेंः अंधकार में 'भविष्य': जिस स्कूल में सीएम ने डाला वोट उसका कट गया कनेक्शन, अंधेरे में पढ़ रहे बच्चे

डर के साए में भविष्य!
स्थानीय निवासी और अभिभावकों की मानें तो वो लोग डर के साए में रोजाना बच्चों को स्कूल में भेजते हैं. अभिभावकों का कहना है कि हमें मजबूरन बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजना पड़ रहा है.

तपती गर्मी हो या सर्दी या फिर बारिश किसी भी मौसम में खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ना पड़ता है. यही नहीं बच्चों के लिए कोई बेंच भी नहीं है और फटी हुई दरी को जमीन पर बिछाकर बच्चे अपनी पढ़ाई करते हैं.

सोनीपतः शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए केंद्र से लेकर प्रदेश की सरकारें पूरा दमखम दिखाती नजर आती हैं, लेकिन उसके बावजूद स्कूलों के हालात ज्यों के त्यों है. गोहाना के बरोदा गांव के सरकारी स्कूल में तो हालात ये हैं कि यहां 24 कमरे होने के बावजूद बच्चों को बाहर खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ना पढ़ रहा है.

स्कूल का गेट भी काफी टूटा फूटा है. ग्रामीणों के मुताबिक स्कूल की हालत देखकर बच्चों को स्कूल भेजने में भी डर लगता है. उनकी मांग है कि शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर जल्द इस मामले में संज्ञान लें.

देखिए गोहाना के सरकारी स्कूल की दयनीय तस्वीर

टूट-टूटकर गिर रहा है लैंटर
स्कूल की लगभग सारी इमारत जर्जर हो चुकी है. स्कूल की हर दीवार में दरारें आ चुकी हैं. ऐसा कोई गार्डर नहीं बचा है, जिसमें दरार ना आई हो और ज्यादातर गार्डरों से सीमेंट और मसाला अलग होकर झड़ चुका है. दीवारों के स्पोर्ट में केवल खाली सरिए ही दिखाई पड़ते हैं. स्कूलों की ऐसी जर्जर हालते में ही बच्चे रोजाना शिक्षा ग्रहण करते हैं.

स्कूल में 24 कमरे जर्जर हो चुके हैं, जहां कई कमरों की दीवार टूट कर गिर चुकी है तो कई झड़-झड़ के गिर रही है, पंखा टूटकर जमीन पर पड़ा है और तार टूटे पड़े हैं. यहां ना तो बैठने के लिए जगह है और ना ही ठंड और बारिश के मौसम में बचने का कोई साधन.

शिकायत के बावजूद नहीं हुई कोई कार्रवाई
सरकारी स्कूल की हालत ये है कि बुनियादी सुविधाएं तक स्कूलों से नदारद हैं. वहीं ना ही बच्चों के लिए पानी पीने के लिए कोई कूलर लगा हुआ है और बाथरूम की हालत तो ऐसी है जैसे वो बनाने के बाद कभी साफ ही ना हुआ हो.

स्कूल की समस्या को लेकर प्रशासन के अलावा गांव के सरपंच द्वारा कई बार शिक्षा विभाग को शिकायत दी गई. इसमें मुख्यमंत्री और मंत्रियों से मुलाकात कर पत्र भी लिखे जा चुके हैं लेकिन आज तक किसी ने इसकी सुध नहीं ली.

ये भी पढ़ेंः अंधकार में 'भविष्य': जिस स्कूल में सीएम ने डाला वोट उसका कट गया कनेक्शन, अंधेरे में पढ़ रहे बच्चे

डर के साए में भविष्य!
स्थानीय निवासी और अभिभावकों की मानें तो वो लोग डर के साए में रोजाना बच्चों को स्कूल में भेजते हैं. अभिभावकों का कहना है कि हमें मजबूरन बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजना पड़ रहा है.

तपती गर्मी हो या सर्दी या फिर बारिश किसी भी मौसम में खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ना पड़ता है. यही नहीं बच्चों के लिए कोई बेंच भी नहीं है और फटी हुई दरी को जमीन पर बिछाकर बच्चे अपनी पढ़ाई करते हैं.

Intro:जर्जर स्कूल बिल्डिंग में हो रही है पढ़ाई, अनहोनी का खतरा
मौत के 24 जर्जर कमरे,आखिर कौन लेगा जिम्मेदारी !
स्कूल प्रशासन के इलावा ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग से लेकर मुख्य मंत्री व् नेताओ को कई बार लिख चुके है पत्र लेकिन आज तक नहीं ली किसी ने यहाँ की सुध
Body:एंकर-शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए केंद्र से लेकर प्रदेश की की सरकारें पूरा दमखम दिखाती नजर आती हैं, लेकिन जब ग्राउंड पर जाकर तस्वीर देखी जाती है तो शिक्षा के सारे सुधार फुस्स नजर आते हैं...गोहाना के बरोदा गांव का सरकारी स्कूल जहां 24 कमरों समेत गेट पिछले कई साल से जर्जर पड़ा है...कुछ कमरों में जुगाड़ से पढ़ाई का प्रयास किया जाता है लेकिन वहां भी कमरों के बहार बरामदे का लेंटर टूट टूट कर झड़ता रहता है...चौकाने वाली तस्वीर जहां 24 कमरे जर्जर हैं और शिक्षा विभाग के कान पर जूं तक नहीं रेंगती... सरकारी स्कूलों की स्थिति दयनीय बनी है। हालात यह है कि बुनियादी सुविधाएं तक स्कूलों से नदारद हैं...स्कूल प्रशासन के इलावा गांव के सरपंच दवारा कई बार शिक्षा विभाग से लेकर मुख्य मंत्री व् मंत्रियो से मुलाकात कर पत्र भी लिख चुके है लेकिन आज तक किसी ने इसकी सुध नहीं ली लगता है सरकार व् शिक्षा विभाग किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है Conclusion:विओ-वैसे तो प्रदेश के ज्यादातर सरकारी स्कूलों की पढ़ाई बैशाखी के सहारे चल रही है, कभी सुविधाओं के नाम पर कई साल बीत जाते हैं, तो कहीं अध्यापक कक्षा छोड़ धूप का आंनद लेते हैं तो कोई क्लास में पढ़ाई को लेकर रुचि लेता ही नहीं। ऐसे हालात में कैसे भविष्य के सितारों को चमक मिलेगी, कौन गरीबों के बच्चों की शिक्षा का जिम्मा लेगा, इस स्कूल में 24 कमरे जर्जर हो चुके हैं, जहाँ कई कमरों की दीवार टूट कर गिर चुकी है तो कई झड़ झड़ के गिर रही है, पंखा टूटकर जमीन पर पड़ा है,तार टूटे पड़े हैं यानी ये समझिए कि स्कूल पढ़ाई का मंदिर नहीं बल्कि मौत का स्कूल बना हुआ है।


बाईट :- अनिल स्टूडेंट

बाईट :- हरेन्दर ग्रामीण
Last Updated : Dec 19, 2019, 10:21 AM IST
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