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अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने किया किसान आंदोलन का समर्थन - gohana jaat farmers protest

गोहाना में अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्यों ने बैठकर कर किसानों को धरना स्थल पर राशन सामग्री पहुंचाने का निर्णय लिया है. संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष का कहना है कि वो भी किसान आंदोलन में हिस्सा लेंगे.

All India Jaat Reservation Struggle Committee
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Published : Dec 2, 2020, 10:13 PM IST

सोनीपत: तीन कृषि कानूनों को वापस करवाने की मांग को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का धरना लगातार जारी है. धरने पर बैठे किसानों को खाप पंचायतों, राजनीतिक पार्टियों, कर्मचारियों और सामाजिक संगठनों का समर्थन मिल रहा है. वहीं अब गोहाना में अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्यों ने बैठकर कर किसानों को धरना स्थल पर राशन सामग्री पहुंचाने का निर्णय लिया है.

अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष आजाद लठवाल ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के किसान तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. दिल्ली बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान धरना दे रहे हैं. ऐसे में संगठन ने किसानों को राशन सामग्री उपलब्ध करवाने का फैसला लिया है.

ये भी पढे़ं- हरियाणा के पूर्व सीएम ओपी चौटाला कोरोना पॉजिटिव, मेदांता में भर्ती

उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों का किसान पहले दिन से ही विरोध कर रहे हैं. ऐसे में सरकार को तुरंत प्रभाव से कृषि कानूनों को रद्द कर देना चाहिए. आजाद लठवाल ने कहा सरकार की मंशा ठीक नहीं है. सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं करना चाहती, लेकिन किसान भी अपनी बात को मनवाकर ही वापस लौटेंगे.

सोनीपत: तीन कृषि कानूनों को वापस करवाने की मांग को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का धरना लगातार जारी है. धरने पर बैठे किसानों को खाप पंचायतों, राजनीतिक पार्टियों, कर्मचारियों और सामाजिक संगठनों का समर्थन मिल रहा है. वहीं अब गोहाना में अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्यों ने बैठकर कर किसानों को धरना स्थल पर राशन सामग्री पहुंचाने का निर्णय लिया है.

अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष आजाद लठवाल ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के किसान तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. दिल्ली बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान धरना दे रहे हैं. ऐसे में संगठन ने किसानों को राशन सामग्री उपलब्ध करवाने का फैसला लिया है.

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उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों का किसान पहले दिन से ही विरोध कर रहे हैं. ऐसे में सरकार को तुरंत प्रभाव से कृषि कानूनों को रद्द कर देना चाहिए. आजाद लठवाल ने कहा सरकार की मंशा ठीक नहीं है. सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं करना चाहती, लेकिन किसान भी अपनी बात को मनवाकर ही वापस लौटेंगे.

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