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सीएम के सलाहकार रहे डॉ. योगेंद्र ने एनसीसी कैडेट्स को सिखाया राष्ट्रीय एकता का पाठ - योगेंद्र मलिक सोनीपत

पूर्व में बेटी बचाओं, बेटी पढाओं अभियान में प्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री के सलाहकार रहे डॉ. योगेंद्र मलिक ने कहा कि हमारे देश की संस्कृति प्राचीन और महान है. हमारे देश की संस्कृति, आध्यात्मिकता व सेना राष्ट्रीय एकीकरण में अहम भूमिका अदा करती है.

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Published : Aug 18, 2020, 7:13 PM IST

सोनीपत: बेटी बचाओं, बेटी पढाओं अभियान में मंगलवार को मुख्यमंत्री के सलाहकार रहे डॉ.योगेंद्र मलिक ने सोनीपत की दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने 12 हरियाणा बटालियन एनसीसी यूनिट द्वारा आयोजित राष्ट्रीय एकीकरण विषय पर व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित किया.

इस कार्यक्रम के दौरान डॉक्टर मलिक ने कहा कि भारत की गणना विश्व के सबसे बडे देशों में से एक के रुप में की जाती है हमारे देश की सेना और एनसीसी देश को राष्ट्रीय एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य करती है. किसी भी राज्य का युवा अगर एनसीसी या सेना की वर्दी पहनता है तो वह देश की सीमाओं पर हमारे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है, जो राष्ट्रिय एकीकरण की पहचान है.

उन्होंने कहा कि राष्ट्र ध्वज भी हमें एकता के सूत्र में बांधने का कार्य करता है. राष्ट्र ध्वज हमारे युवाओं के अंदर राष्ट्रियता की भावना पैदा करने का कार्य करता है. राष्ट्र भाषा हिंदी के प्रति समान रूप से श्रद्धा भी हमें राष्ट्रीय एकीकरण के सूत्र में बांधने का कार्य करती है. डॉ. मलिक ने कहा कि हमारे देश में ऋषियों, साधुओं और सन्यासियों के प्रति श्रद्धा का भाव रहता है. आजादी से पूर्व आसाम के संत श्रीमद शंकर देव ने भी पूरे देश के भ्रमण के बाद कहा था कि बहुत जन्मों के बाद महापुण्य एकत्रित होने के बाद ही भारत भूमि पर जन्म होता है, उन्होंने ये नहीं कहा था कि आसाम में जन्म होता है.

इससे उनकी राष्ट्र के प्रति भावना का पता चलता है. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में पृथ्वी को माता और स्वयं को उसका पुत्र माना जाता है, जबकि अन्य देशों में इस प्रकार की भावना देखने को नहीं मिलती. प्राकृतिक संसाधन नदियां, पहाड़ और अन्न के प्रति समग्र राष्ट्र में एक ही प्रकार का श्रद्धा का भाव हमें राष्ट्रीय एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य करता है.

डॉ. मलिक ने कहा कि हमारी संस्कृति, संविधान, कला, साहित्य, राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्र गान, राष्ट्रीय उत्सव और राष्ट्रीय प्रतीक के द्वारा भारत में राष्ट्रीय एकीकरण को मिलता है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकीकरण विभिन्न जातियों, संस्कृतियों, धर्मों और क्षेत्रों से संबद्ध रहने के बाद भी एक मजबूत और विकसित राष्ट्र के निर्माण के लिये देश के लोगों की भावना को दर्शाता है. यह विविधता में एकता और महान स्तर करने के लिए लोगों के बीच एकता की भावना को बढ़ावा देता है. यह अलग समुदाय के लोगों के बीच एक प्रकार की जातीय और सांस्कृतिक समानता लाता है.

ये भी पढ़ें- 'पंजाब से दिल्ली जाने वाला रास्ता बंद करो, शाम तक बन जाएगी नहर'

सोनीपत: बेटी बचाओं, बेटी पढाओं अभियान में मंगलवार को मुख्यमंत्री के सलाहकार रहे डॉ.योगेंद्र मलिक ने सोनीपत की दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने 12 हरियाणा बटालियन एनसीसी यूनिट द्वारा आयोजित राष्ट्रीय एकीकरण विषय पर व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित किया.

इस कार्यक्रम के दौरान डॉक्टर मलिक ने कहा कि भारत की गणना विश्व के सबसे बडे देशों में से एक के रुप में की जाती है हमारे देश की सेना और एनसीसी देश को राष्ट्रीय एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य करती है. किसी भी राज्य का युवा अगर एनसीसी या सेना की वर्दी पहनता है तो वह देश की सीमाओं पर हमारे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है, जो राष्ट्रिय एकीकरण की पहचान है.

उन्होंने कहा कि राष्ट्र ध्वज भी हमें एकता के सूत्र में बांधने का कार्य करता है. राष्ट्र ध्वज हमारे युवाओं के अंदर राष्ट्रियता की भावना पैदा करने का कार्य करता है. राष्ट्र भाषा हिंदी के प्रति समान रूप से श्रद्धा भी हमें राष्ट्रीय एकीकरण के सूत्र में बांधने का कार्य करती है. डॉ. मलिक ने कहा कि हमारे देश में ऋषियों, साधुओं और सन्यासियों के प्रति श्रद्धा का भाव रहता है. आजादी से पूर्व आसाम के संत श्रीमद शंकर देव ने भी पूरे देश के भ्रमण के बाद कहा था कि बहुत जन्मों के बाद महापुण्य एकत्रित होने के बाद ही भारत भूमि पर जन्म होता है, उन्होंने ये नहीं कहा था कि आसाम में जन्म होता है.

इससे उनकी राष्ट्र के प्रति भावना का पता चलता है. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में पृथ्वी को माता और स्वयं को उसका पुत्र माना जाता है, जबकि अन्य देशों में इस प्रकार की भावना देखने को नहीं मिलती. प्राकृतिक संसाधन नदियां, पहाड़ और अन्न के प्रति समग्र राष्ट्र में एक ही प्रकार का श्रद्धा का भाव हमें राष्ट्रीय एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य करता है.

डॉ. मलिक ने कहा कि हमारी संस्कृति, संविधान, कला, साहित्य, राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्र गान, राष्ट्रीय उत्सव और राष्ट्रीय प्रतीक के द्वारा भारत में राष्ट्रीय एकीकरण को मिलता है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकीकरण विभिन्न जातियों, संस्कृतियों, धर्मों और क्षेत्रों से संबद्ध रहने के बाद भी एक मजबूत और विकसित राष्ट्र के निर्माण के लिये देश के लोगों की भावना को दर्शाता है. यह विविधता में एकता और महान स्तर करने के लिए लोगों के बीच एकता की भावना को बढ़ावा देता है. यह अलग समुदाय के लोगों के बीच एक प्रकार की जातीय और सांस्कृतिक समानता लाता है.

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