सोनीपत: दिव्यांग अनिल के मुताबिक वो सीएम से मिलने की जिद्द कर रहा था. जिसके बाद पुलिस कर्मियों ने पहले उसे घसीटा और फिर मारपीट की, करनाल और सोनीपत के सांसदों जब मौके पर पहुंचे तो पुलिसकर्मियों ने उसे छोड़ना दिया.
अनिल को दिया आश्वासन
दिव्यांग ने सांसदों से भी सीएम से मिलने की बात कही. वहां सांसद और एडीसी ने दिव्यांग को समझाकर मदद का आश्वासन देकर साइड किया. उसके बाद सीएम की गाड़ी को निकाला गया.
अनिल पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी
दरअसल सोनीपत में रामनगर निवासी अनिल के पैर नहीं हैं, जबकि परिवार की पूरी जिम्मेदारी उसके ऊपर है. परिवार में पत्नी के अलावा तीन बेटियां हैं और अनिल बैटरी की रिक्शा चलाकर परिवार का गुजारा करना चाहता है, लेकिन उसके पास रिक्शा खरीदने के रुपये नहीं हैं.
हर बार अनिल को दिया गया आश्वासन
अनिल कई बार मदद के लिए सीएम से और अधिकारियों से मिलने के लिए चंडीगढ़ भी पहुंचा, लेकिन उसे किसी तरह की कोई सहायता नहीं मिली. आरोप है कि उसे पुलिस कर्मियों ने धक्के देकर बाहर निकाल दिया.
सीएम से नहीं होने दी मुलाकात
अनिल जब सीएम के जनता दरबार तक गया तो वहां उसे केवल आश्वासन मिला. वो सीएम से मिलने के लिए कई रैलियों में गया, लेकिन उसे किसी भी जगह मिलने नहीं दिया गया. मजबूर होकर वो उस रास्ते पर बैठ गया, जहां से सीएम की गाड़ी को निकलना था.
सीएम के जाते वक्त हुआ हंगामा
कार्यक्रम खत्म होने के बाद सीएम गाड़ी में बैठ गए तो अनिल उनसे मिलने के लिए गाड़ी के पास जाने लगा. अनिल ने कहा कि पुलिस कर्मियों ने उसे रोक दिया तो वो गाड़ी के आगे ही लेट गया. उसे पुलिस कर्मियों ने रास्ते से हटाने के लिए घसीटना शुरू कर दिया तो उसी समय करनाल के सांसद संजय भाटिया, एडीसी जयबीर आर्य, एसपी प्रतीक्षा गोदारा समेत अन्य अधिकारी पहुंच गए.
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उन सभी ने अनिल को समझाने का प्रयास किया और उसे एडीसी जयबीर आर्य ने रिक्शा दिलाने के लिए कह दिया. अनिल ने आरोप लगाया कि उसे हर बार इस तरह ही आश्वासन देकर वापस भेज दिया जाता है और उसके बाद कोई उसकी समस्या नहीं सुनता है. हंगामा देखकर सांसद रमेश कौशिक भी पहुंच गए और उसे अपनी सांसद निधि से रिक्शा दिलाने के लिए अधिकारियों से कहा.