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कुंडली बॉर्डर पर मनाया गया गुरु तेग बहादुर का 400वां गुरु पर्व, किसान बोले-जीते बिना वापस नहीं लौटेंगे

संयुक्त किसान मोर्चा किसान आंदोलन को तेज करने के लिए अलग-अलग तरह की रणनीति बना रहा है और महान हस्तियों के जन्मदिन और उनकी पुण्यतिथि पर त्योहार मनाए जा रहे हैं. इस कड़ी में सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर के 400वें गुरु पर्व पर मुख्य मंच पर अलग-अलग तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम किए गए.

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कुंडली बॉर्डर पर मनाया गया गुरु तेग बहादुर का 400वां गुरु पर्व
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Published : Apr 30, 2021, 4:53 PM IST

सोनीपत: तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. इस बीच किसानों ने शुक्रवार को श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वां प्रकाश पर्व पर कुंडली बॉर्डर पर धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया.

आंदोलन कर रहे किसानों ने कहा कि सिखों के इतिहास से हमें इस आंदोलन को तेज करने की प्रेरणा मिलती है और श्री गुरु तेग बहादुर के जीवन से हमें सीख मिली है कि हम ये आंदोलन जीत कर ही अपने घरों को लौटें.

कुंडली बॉर्डर पर मनाया गया गुरु तेग बहादुर का 400वां गुरु पर्व

ये भी पढ़िए: राकेश टिकैत सहित 7 लोगों के खिलाफ भिवानी में FIR, जानें क्या है वजह

किसान नेता कंवलजीत सिंह ने श्री गुरु तेग बहादुर के जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि उनका जीवन हमेशा से ही धर्म की रक्षा के लिए रहा और उन्होंने अपना जीवन धर्म के लिए त्याग दिया था. उन्होंने कहा कि किसान तबतक दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे, जब तक ये तीनों कृषि कानून वापस नहीं होंगे. इन्हीं गुरुओं की शक्ति से हमें प्रेरणा मिल रही है कि हम ये आंदोलन जारी रखें और जीत कर ही घर जाएं.

सोनीपत: तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. इस बीच किसानों ने शुक्रवार को श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वां प्रकाश पर्व पर कुंडली बॉर्डर पर धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया.

आंदोलन कर रहे किसानों ने कहा कि सिखों के इतिहास से हमें इस आंदोलन को तेज करने की प्रेरणा मिलती है और श्री गुरु तेग बहादुर के जीवन से हमें सीख मिली है कि हम ये आंदोलन जीत कर ही अपने घरों को लौटें.

कुंडली बॉर्डर पर मनाया गया गुरु तेग बहादुर का 400वां गुरु पर्व

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किसान नेता कंवलजीत सिंह ने श्री गुरु तेग बहादुर के जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि उनका जीवन हमेशा से ही धर्म की रक्षा के लिए रहा और उन्होंने अपना जीवन धर्म के लिए त्याग दिया था. उन्होंने कहा कि किसान तबतक दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे, जब तक ये तीनों कृषि कानून वापस नहीं होंगे. इन्हीं गुरुओं की शक्ति से हमें प्रेरणा मिल रही है कि हम ये आंदोलन जारी रखें और जीत कर ही घर जाएं.

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