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हरियाणा में सिंघाड़े की खेती कर महज दो महीने में लाखों रुपये कमा रहे किसान, जानें क्या है इसके फायदे और खेती का तरीका - सिरसा में सिंघाड़े की खेती

Water Chestnut Cultivation In Haryana: सिरसा में किसान सिंघाड़े की खेती कर लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं. जानें क्या है इसकी खासियत और कैसे होती है सिंघाड़े की खेती.

Water Chestnut Cultivation In Haryana
हरियाणा में सिंघाड़े की खेती
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 23, 2023, 10:36 AM IST

हरियाणा में सिंघाड़े की खेती.

सिरसा: हरियाणा के किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी की तरफ तेजी से रुख कर रहे हैं. इससे किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा तो होता ही है. साथ में किसानों का समय भी बच जाता है. इसी तरह सिरसा जिले में किसान सिंघाड़े की खेती करने में मशगूल हैं. सिंघाड़े की खेती किसानों के लिए वरदान से कम नहीं है. इसमें मेहनत तो थोड़ा ज्यादा है, लेकिन मुनाफा पारंपरिक फसलों की मुकाबले कहीं ज्यादा है.

सिरसा के किसानों में सिंघाड़े का क्रेज! सिरसा के किसानों के मुताबिक एक एकड़ फसल में उन्हें करीब 1 लाख रुपये तक की बचत हो जाती है. बड़ी बात ये है कि ये खेती महज दो महीने की होती है. जिसमें किसान एक एकड़ से एक लाख रुपये के करीब की आमदनी कर लेता है. दरअसल सिरसा के रानियां खंड में ओटू वियर के नजदीक कई किसान परिवारों ने जमीन ठेके पर ली हुई है. जिस पर वो परंपरागत खेती करने की बजाय सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं.

महज दो महीनों में लाखों की कमाई: किसानों के मुताबिक सिंघाड़े की खेती में मेहनत कम लगती है और इससे आमदनी ज्यादा होती है. सिंघाड़े की खेती करने से किसान मालामाल हो रहे हैं और महीने में ही लखपति भी बना रहे हैं. सिरसा के ओटू गांव में दो परिवार के करीब 10 किसान इस खेती को तवज्जो दे रहे हैं. हरियाणा बागवानी विभाग भी सिंघाड़े की खेती करने वाले किसानों का हौसला अफजाई करने में जुट गया है.

किसान अजय कुमार लालाराम और अशोक कुमार ने बताया कि सिंघाड़े की खेती करने से उनको काफी फायदा मिल रहा है. उन्होंने कहा कि इस खेती में मेहनत काफी कम लगती है और फायदा ज्यादा होता है. परंपरागत खेती जिसमें नरमा, कपास, धान, गेहूं और फसलों में खराब होने का रिस्क ज्यादा रहता है, लेकिन इस फसल में खराब होने का रिस्क बेहद कम होता है. अगर सिंघाड़े की फसल में बीमारी लगती है तो दवाइयों के छिड़काव से फसल ठीक हो जाती है.

किसानों ने कहा कि एक एकड़ में उन्हें तकरीबन एक लाख रुपये से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक का मुनाफा हो जाता है, जबकि ऐसा फायदा परंपरागत खेती में नहीं हो पता. वहीं जिला बागवानी अधिकारी प्रोमिला रानी ने बताया कि सिरसा के ओटू गांव के कुछ किसान सिंघाड़े की खेती कर लाखों रुपए का मुनाफा ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसान एक एकड़ में एक लाख से लेकर डेढ़ लाख रुपये का फायदा उठा रहे हैं. बागवानी अधिकारी प्रोमिला ने भी किसानों को परंपरागत खेती की बजाय बागवानी खेती करने की प्रेरणा दी है.

कैसे की जाती है सिंघाड़े की खेती? ये एक जलीय फल है, जो तालाब या झील में उगता है. इसका स्वाद मीठा होता है. खास बात ये है कि ये शुगर फ्री होता है. कृषि अधिकारी इसकी सीधी बुवाई ना करके नर्सरी में पौधे तैयार करने की सलाह दी जाती है. इसके लिए सबसे पहले सिंघाड़े के पौधे नर्सरी में तैयार किए जाते हैं. जब पौधों की लंबाई 300 मिमी. हो जाती है, तो इसकी रोपाई तालाब में कर दी जाती है. जिसके डेढ़ से दो महीने बाद सिंघाड़े की फसल मिल जाती है.

क्या हैं सिंघाड़े के फायदे? सिंघाड़े में कई तरह के न्यूट्रिएंट्स होते हैं. इसमें कैलोरी की मात्रा कम होती है. ये फाइबर, प्रोटीन, मैग्नीज, पोटैशियम, कॉपर, विटामिन बी 6 का अच्छा स्रोत होते हैं. इसके सेवन से वजन कम होता है. स्किन अच्छी होती है. घुटनों के दर्द से राहत मिली है. कैंसर के मरीजों के लिए भी ये फायदेमंद होता है. इससे बीपी और हार्ट से संबंधित बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं. इसके अलावा वजन कम करने के लिए सिंघाड़े का इस्तेमाल किया जाता है.

ये भी पढ़ें- Cotton Farming in Haryana: कपास किसानों के लिए वरदान है सरकार की ये योजना, मिलता है 30 हजार प्रति एकड़ मुआवजा, जानिए कैसे उठाएं फायदा

ये भी पढ़ें- नूंह में गन्ना किसान हो रहे मालामाल, खेत में ही सरकारी दाम से अच्छे भाव मिलने से गन्ना किसान खुश

हरियाणा में सिंघाड़े की खेती.

सिरसा: हरियाणा के किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी की तरफ तेजी से रुख कर रहे हैं. इससे किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा तो होता ही है. साथ में किसानों का समय भी बच जाता है. इसी तरह सिरसा जिले में किसान सिंघाड़े की खेती करने में मशगूल हैं. सिंघाड़े की खेती किसानों के लिए वरदान से कम नहीं है. इसमें मेहनत तो थोड़ा ज्यादा है, लेकिन मुनाफा पारंपरिक फसलों की मुकाबले कहीं ज्यादा है.

सिरसा के किसानों में सिंघाड़े का क्रेज! सिरसा के किसानों के मुताबिक एक एकड़ फसल में उन्हें करीब 1 लाख रुपये तक की बचत हो जाती है. बड़ी बात ये है कि ये खेती महज दो महीने की होती है. जिसमें किसान एक एकड़ से एक लाख रुपये के करीब की आमदनी कर लेता है. दरअसल सिरसा के रानियां खंड में ओटू वियर के नजदीक कई किसान परिवारों ने जमीन ठेके पर ली हुई है. जिस पर वो परंपरागत खेती करने की बजाय सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं.

महज दो महीनों में लाखों की कमाई: किसानों के मुताबिक सिंघाड़े की खेती में मेहनत कम लगती है और इससे आमदनी ज्यादा होती है. सिंघाड़े की खेती करने से किसान मालामाल हो रहे हैं और महीने में ही लखपति भी बना रहे हैं. सिरसा के ओटू गांव में दो परिवार के करीब 10 किसान इस खेती को तवज्जो दे रहे हैं. हरियाणा बागवानी विभाग भी सिंघाड़े की खेती करने वाले किसानों का हौसला अफजाई करने में जुट गया है.

किसान अजय कुमार लालाराम और अशोक कुमार ने बताया कि सिंघाड़े की खेती करने से उनको काफी फायदा मिल रहा है. उन्होंने कहा कि इस खेती में मेहनत काफी कम लगती है और फायदा ज्यादा होता है. परंपरागत खेती जिसमें नरमा, कपास, धान, गेहूं और फसलों में खराब होने का रिस्क ज्यादा रहता है, लेकिन इस फसल में खराब होने का रिस्क बेहद कम होता है. अगर सिंघाड़े की फसल में बीमारी लगती है तो दवाइयों के छिड़काव से फसल ठीक हो जाती है.

किसानों ने कहा कि एक एकड़ में उन्हें तकरीबन एक लाख रुपये से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक का मुनाफा हो जाता है, जबकि ऐसा फायदा परंपरागत खेती में नहीं हो पता. वहीं जिला बागवानी अधिकारी प्रोमिला रानी ने बताया कि सिरसा के ओटू गांव के कुछ किसान सिंघाड़े की खेती कर लाखों रुपए का मुनाफा ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसान एक एकड़ में एक लाख से लेकर डेढ़ लाख रुपये का फायदा उठा रहे हैं. बागवानी अधिकारी प्रोमिला ने भी किसानों को परंपरागत खेती की बजाय बागवानी खेती करने की प्रेरणा दी है.

कैसे की जाती है सिंघाड़े की खेती? ये एक जलीय फल है, जो तालाब या झील में उगता है. इसका स्वाद मीठा होता है. खास बात ये है कि ये शुगर फ्री होता है. कृषि अधिकारी इसकी सीधी बुवाई ना करके नर्सरी में पौधे तैयार करने की सलाह दी जाती है. इसके लिए सबसे पहले सिंघाड़े के पौधे नर्सरी में तैयार किए जाते हैं. जब पौधों की लंबाई 300 मिमी. हो जाती है, तो इसकी रोपाई तालाब में कर दी जाती है. जिसके डेढ़ से दो महीने बाद सिंघाड़े की फसल मिल जाती है.

क्या हैं सिंघाड़े के फायदे? सिंघाड़े में कई तरह के न्यूट्रिएंट्स होते हैं. इसमें कैलोरी की मात्रा कम होती है. ये फाइबर, प्रोटीन, मैग्नीज, पोटैशियम, कॉपर, विटामिन बी 6 का अच्छा स्रोत होते हैं. इसके सेवन से वजन कम होता है. स्किन अच्छी होती है. घुटनों के दर्द से राहत मिली है. कैंसर के मरीजों के लिए भी ये फायदेमंद होता है. इससे बीपी और हार्ट से संबंधित बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं. इसके अलावा वजन कम करने के लिए सिंघाड़े का इस्तेमाल किया जाता है.

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