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युवाओं को नशे से बचाती 'मैं हूं मेरे गांव का पहरेदार' मुहिम - मैं हूं मेरे गांव का पहरेदार

सिरसा जिले का एक छोटा गांव और आदर्श गांव की श्रेणी में शामिल गांव गुड़िया खेड़ा से नशे जैसी भयंकर बीमारी गांव की आदर्शता ही छिनती जा रही थी. ऐसे में गांव के युवाओं ने आदर्श गांव को आदर्श बनाए रखने के लिए ये मुहिम शुरू की है.

मैं हुं मेरे गांव का पहरेदार मुहिम के सदस्य
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Published : Jul 29, 2019, 1:43 PM IST

सिरसा: ऐलनाबाद हल्के के गांव गुड़िया खेड़ा के ग्रामीणों ने नशा रोकने के लिए एक नई पहल शुरू की है. गांव में दर्जन भर युवा नशे की चपेट में आ गए थे जिस पर चिंतन करते हुए गांव के सरपंच प्रतिनिधि और युवाओं ने गांव में नशा ना घुसने देने का निर्णय किया और 'एक मै हूं मेरे गांव का पहरेदार' मुहिम की शुरूआत की.

नशे के खिलाफ मुहिम

ये मुहिम 14 जुलाई को शुरू की गई और आज इस मुहिम के चर्चे आसपास के गांव में होने लगे हैं. आदर्श गांव गुड़िया खेड़ा के लोग भी इस मुहिम से काफी खुश दिखाई दिए.

ये भी पढ़ें- सीएम सिटी में बदमाशों के हौसले बुलंद, पेट्रोल पंप पर सरेआम लूट की वारदात

क्या है 'मैं हूं मेरे गांव का पहरेदार' मुहिम?

वैसे तो 'मैं हूं मेरे गांव का पहरेदार' मुहिम अभी शुरू ही की गई है, लेकिन महज 12 दिनों में इस मुहिम के चर्चे जिले भर में होने लगे हैं. इस मुहिम के तहत गांव के लगभग 60 युवाओं की टीम बनाई गई है, जिसमें से 12 युवाओं की टीम अति प्रभावशाली है जहां भी किसी प्रकार की नशे से संबंधित शिकायत मिलती है तो 12 सदस्यीय कमेटी वहां पहुंच कर मुआयना करती है.

इसके अलावा बाकी के सदस्य दिन रात गांव में पहरा देते हैं और रात के समय में टीकरी पहरा लगाया जाता है. गांव के चारों और आसपास के गांवों से जोड़ने वाले रास्तों पर युवाओं का टिकरी पहरा होता है, संदिग्ध व्यक्ति की तलाशी लेने के बाद ही गांव में घुसने दिया जाता है.

अन्य गांवों के लिए बनी नजीर

महज 12 दिनों में अपने पंखों को खोलकर जिले भर में उड़ारी मारने वाली इस मुहिम से गांव के लोगों को भी काफी राहत मिली है. और नतीजा ये रहा कि आस पास के गांवों में भी इस तरह की कमेटियां बनने लगी और टीकरी पहरा दिया जाने लगा है.

युवाओं का कहना है कि इस मुहिम को शुरू करने का मुख्य उददेश्य गांव के युवाओं को नशे से दूर रखना और जो युवा नशे में संलिप्त हो चुके हैं उन्हें नशा छुड़ावाकर एक आदर्श ग्राम का आदर्श नागरिक बनाना है. ऐसे में युवाओं का नशा छुड़वाने में जो भी खर्च आता है वो 'मैं हूं मेरे गांव का पहरेदार' कमेटी वहन करती है.

आदर्श गांव है गुड़िया खेड़ा

सिरसा जिले का एक छोटा गांव और आदर्श गांव की श्रेणी में शामिल गांव गुड़िया खेड़ा से नशे जैसी भयंकर बीमारी गांव की आदर्शता ही छीनती जा रही थी. ऐसे में गांव के युवाओं ने आदर्श गांव को आदर्श बनाए रखने के लिए ये मुहिम शुरू की और आज ये मुहिम रंग ला रही है.

ऐसे में गांव के सरपंच और युवाओं की अपील है कि यदि हम अपने घर से गांव से नशे के खिलाफ आवाज उठाएंगे और ये मुहिम हर गांव में लागु करेंगे तो एक दिन अवश्य ही हमारा देश नशा मुक्त होगा.

सिरसा: ऐलनाबाद हल्के के गांव गुड़िया खेड़ा के ग्रामीणों ने नशा रोकने के लिए एक नई पहल शुरू की है. गांव में दर्जन भर युवा नशे की चपेट में आ गए थे जिस पर चिंतन करते हुए गांव के सरपंच प्रतिनिधि और युवाओं ने गांव में नशा ना घुसने देने का निर्णय किया और 'एक मै हूं मेरे गांव का पहरेदार' मुहिम की शुरूआत की.

नशे के खिलाफ मुहिम

ये मुहिम 14 जुलाई को शुरू की गई और आज इस मुहिम के चर्चे आसपास के गांव में होने लगे हैं. आदर्श गांव गुड़िया खेड़ा के लोग भी इस मुहिम से काफी खुश दिखाई दिए.

ये भी पढ़ें- सीएम सिटी में बदमाशों के हौसले बुलंद, पेट्रोल पंप पर सरेआम लूट की वारदात

क्या है 'मैं हूं मेरे गांव का पहरेदार' मुहिम?

वैसे तो 'मैं हूं मेरे गांव का पहरेदार' मुहिम अभी शुरू ही की गई है, लेकिन महज 12 दिनों में इस मुहिम के चर्चे जिले भर में होने लगे हैं. इस मुहिम के तहत गांव के लगभग 60 युवाओं की टीम बनाई गई है, जिसमें से 12 युवाओं की टीम अति प्रभावशाली है जहां भी किसी प्रकार की नशे से संबंधित शिकायत मिलती है तो 12 सदस्यीय कमेटी वहां पहुंच कर मुआयना करती है.

इसके अलावा बाकी के सदस्य दिन रात गांव में पहरा देते हैं और रात के समय में टीकरी पहरा लगाया जाता है. गांव के चारों और आसपास के गांवों से जोड़ने वाले रास्तों पर युवाओं का टिकरी पहरा होता है, संदिग्ध व्यक्ति की तलाशी लेने के बाद ही गांव में घुसने दिया जाता है.

अन्य गांवों के लिए बनी नजीर

महज 12 दिनों में अपने पंखों को खोलकर जिले भर में उड़ारी मारने वाली इस मुहिम से गांव के लोगों को भी काफी राहत मिली है. और नतीजा ये रहा कि आस पास के गांवों में भी इस तरह की कमेटियां बनने लगी और टीकरी पहरा दिया जाने लगा है.

युवाओं का कहना है कि इस मुहिम को शुरू करने का मुख्य उददेश्य गांव के युवाओं को नशे से दूर रखना और जो युवा नशे में संलिप्त हो चुके हैं उन्हें नशा छुड़ावाकर एक आदर्श ग्राम का आदर्श नागरिक बनाना है. ऐसे में युवाओं का नशा छुड़वाने में जो भी खर्च आता है वो 'मैं हूं मेरे गांव का पहरेदार' कमेटी वहन करती है.

आदर्श गांव है गुड़िया खेड़ा

सिरसा जिले का एक छोटा गांव और आदर्श गांव की श्रेणी में शामिल गांव गुड़िया खेड़ा से नशे जैसी भयंकर बीमारी गांव की आदर्शता ही छीनती जा रही थी. ऐसे में गांव के युवाओं ने आदर्श गांव को आदर्श बनाए रखने के लिए ये मुहिम शुरू की और आज ये मुहिम रंग ला रही है.

ऐसे में गांव के सरपंच और युवाओं की अपील है कि यदि हम अपने घर से गांव से नशे के खिलाफ आवाज उठाएंगे और ये मुहिम हर गांव में लागु करेंगे तो एक दिन अवश्य ही हमारा देश नशा मुक्त होगा.



---------- Forwarded message ---------
From: Ramesh Jakhar <rameshjakhar90@gmail.com>
Date: Mon, 29 Jul 2019
Subject: script and files Gaanv ka pahredar
To: Jantaassignmet Assignment <jantaassignment@gmail.com>


Story - Gaanv ka pahredar 
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Ramesh Jakhar

 
Anchor - ऐलनाबाद हलके के गांव गुडिया खेडा के ग्रामीणों ने नशा रोकने के लिए एक नई पहल शुरू की है। गांव में दर्जन भर युवा नशे की चपेट में आ गए थे जिस पर चिंतन करते हुए गांव के सरपंच प्रतिनिधी व युवाओं ने गांव में नशा ना घुसने देने का निर्णय किया और एक मै हुं मेरे गांव का पहरेदार मुहिम की शुरूआत की। यह मुहिम 14 जुलाई को शुरू की गई और आज इस मुहिम के चर्चे आस पास के गांव में होने लगे हैं। आदर्श गांव गुडिया खेडा के लोग भी इस मुहिम से काफी खुश दिखाई दिए।

वीओ 1 - वैसे तो मै हुं मेरे गांव का पहरेदार मुहिम अभी शुरू ही की गई है लेकिन महज 12 दिनों में इस मुहिम के चर्चे जिले भर में होने लगे हैं। इस मुहिम के अंतर्गत गांव के लगभग 60 युवाओं की टीम बनाई गई है। जिसमें से 12 युवाओं की टीम अति प्रभावशाली है जहां भी किसी प्रकार की नशे से संबंधित शिकायत मिलती है तो 12 सदस्यीय कमेटी वहां पहुंच कर मुआयना करती है। इसके इलावा बाकी के सदस्य दिन रात गांव में पहरा देते हैं और रात के समय में टीकरी पहरा लगाया जाता है। गांव के चारों और आस पास के गांवों से जोडने वाले रास्तों पर युवाओं का टिकरी पहरा होता है संदिग्ध व्यक्ति की तलाशी लेने के बाद ही गांव में घुसने दिया जाता है।
बाईट - भरत सिंह सरपंच 9467802400,
बाईट - जगदीप गोदारा, ब्लाक समिति सदस्य

वीओ - महज 12 दिनों में अपने पंखों को खोलकर जिले भर में उडारी मारने वाली इस मुहिम से गांव के लोगों को भी काफी राहत मिली है। और  नतीजा यह रहा कि आस पास के गांवों में भी इस तरह की कमेटियां बनने लगी और टीकरी पहरा दिया जाने लगा है। गांव के युवाओं का कहना है कि इस मुहिम को शुरू करने का मुख्य उददेश्य गांव के युवाओं को नशे से दूर रखना और जो युवा नशे में संलिप्त हो चुके हैं उन्हें नशा छुडवाकर एक आदर्श ग्राम का आदर्श नागरिक बनाना है। ऐसे में युवाओं का नशा छुडवाने में जो भी खर्च आता है वह मैं हुं मेरे गांव का पहरेदार कमेटी वहन करती है।
बाईट - आत्मा राम एवं नत्थु राम, भूप सिंह, जयदेव, राजपाल, साहब राम, साहिल ग्रामीण 

वीओ 3 - सिरसा जिले का एक छोटा गांव और आदर्श गांव की श्रेणी में शामिल गुडिया खेडा गांव से नशे जैसी भयंकर बिमारी गांव की आदर्शता ही छीनती जा रही थी ऐसे में गांव के युवाओं ने आदर्श गांव को आदर्श बनाए रखने के लिए यह मुहिम शुरू की और आज यह मुहिम रंग ला रही है। ऐसे में गांव के सरपंच और युवाओं की अपील है कि यदि हम अपने घर से गांव से नशे के खिलाफ आवाज उठाएंगे और यह मुहिम हर गांव में लागु करेंगे तो एक दिन अवश्य ही हमारा देश नशा मुक्त होगा।

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