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सिरसा में सामाजिक संस्थाओं ने बंद की लंगर सेवा, जानें वजह

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Published : May 9, 2020, 10:38 AM IST

सिरसा में सामाजिक संस्थाओं ने लॉकडाउन के तीसरे चरण के 5-6 दिन लंगर बंद करने का फैसला लिया है. सामाजिक संस्थाओं ने ये भी कहा है कि जरुरत पड़ी तो बाद में ये सेवा शुरू की जा सकती है.

sirsa Social organizations shut down the food service for migrants
सिरसा में सामाजिक संस्थाओं ने बंद की लंगर सेवा, जानें वजह

सिरसाः कोरोना वायरस के चलते देश में 24 मार्च से लॉकडाउन लगा हुआ है. लॉकडाउन के पहले दिन से ही कई सामाजिक संस्थाएं आम लोगों की मदद में लगी हुई हैं. हरियाणा के सिरसा में भी लॉकडाउन के दौरान गरीब लोगों को खाने की समस्या ना हो इसको देखते हुए कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा दिहाड़ीदार मजदूरों, स्लम बस्ती में रहने वालों और अन्य जरूरतमंदों को खाना खिलाया जा रहा था, लेकिन अब इन संस्थाओं ने लंगर सेवा बंद करने का फैसला लिया है.

सिरसा में लॉकडॉन के पहले दिन से ही कई सामाजिक संस्थाएं जरूरतमंदों की मदद करने के लिए सामने आ रही हैं. लगातार करीब 40 दिनों तक इन संस्थाओं द्वारा सिरसा के सभी मजदूरों और स्लम बस्ती में रहने वाले लोगों और नाके पर तैनात पुलिसकर्मियों के लिए खाने का इंतजाम किया गया. सिरसा में रोजाना करीब डेढ़ लाख खाने के पैकेट शहर में जरूरतमंदों को बांटे जाते थे और उन्हें भूखा ना रहना पड़े इसके लिए दिन में दो बार खाने के पैकेट बांटे जाते थे.

सिरसा में सामाजिक संस्थाओं ने बंद की लंगर सेवा

संस्थाओं ने बंद की लंगर सेवा

3 मई को लॉकडाउन 3 में छोटे उद्योगों को दी गई छूट के बाद अब दिहाड़ी मजदूर वापस काम पर लौट रहे हैं. इसके अलावा मजदूरों को भी उनका रोजगार वापस मिल गया है. वहीं केंद्र सरकार द्वारा दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों, छात्रों और अन्य लोगों को उनके राज्य तक पहुंचाया जा रहा है. जिसको देखते हुए सिरसा की सामाजिक संस्थाओं ने अब लंगर बंद करने का निर्णय लिया है.

ये भी पढे़ंः हरियाणा सरकार ने घर भेजे 23,452 प्रवासी मजदूर

इसलिए बंद की सेवा

सिरसा में समाजसेवी राजू शर्मा का कहना है कि लॉकडाउन के पहले दिन से हर रोज करीब 5 हजार लोगों को सुबह और 5 हजार लोगों को शाम में खाना खिलाया जाता था. इस दौरान ये ध्यान रखा जाता था कि कोई भी मजदूर या गरीब भूखा ना सोए. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन 3 के साथ ही मजदूरों को वापस उनके घर भेजा जा रहा है, कुछ को रोजगार भी मिल गया ऐसे में लंगर की जरूरत महसूस ना होते हुए हमने इसे बंद करने का फैसला लिया है. उन्होंने ये भी कहा है कि अगर जरूरत पड़ती है तो फिर से लंगर चालू किया जाएगा.

सिरसाः कोरोना वायरस के चलते देश में 24 मार्च से लॉकडाउन लगा हुआ है. लॉकडाउन के पहले दिन से ही कई सामाजिक संस्थाएं आम लोगों की मदद में लगी हुई हैं. हरियाणा के सिरसा में भी लॉकडाउन के दौरान गरीब लोगों को खाने की समस्या ना हो इसको देखते हुए कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा दिहाड़ीदार मजदूरों, स्लम बस्ती में रहने वालों और अन्य जरूरतमंदों को खाना खिलाया जा रहा था, लेकिन अब इन संस्थाओं ने लंगर सेवा बंद करने का फैसला लिया है.

सिरसा में लॉकडॉन के पहले दिन से ही कई सामाजिक संस्थाएं जरूरतमंदों की मदद करने के लिए सामने आ रही हैं. लगातार करीब 40 दिनों तक इन संस्थाओं द्वारा सिरसा के सभी मजदूरों और स्लम बस्ती में रहने वाले लोगों और नाके पर तैनात पुलिसकर्मियों के लिए खाने का इंतजाम किया गया. सिरसा में रोजाना करीब डेढ़ लाख खाने के पैकेट शहर में जरूरतमंदों को बांटे जाते थे और उन्हें भूखा ना रहना पड़े इसके लिए दिन में दो बार खाने के पैकेट बांटे जाते थे.

सिरसा में सामाजिक संस्थाओं ने बंद की लंगर सेवा

संस्थाओं ने बंद की लंगर सेवा

3 मई को लॉकडाउन 3 में छोटे उद्योगों को दी गई छूट के बाद अब दिहाड़ी मजदूर वापस काम पर लौट रहे हैं. इसके अलावा मजदूरों को भी उनका रोजगार वापस मिल गया है. वहीं केंद्र सरकार द्वारा दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों, छात्रों और अन्य लोगों को उनके राज्य तक पहुंचाया जा रहा है. जिसको देखते हुए सिरसा की सामाजिक संस्थाओं ने अब लंगर बंद करने का निर्णय लिया है.

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इसलिए बंद की सेवा

सिरसा में समाजसेवी राजू शर्मा का कहना है कि लॉकडाउन के पहले दिन से हर रोज करीब 5 हजार लोगों को सुबह और 5 हजार लोगों को शाम में खाना खिलाया जाता था. इस दौरान ये ध्यान रखा जाता था कि कोई भी मजदूर या गरीब भूखा ना सोए. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन 3 के साथ ही मजदूरों को वापस उनके घर भेजा जा रहा है, कुछ को रोजगार भी मिल गया ऐसे में लंगर की जरूरत महसूस ना होते हुए हमने इसे बंद करने का फैसला लिया है. उन्होंने ये भी कहा है कि अगर जरूरत पड़ती है तो फिर से लंगर चालू किया जाएगा.

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