सिरसा: कोरोना संकट के बीच लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण इलाकों में मनरेगा मजदूरों के लिए सबसे फायदेमंद योजना साबित हुई. हरियाणा के सिरसा जिले की बात करें तो यहां पर लॉकडाउन के दौरान मनरेगा मजदूरों की संख्या काफी बढ़ गई थी. आंकड़ों की मानें तो सरकार ने अप्रैल, मई, जून और जुलाई में मनरेगा के मजदूरों को 11 करोड़ 22 लाख रुपये की मजदूरी दी.
सिरसा जिले से ज्यादातर लोग कृषि अधारित मजदूरी करते हैं, लेकिन मनरेगा के तहत कृषि अधारित मजदूरी नहीं करवाई जाती. इसलिए इस क्षेत्र से मनरेगा के तहत औसतन कम लोग ही मजदूरी करते हैं, फिर भी लॉकडाउन के दौरान लोगों ने मनरेगा का भरपूर फायदा उठाया.
जून महीने में सिर्फ सिरसा जिले में 1 लाख 45 हजार 556 लोग काम पर आए, लेकिन अनलॉक होने की वजह से अब लोग अपने काम धंधे पर लौट चुके हैं. इस वजह से दिसंबर महीने में मनरेगा के तहत महज 20 हजार 234 लोगों ने ही रोजगार का लाभ उठाया.
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मनरेगा में काम करवा रहे ठेकेदार ने बताया की हमारे नानकपुर गांव में मनरेगा के तहत सबसे ज्यादा काम मिला है. करीब 100 से अधिक लेबर काम कर रही है. सरकार की तरफ से किसी भी तरह की कोई दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ रहा है, बल्कि सरकार ने गांव में मनरेगा के तहत काफी काम दिया है.
लॉकडाउन के दौरान सिरसा में मनरेगा के मजदूरों को काफी मिला. सरकार ने भी मनरेगा के मजदूरों को समय पर दिहाड़ी दी. लेकिन जैसे-जैसे अनलॉक शुरू हुआ तो मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों की संख्या घटती चली गई. जहां सरकार ने अप्रैल, मई, जून और जुलाई में मनरेगा के मजदूरों को 11 करोड़ 22 लाख रुपये की मजदूरी दी. वहीं अगस्त, सितंबर, अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर महीने में 9 करोड़ 53 लाख रुपये मजदूरी दी.
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