सिरसा: लॉकडाउन के दौरान जहां प्रशासन द्वारा मजदूरों किसानों और अन्य लोगों को सहूलियत दी जा रही है. वहीं, भेड़ बकरी पालकर अपना गुजर-बसर करने वाले गड़रिया और उनके मवेशियों पर संकट छाया हुआ है. ये गड़ेरिए अपने मवेशियों को गांव में ही चराने को मजबूर हैं. जहां चारा ना मिलने पर वो उसे छुपते छुपाते और डरते हुए गांव के बाहर लाकर चराते हैं. लेकिन उन्हें हर पल ये डर सताता रहता है कि कहीं पुलिस उन्हें ना पकड़ ले.
गड़रियों पर लॉकडाउन का असर
लॉकडाउन का प्रभाव सिर्फ आम लोगों पर नहीं बल्कि जानवरों पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. पूरे देश में 3 मई तक लॉकडाउन को लागू किया गया है. लेकिन इस दौरान मवेशियों पर इसका संकट देखने को मिल रहा है. गड़ेरिए अपने भेड़ बकरियों को गांव में ही चराने को मजबूर हैं.
लॉकडाउन में गांव से निकलने की अनुमति
गड़ेरियों को लॉकडाउन में गांव से निकलने की अनुमति नहीं है. जिस कारण वो अपने गांव में ही इन मवेशियों को चराने के लिए मजबूर हो रहे हैं. लेकिन वहां चारा ना मिलने के कारण उनके मवेशी भूखे रह जाते हैं. जिसकी वजह से ये अपने मवेशियों को गांव से बाहर लाकर चराते हैं. हालांकि उन्हें पुलिस का डर सताता रहता है. लेकिन उनके मवेशी भूखे ना मरे इसके लिए वे इन्हें गांव से बाहर ले आते हैं.
सस्ते में बेच रहे भेड़
मवेशियों के मालिक नीरज ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से सभी कारखाने बंद हो गए हैं. जिसकी वजह से हमारे मवेशी के दाम बिल्कुल कम हो गए हैं. लोग 5000 की भेड़े 2000 में मांग रहे हैं और सस्ते दामों में मवेशियों को खरीद कर स्टॉक कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि परिवार को पालने के लिए हम भी इतना घाटा सहकर इन्हें 2000 में बेचने के लिए मजबूर हैं. क्योंकि जिला प्रशासन की ओर से अभी तक उनके पास कुछ भी राशन नहीं पहुंचा है.
वहीं उन्होंने कहा कि बैंक में 500 आए हैं लेकिन उन्हें वो पैसे भी लेने जाने में डर लगता है. क्योंकि पुलिस रास्ते मे रोक लेती है और वापस भेज देती है. उन्होंने कहा कि 500 रुपये में वो अपना और अपने परिवार व अपने मवेशियों गुजारा कैसे कर पाएंगे.
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