सिरसा: इन दिनों पूरे उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. कई लोग ऐसे होते है जिनके सिर पर छत नहीं होता. ऐसे ही बेसहारा को सहारा देने के लिए सरकार लाखों रुपये रैन बसेरे बनाने में खर्च करती है, ताकि लोग सर्दी से बच सके. इस बीच सिरसा में रैन बसेरे के क्या हाल है ईटीवी भारत की टीम ने जायजा लिया.
एसडीएम ने किया रैन बसेरे का औचक निरीक्षण
बता दें कि राहगीरों व खुले में सोने वाले लोगों के लिए प्रशासन ने लाखों रुपये की लागत से रैन बसेरा बना रखा है. इसमें तीन हॉल, बाथरूम, किचन सहित अन्य सभी जरूरी सुविधाएं प्रशासन ने उपलब्ध करवा रखी हैं. बस स्टेंड व रेलवे स्टेशन से करीब 3 किमी की दूरी पर रैन बसेरा होने व कर्मचारियों की उदासीनता के चलते इसका फायदा जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है.
अंदर से बंद मिला रैन बसेरा
रैन बसेरे के खुलने का समय शाम छह बजे से लेकर रात को 11 बजे तक है. बावजूद इसके रैन बसेरे में तैनात दो कर्मचारी सात बजे ही रैन बसेरे को ताला लगा देते हैं. उसके बाद हाड कंपकंपा देने वाली सर्दी से परेशान कोई राहगीर भीतर दाखिल नहीं हो सकता है. खुद एसडीएम जयवीर यादव ने भी इस रैन बसेरे का औचक निरीक्षण किया. उस दौरान रैन बसेरा भीतर से बंद मिला था.
एसडीएम ने दिए कड़े निर्देश
कर्मचारी भीतर से ताला लगाकर आराम फरमा रहे थे. एसडीएम के सुरक्षा कर्मी ताला खुलवाया तब जाकर रैन बसेरे का निरीक्षण हो सका. मौके पर कोई राहगीर रैन बसेरे में नहीं मिला. एसडीएम ने कर्मचारियों फटकार लगाई और रात 11 बजे तक रैन बसेरे को खुला रखने के कड़े निर्देश दिए.
एसडीएम जयवीर यादव ने कहा कि रैन बसेरे में प्रशासन ने समुचित व्यवस्थाएं करवा रही हैं. महिलाओं व पुरुषों के लिए अलग-अलग हॉल बनाए गए हैं. कर्मचारियों की जो गलतियां हैं उनमें अब से सुधार किया जाएगा. रात को कोई भी राहगीर यहां आकर रात बीता सकता है. खुले में सोने वाले लोगों को प्रशासनिक टीमों द्वारा जागरूक किया जाएगा.
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डबवाली रोड पर टाऊन पार्क के पास रोडवेज की कंडम बस में बनाए गए अस्थाई रैन का लोगों ने फायदा उठाना शुरू कर दिया है. ठिठुराती ठंड से खुले आसमान की नीचे रात गुजारने को मजबूर लोगों के प्रशासन द्वारा शुरू किया गया. अस्थाई रैन फायदेमंद साबित हो रहा है.