सिरसा: पिछले दिनों सिरसा में टिड्डी दल के आक्रमण से सिरसा के किसानों को काफी नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है. सिरसा के ऐलनाबाद और चोपटा क्षेत्र के दर्जन भर गांवों में टिड्डी दल ने प्रवेश किया था और किसानों की नरमे, कपास सहित अनेक फसलों को अपनी चपेट में लिया था.
किसानों को मुआवजे देने के लिए भेजी जाएगी रिपोर्ट
वहीं कृषि विभाग ने सिरसा में टिड्डी दल द्वारा करीब 700 से 800 एकड़ में नुकसान होने की संभावना जताई है. कृषि विभाग के अनुसार दो दिन तक टिड्डी दल के आक्रमण का आंकलन कर लिया गया है और अब ये रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजी जाएगी ताकि किसानों को उनकी खराब हुई फसलों का मुआवजा दिया जा सके.
सिरसा कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ. बाबू लाल ने बताया कि कृषि विभाग ने टिड्डी दल के आक्रमण से हुए नुकसान का आंकलन किया है. टिड्डी दल के आक्रमण से नरमे, कपास की फसलों को नुकसान हुआ है. करीब 700-800 एकड़ में नुकसान होने की संभावना है. किसानों की 10 से 15 फीसदी फसल को नुकसान होने का अनुमान है. ज्यादातर किसानों से कृषि विभाग के अधिकारी रिपोर्ट ले चुके हैं और बाकी बचे किसानों से अभी रिपोर्ट ली रही है जिसके बाद ये रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी जिसके बाद पीड़ित किसानों के मुआवजे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
राजस्थान से सिरसा में आया था टिड्डी दल
गौरतलब है कि राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के सिरसा जिले में टिड्डी दल ने पिछले दिनों प्रवेश किया था. टिड्डी दल ने ऐलनाबाद और चोपटा क्षेत्र से सिरसा में प्रवेश किया. ये टिड्डी दल करीब दो किमी लंबा और दो किमी चौड़ा था. इसमें लाखों की संख्या में टिड्डी थीं जिन्होंने सिरसा में कई सौ एकड़ फसल को तबाह कर दिया था.
हरियाणा में बना हुआ है टिड्डी दल का खतरा
टिड्डी दल पिछले वर्ष ही देश में आ गए थे. पिछले वर्ष पश्चिमी भारत में मानसून सामान्य से कई सप्ताह पहले शुरू हुआ और नवंबर तक सक्रिय रहा. मानसून लंबा होने के कारण टिड्डियों के लिए न केवल प्रचुर मात्रा में भोजन देने वाली वनस्पतियां बहुतायत में पैदा हुई वहीं प्रजनन की अनुकूल स्थिति मिल गई. वहीं प्रदेश में खतरा अभी बरकरार है. हरियाणा में टिड्डियों का इतना बड़ा हमला वर्ष 1993 के बाद पहली बार हुआ है.
टिड्डी दल के खाने की क्षमता 10 हाथी से भी ज्यादा है
टिड्डी चेतावनी संगठन की मानें तो ऐतिहासिक रूप से रेगिस्तानी टिड्डी हमेशा से ही मानव कल्याण की दृष्टि से बड़ा खतरा रही है. प्राचीन ग्रंथों बाइबल और पवित्र कुरान में रेगिस्तानी टिड्डी को मनुष्यों के लिए अभिशाप के रूप में माना गया है. टिड्डी द्वारा की गई क्षति और नुकसान का दायरा इतना बड़ा है जो कल्पना से भी परे है, क्योंकि इनकी बहुत अधिक खाने की क्षमता के कारण भुखमरी तक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
औसत रूप से एक छोटे टिड्डी का झुंड एक दिन में इतना खाना खा जाता है, जितना दस हाथी, 25 ऊंट या 2500 व्यक्ति खा सकते हैं. टिड्डियां पत्ते, फूल, फल, बीज, तने और उगते हुए पौधों को खाकर नुकसान पहुंचाती हैं और जब ये टिड्डी दल पेड़ों पर बैठता है तो इनके भार से पेड़ तक टूट जाते हैं.
अलग-अलग प्रकार की होती है टिड्डी
एक्सपर्ट रिपोर्ट के अनुसार एक दल 740 वर्ग किलोमीटर तक बड़ा हो सकता है. इनसे दुनिया के करीब 60 देश प्रभावित हैं. भारतीय टिड्डी चेतावनी संगठन के अनुसार टिड्डी कई प्रकार की होती है. रेगिस्तानी टिड्डी, बॉम्बे टिड्डी, प्रवासी टिड्डी, इटेलियन टिड्डी, मोरक्को टिड्डी, लाल टिड्डी, भूरी टिड्डी, दक्षिणी अमेरिकन टिड्डी, ऑस्ट्रेलियन टिड्डी एवं वृक्ष टिड्डी प्रमुख प्रजातियां शामिल हैं.
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