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आढ़ती एसोसिएशन के खरीद बंद करने के बाद सिरसा अनाज मंडी में लगा फसल का ढेर, किसानों में गुस्सा - Sirsa Grain Market

Problem in Sirsa Mandi: सिरसा अनाज मंडी में अव्यवस्थाओं से किसान परेशान हैं. ना तो आढ़ती खरीद रहे हैं और ना ही खरीदी हुई फसल का उठान हो रहा है. जिसकी वजह से मंडी में चारों तरफ फसल का ढेर लग गया है.

Sirsa Grain Market
Arhtiya Association Sirsa
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 9, 2023, 8:04 PM IST

सिरसा: हरियाणा में इस समय खरीफ फसल की खरीददारी चल रही है. सरकार दावा करती है कि फसल की खरीद के साथ ही उसकी उठान भी कर ली जाती है और फसल की राशि 72 घंटे में किसानों के खाते में पहुंच जाती है. लेकिन सिरसा की मंडी में सच्चाई कुछ और है. मंडी में चारों तरफ फसल का ढेर लग गया है. हालात ये है कि कहीं बैठने तक की जगह नहीं है. लेकिन फसल का उठान नहीं हो रहा है.

हरियाणा सरकार, मार्केट कमेटी और मंडी आढ़ती एसोसिएशन सिरसा की नाकामी के कारण मंडियों में हालात बद से बदतर हो गए हैं. उठान ना होने के कारण मंडियों में चारों तरफ फसलों का ढेर लग गया है. भारतीय किसान एकता (बीकेई) अध्यक्ष लखविंद्र सिंह औलख ने मंडी में व्यवस्थाओं की पोल खोलते हुए कहा कि हरियाणा सरकार, मार्केट कमेटी और मंडी आढ़ती एसोसिएशन सिरसा ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए 5 दिन तक मंडी में बासमती धान की खरीद बंद करने का तुगलकी फरमान जारी किया.

Problem in Sirsa Mandi
सिरसा मंडी में चारों तरफ रखी फसल.

ये भी पढ़ें- सिरसा अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन का बड़ा फैसला, 5 दिन बंद रहेगी फसलों की बोली, जानें पूरा मामला

छठे दिन किसान अपनी फसल लेकर आएगा, उसी दिन मंडी में पूरी भीड़ होगी, जिसका फायदा खरीदार उठाएगा और किसान की फसल 200 से 300 रुपए प्रति क्विंटल सस्ती खरीदेगा. औलख ने कहा कि दीपावली का त्योहार सिर पर है और ऐसे में त्योहार को मनाने के लिए किसान के साथ-साथ मजदूरों को भी पैसे की जरूरत है. आढ़तियों ने किसानों के साथ लूट का नया फरमान जारी कर दिया है.

Problem in Sirsa Mandi
मंडी में कहीं खड़े होने तक की जगह नहीं है.

दरअसल आढ़ती एसोसिएशन सिरसा ने 5 दिन तक फसल नहीं खरीदने का ऐलान किया है. बीकेई का कहना है कि 5 दिनों बाद जब किसान मंडी में फसल बेचने आएगा तो उसे औने-पौने दामों में फसल बेचने पर मजबूर होना पड़ेगा. मंडी से किसान के साथ-साथ काफी लोग जुड़े हुए हैं. सरकार के पास सब कुछ होते हुए भी मंडियों में खरीद के पुख्ता प्रबंध नहीं किए गए, जिसका खामियाजा किसानों को मंडियों में धक्के खाकर भुगतना पड़ रहा है. बासमती धान हर बार प्राइवेट हाथों में बेचा जाता है. कुछ ब्रोकर और बाहरी एजेंसियां धान की खरीद कर रही हैं, जिसके जिम्मेदार हरियाणा सरकार, आढ़ती और मार्केट कमेटी के अधिकारी हैं.

ये भी पढ़ें- आढ़ती एसोसिएशन का सिरसा एसपी को ज्ञापन, 3 दिन में नहीं हुई चोरियों पर कार्रवाई तो मंडी करेंगे बंद

सिरसा: हरियाणा में इस समय खरीफ फसल की खरीददारी चल रही है. सरकार दावा करती है कि फसल की खरीद के साथ ही उसकी उठान भी कर ली जाती है और फसल की राशि 72 घंटे में किसानों के खाते में पहुंच जाती है. लेकिन सिरसा की मंडी में सच्चाई कुछ और है. मंडी में चारों तरफ फसल का ढेर लग गया है. हालात ये है कि कहीं बैठने तक की जगह नहीं है. लेकिन फसल का उठान नहीं हो रहा है.

हरियाणा सरकार, मार्केट कमेटी और मंडी आढ़ती एसोसिएशन सिरसा की नाकामी के कारण मंडियों में हालात बद से बदतर हो गए हैं. उठान ना होने के कारण मंडियों में चारों तरफ फसलों का ढेर लग गया है. भारतीय किसान एकता (बीकेई) अध्यक्ष लखविंद्र सिंह औलख ने मंडी में व्यवस्थाओं की पोल खोलते हुए कहा कि हरियाणा सरकार, मार्केट कमेटी और मंडी आढ़ती एसोसिएशन सिरसा ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए 5 दिन तक मंडी में बासमती धान की खरीद बंद करने का तुगलकी फरमान जारी किया.

Problem in Sirsa Mandi
सिरसा मंडी में चारों तरफ रखी फसल.

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छठे दिन किसान अपनी फसल लेकर आएगा, उसी दिन मंडी में पूरी भीड़ होगी, जिसका फायदा खरीदार उठाएगा और किसान की फसल 200 से 300 रुपए प्रति क्विंटल सस्ती खरीदेगा. औलख ने कहा कि दीपावली का त्योहार सिर पर है और ऐसे में त्योहार को मनाने के लिए किसान के साथ-साथ मजदूरों को भी पैसे की जरूरत है. आढ़तियों ने किसानों के साथ लूट का नया फरमान जारी कर दिया है.

Problem in Sirsa Mandi
मंडी में कहीं खड़े होने तक की जगह नहीं है.

दरअसल आढ़ती एसोसिएशन सिरसा ने 5 दिन तक फसल नहीं खरीदने का ऐलान किया है. बीकेई का कहना है कि 5 दिनों बाद जब किसान मंडी में फसल बेचने आएगा तो उसे औने-पौने दामों में फसल बेचने पर मजबूर होना पड़ेगा. मंडी से किसान के साथ-साथ काफी लोग जुड़े हुए हैं. सरकार के पास सब कुछ होते हुए भी मंडियों में खरीद के पुख्ता प्रबंध नहीं किए गए, जिसका खामियाजा किसानों को मंडियों में धक्के खाकर भुगतना पड़ रहा है. बासमती धान हर बार प्राइवेट हाथों में बेचा जाता है. कुछ ब्रोकर और बाहरी एजेंसियां धान की खरीद कर रही हैं, जिसके जिम्मेदार हरियाणा सरकार, आढ़ती और मार्केट कमेटी के अधिकारी हैं.

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