सिरसा: लॉकडाउन में किराना, दूध और फल-सब्जी की दुकानों को छोड़ कर बाकी सभी तरह की खाने पीने की दुकाने बंद कर दी गई. ऐसे में सिरसा में मुर्गी पालन का काम कर अपना गुजर-बसर कर रहे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
उनके घर के खर्च से लेकर बच्चों के स्कूल का खर्चा इस कारोबार से ही वहन होता है लेकिन आज उसी कारोबार ने उन्हें बर्बादी की कगार पर खड़ा कर दिया है, वजह है कोरोना वायरस और कोरोना वायरस की वजह से लगाया गया 21 दिनों का लॉकडाउन. उनके फार्मो में मुर्गे पूरी तरह से तैयार होने के बाद भी वहीं पड़े हैं और उनकी बिक्री न होने की वजह से उनका जीवन अस्त व्यस्त हो गया है.
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पोल्ट्री फार्म के मालिक रमेश कुमार का कहना है कि लॉकडाउन के चलते उनके फार्मो में तैयार माल कई दिनों से ऐसे ही पड़ा है और कुछ हद तक मुर्गे मरने भी लगे हैं. उन्होंने सरकार से मांग की है कि दूसरे राज्यों में उनके माल की भारी मांग है, सरकार उन राज्यों में उनके माल को भेजने की इजाजत दे या फिर उन्हें हो रहे नुकसान का मुआवजा देना सुनिश्चित करे. पिछले करीब एक महीने से हमें नुकसान झेलना पड़ रहा है. अगर ऐसा ही हाल रहा तो पोल्ट्री फार्मिंग खत्म हो जाएगी.
बता दें कि कोरोना वायरस फैलने के बाद अकेले हरियाणा में मुर्गी कारोबार को करोड़ों रुपए का फटका लगा है. मुर्गों की बिक्री में 8 गुणा जबकि दाम में 5 गुणा तक की गिरावट दर्ज की गई है. इस समय हरियाणा में करीब 10 हजार मुर्गी फार्म हैं, जिनमें सालाना 10 करोड़ से अधिक मुर्गी पालन का कारोबार होता है.
दरअसल कोरोना वायरस के साइड इफैक्ट्स चिकन इंडस्ट्री पर सबसे ज्यादा पड़े हैं. पंजाब व हरियाण जैसे राज्यों में काफी मात्रा में नॉन वेज खाया जाता है, जिनमें चिकन मुख्य रूप से शामिल हैं. पशुधन विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में करीब 10 हजार मुर्गी फार्म हैं. हर साल करोड़ों की संख्या में मुर्गी पालन का धंधा होता है लेकिन कोरोना के डर से अब लोगों ने चिकन खाना बंद कर दिया है. कोरोना वायरस का असर मीट इंडस्ट्री साफ नजर आया है.
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