सिरसा: हमारे देश में मंदिरों का अलग ही महत्व है. देश के प्रत्येक कोने में अलग-अलग देवी देवताओं के मंदिर बने हुए हैं. इन मंदिरों में कुछ ऐसे भी मंदिर हैं, जो हजारों साल पुराने हैं. इन मंदिरों में कुछ ऐसे भी मंदिर हैं, जो चमत्कारी होने की पहचान रखते हैं. जिनमें मन्नत मांगने से बड़ी-बड़ी बीमारियां दूर हो जाती हैं.
ये भी पढ़ें: पलवल: महाशिवरात्रि पर्व को लेकर मंदिरों में सुबह से ही लगा रहा श्रद्धालुओं का तांता
आज हम आपको हरियाणा के सिरसा जिले में बने एक ऐसे ही मंदिर में लेकर जा रहे हैं. जो अपने आप में चमत्कारी मंदिर माना जाता है. 200 साल से भी पुराना ये मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. सिरसा के प्रतापगढ़ के अंदर बने इस मावड़ी माता के मंदिर में देश के कोने कोने से लोग अपनी मन्नत लेकर आते हैं और कहा जाता है कि माता ने कभी किसी को खाली हाथ नहीं लौटाया.
दो सौ साल से भी पूराना है मंदिर
मंदिर के पुजारी विजय शर्मा से जब इस विषय पर बात की गई. तो उन्होंने कहा की ये मंदिर 200 साल से भी पुराना है. हर महीने तीन दिनों तक यहां मेला लगता है और पूरे देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां माथा टेकने आते है. पुजारी ने बताया की मावड़ी माता की मूर्ति जमीन से निकली हुई है और इसे यहीं स्थापित किया गया है.
सिरसा के अलावा पाकिस्तान में है मावड़ी माता का मंदिर
उन्होंने कहा की भारत पूरे देश में केवल एक ही मावड़ी माता का मंदिर है. भारत के बाद पाकिस्तान में मावड़ी माता का मंदिर बना हुआ है. उन्होंने बताया की यदि किसी को भी आंख, कान, नाक या अपाहिज जैसी समस्या है. तो यहां मन्नत मानने मात्र से ही बीमारी दूर हो जाती है.
ये भी पढ़ें: पानीपत: सिख समाज ने राम मंदिर निर्माण के लिए दिए 5 लाख रुपये
श्रद्धालुओं को है मावड़ी माता में गहरी आस्था
वहीं जब इस विषय पर श्रद्धालुओं से बात की गई तो उन्होंने बताया की इस मंदिर में मिट्टी निकालने मात्र से ही बीमारियां दूर हो जाती है. 73 साल की निर्मला जब छोटी सी थी तभी ही मंदिर में आ रही है. निर्मला ने बताया की बहुत से श्रद्धालु यहां से ठीक होकर गए हैं.
ये भी पढ़ें: हरियाणा की धर्म नगरी में बनेगा देश का पहला गीता मंदिर, नागर शैली में होगा निर्माण
मावड़ी माता के मंदिर के बारे में बताया जाता है कि माता की मूर्ती जमीन से निकली हुई है .और जहां से लोगों को ये मूर्ती मिली. मंदिर का गर्भ गृह वहीं पर है. बताया जाता है कि इस मूर्ती को चोरों ने दो बार चुराने की कोशिश की, लेकिन कभी इस मंदिर के परिसर से बाहर नहीं ले जा पाए.