चंडीगढ़: हरियाणा में एक बार फिर से चुनावी माहौल आ गया है. ऐलनाबाद उपचुनाव (ellenabad by election) की तारीख घोषित कर दी गई है. ऐलनाबाद उपचुनाव 30 अक्टूबर को होंगे. जबकि वोटों की गिनती 2 नवंबर को की जाएगी. ऐलनाबाद सीट पर चुनाव की तारीख का एलान होते ही सभी पार्टियां भी रणनीति बनाने में जुट गई हैं. हमने भाजपा, इनेलो और कांग्रेस से चुनावी रणनीति के बारे में बात की.
बीजेपी-जेजेपी में से किसका होगा उम्मीदवार- भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण अत्रे ने कहा कि भाजपा और जेजेपी गठबंधन मिलकर उपचुनाव लड़ेगा. जिस पर दोनों पार्टियां बैठकर चर्चा करेंगी. अगर उम्मीदवार भाजपा से होगा तो भाजपा कोर कमेटी की बैठक उम्मीदवार का नाम तय करेगी. इसके अलावा इनेलो पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अगर इनेलो किसान आंदोलन का फायदा इस चुनाव में लेने की सोच रही है तो इनेलो को इसका फायदा नहीं मिलेगा. क्योंकि प्रदेश की जनता ये जान चुकी है कि किसान आंदोलन किसानों का नहीं बल्कि राजनीतिक लोगों का है, जो अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं पूरी करने के लिए किसानों का इस्तेमाल कर रहे हैं. अब हरियाणा का किसान प्रदेश सरकार के साथ है.
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कांग्रेस की ये होगी रणनीति- वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता केवल ढींगरा ने कहा कि ऐलनाबाद किसान बहुल इलाका है और किसान आज ये समझ चुका है कि भाजपा किसान विरोधी सरकार है, जो किसानों को कभी भला नहीं करती. ऐसे में भाजपा इस चुनाव में जीत का सपना तो भूल जाए. इसके अलावा उन्होंने कहा कि हरियाणा में पिछले उपचुनाव बरोदा में हुए थे. जिसमें कांग्रेस ने भारी मतों से जीत हासिल की थी और इन चुनावों में भी कांग्रेस बड़ी जीत हासिल करेगी. केवल ढींगरा ने इनेलो को लेकर कहा कि इनेलो तो भाजपा की बी टीम है. जब प्रदेश में इनेलो की सरकार थी तब इनेलो भाजपा का गठबंधन था और आज भी है. दोनों पार्टियां एक दूसरे की वोट की अदला-बदली करती हैं.
इनेलो को नहीं किसी तैयारी की जरूरत- ऐलनाबाद उपचुनाव को लेकर इनेलो प्रवक्ता रजत पंजेटा ने कहा कि इनेलो को ऐलनाबाद उपचुनाव को लेकर तैयारी करने की जरूरत नहीं है क्योंकि इनेलो के साथ ऐलनाबाद का हर परिवार जुड़ा हुआ है और वह भी आज से नहीं बल्कि चौधरी देवीलाल के वक्त से, हर परिवार इनेलो के साथ है. ऐलनाबाद इनेलो की ही सीट थी और आगे भी रहेगी. तैयारी तो दूसरी पार्टियों को करने की जरूरत है. उम्मीदवार के नाम की घोषणा को लेकर उन्होंने कहा कि फिलहाल यह तय नहीं है कि इनेलो की ओर से चुनाव कौन लड़ेगा, लेकिन पार्टी जल्द ही उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर देगी.
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ऐलनाबाद सीट का इतिहास- बता दें कि, 27 जनवरी 2021 को किसान आंदोलन के समर्थन में इनेलो के ऐलनाबाद से विधायक अभय सिंह चौटाला ने इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद ऐलनाबाद की सीट खाली हो गई थी. कोरोना के कारण इस चुनाव को टाला जा रहा था, लेकिन अब जब तारीखों का एलान हो गया है तो ऐसे में ऐलनाबाद का चुनावी इतिहास भी जान लेते हैं. साल 2000 से लेकर 2019 के विधानसभा चुनाव तक यहां पर इनेलो के उम्मीदवारों का दबदबा रहा है. ऐलनाबाद सीट इंडियन नेशनल लोकदल की पारंपरिक सीट है. इससे पहले भी यहां दो बार उपचुनाव हो चुके हैं, और दोनों बार इनेलो ही जीती. सबसे पहले साल 1970 में ऐलनाबाद में उपचुनाव हुआ था जिसमें चौ. ओमप्रकाश चौटाला ने जीत का परचम लहराया.
दूसरी बार साल 2010 में उपचुनाव हुआ. जिसमें अभय सिंह चौटाला ने जीत दर्ज की. ऐलनाबाद की सीट साल 2009 में आरक्षित से हटकर सामान्य हो गई थी. अभय सिंह चौटाला पिछले तीन चुनाव से यहां से जीतते आ रहे हैं. पिछले चुनाव यानी 2019 के विधानसभा चुनाव में जरूर अभय चौटाला को बीजेपी के पवन बेनिवाल ने टक्कर दी थी. तब हार जीत का मार्जिन केवल 11 हजार 922 वोट था. अब देखना ये होगा कि ऐलनाबाद में जीत की हैट्रिक लगा चुके इनेलो नेता अभय चौटाला क्या एक बार फिर यहां से चुनाव लड़ेंगे और अगर लड़े तो क्या जीत दर्ज कर पाएंगे.
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