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सिरसा में धूमधाम से मनाया गया गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व

सिरसा में श्री गुरुनानक देव जी महाराज का 550वां प्रकाश पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया. प्रकाश पर्व के मौके पर भारी संख्या में श्रदालु गुरुद्वारा पहुंचे और गुरुग्रंथ साहिब के आगे मत्था टेका. गुरुनानक देव जी अपनी दूसरी उदासी पर सिरसा में करीब चार महीने बिताए थे.

guru nanak dev 550th birth anniversary celebration in sirsa
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Published : Nov 12, 2019, 10:45 PM IST

सिरसा: श्री गुरुनानक देव जी महाराज का 550वां प्रकाश पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया गया. गुरु नानक देव की शिक्षाओं और समाज के प्रति उनके योगदान को याद कर पूरे देश उन्हें नमन किया. इसी कड़ी में सिरसा में गुरुद्वारा को भव्य तरीके से सजाया गया था.

सिरसा में 550वें प्रकाश पर्व की धूम

इस प्रकाश पर्व के मौके पर भारी संख्या में श्रदालु गुरुद्वारा पहुंचे और गुरुग्रंथ साहिब के आगे मत्था टेका. इस अवसर पर प्रसाद, लंगर का भी आयोजन किया गया.

गुरुनानक देव जी ने सिरसा में बिताए थे 4 महीने

इतिहासकारों के अनुसार गुरुनानक देव जी अपनी दूसरी उदासी पर सिरसा में करीब चार महीने बिताए थे. इस दौरान उन्होंने 40 दिन का चिल्ला रख उपवास किया था. माना जाता हैं गुरुनानक देव जी ने 40 दिन तपस्या कर उन दिनों समाज को पाखंडवाद से दूर कर अध्यात्म की राह दिखाई थी. गुरुनानक देव अपने शिष्य मरदाना के साथ बटिंढ़ा होते हुए सिरसा पहुंचे थे.

सिरसा में 550 वें प्रकाश पर्व की धूम, देखें वीडियो

ये भी जाने- गुरुग्राम में गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व की धूम, फूलों और लड़ियों से सजे गुरुद्वारे

गुरुद्वारे को सजाया गया

गुरु नानक देव जी के ठहरने के ऐतिहासिक जगह पर गुरुद्वारा चिल्ला साहिब बना हुआ है. गुरूद्वारे चिल्ला साहिब में मत्था टेकने आए श्रद्धालुओं ने बताया कि गुरुनानक देव जी ने सभी धर्मों का आदर करते हुए समाज को एक अच्छी राह दिखाई थी.

गुरु नानक देव जी का जन्म

बता दें कि गुरू नानक देव जी सिखों के पहले गुरु थे. उनका जन्म सन् 1469 में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को हुआ था. गुरु नानक देव जी की वाणी में जीवन को सरलतम और श्रेष्ठतम बनाने के उपाय माने जाते हैं. उन्होंने हार-जीत, मान-अपमान, इच्छा-लोभ को दुख का कारण बताया है. मोह को घिसकर स्याही बनाओ, बुद्धि को श्रेष्ठ कागज और प्रेम को कलम बनाकर चित्त को लेखक बनाओ. जैसी कई बातें गुरू नानक जी ने कही है.

सिरसा: श्री गुरुनानक देव जी महाराज का 550वां प्रकाश पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया गया. गुरु नानक देव की शिक्षाओं और समाज के प्रति उनके योगदान को याद कर पूरे देश उन्हें नमन किया. इसी कड़ी में सिरसा में गुरुद्वारा को भव्य तरीके से सजाया गया था.

सिरसा में 550वें प्रकाश पर्व की धूम

इस प्रकाश पर्व के मौके पर भारी संख्या में श्रदालु गुरुद्वारा पहुंचे और गुरुग्रंथ साहिब के आगे मत्था टेका. इस अवसर पर प्रसाद, लंगर का भी आयोजन किया गया.

गुरुनानक देव जी ने सिरसा में बिताए थे 4 महीने

इतिहासकारों के अनुसार गुरुनानक देव जी अपनी दूसरी उदासी पर सिरसा में करीब चार महीने बिताए थे. इस दौरान उन्होंने 40 दिन का चिल्ला रख उपवास किया था. माना जाता हैं गुरुनानक देव जी ने 40 दिन तपस्या कर उन दिनों समाज को पाखंडवाद से दूर कर अध्यात्म की राह दिखाई थी. गुरुनानक देव अपने शिष्य मरदाना के साथ बटिंढ़ा होते हुए सिरसा पहुंचे थे.

सिरसा में 550 वें प्रकाश पर्व की धूम, देखें वीडियो

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गुरुद्वारे को सजाया गया

गुरु नानक देव जी के ठहरने के ऐतिहासिक जगह पर गुरुद्वारा चिल्ला साहिब बना हुआ है. गुरूद्वारे चिल्ला साहिब में मत्था टेकने आए श्रद्धालुओं ने बताया कि गुरुनानक देव जी ने सभी धर्मों का आदर करते हुए समाज को एक अच्छी राह दिखाई थी.

गुरु नानक देव जी का जन्म

बता दें कि गुरू नानक देव जी सिखों के पहले गुरु थे. उनका जन्म सन् 1469 में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को हुआ था. गुरु नानक देव जी की वाणी में जीवन को सरलतम और श्रेष्ठतम बनाने के उपाय माने जाते हैं. उन्होंने हार-जीत, मान-अपमान, इच्छा-लोभ को दुख का कारण बताया है. मोह को घिसकर स्याही बनाओ, बुद्धि को श्रेष्ठ कागज और प्रेम को कलम बनाकर चित्त को लेखक बनाओ. जैसी कई बातें गुरू नानक जी ने कही है.

Intro:एंकर -गुरुनानक देव जी के 550 वें प्रकाश उत्सव सिरसा में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। सुबह से शहर के ऐतिहासिक गुरुद्वारा चिल्ला साहब में सुबह से शर्दालुओं का तांता लगा रहा। भारी संख्या में श्रदालु गुरुद्वारा पहुंचे और गुरुग्रंथ साहब के आगे शीश नवाया। इस अवसर पर अटूट लंगर भंडारे का भी आयोजन किया गया।

Body:वीओ -01इतिहासकारों के अनुसार गुरुनानक देव जी अपनी दूसरी उदासी पर सिरसा में करीब चार महीने बिताये थे। इस दौरान उन्होंने 40 दिन का चिल्ला रख उपवास किया था। माना जाता हैं कि उन दिनों आयोजित मेले में मुस्लिम बाबाओं द्वारा ताबित व झाडफूंक से बिमारी के इलाज का दावा करते थे लेकिन गुरुनानक देव जी ने 40 दिन तपस्या कर इन मुसलमानों को पाखंडवाद से दूर कर अध्यात्म की राह दिखाई थी। गुरुनानक देव अपने शिष्य मरदाना के साथ भटिंडा होते हुए सिरसा पहुंचे थे और आज उसी जगह ऐतिहासिक गुरुद्वारा चिल्ला साहब बना हुआ है।

वीओ -02 गुरूद्वारे चिल्ला साहब में मत्था टेकने आये शर्दालुओं ने बताया कि गुरुनानक देव जी ने सभी धर्मों का आदर करते हुए समाज को एक अच्छी राह दिखाई थी और उनकी शिक्षा कीरत करो और बंट छक्कों यानि सभी मानव जाती अपना अपना काम करते हुए सब मिलजुल कर रहो और पाखंडवाद से दूर रहने की शिक्षा भी उन्ही से मिलती है।

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