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सिरसा में PTI टीचर्स के अनशन का 5वां दिन, बड़े आंदोलन की दी चेतावनी

सिरसा में निकाले गए पीटीआई टीचर्स का अनशन पांचवें दिन भी जारी रहा. उन्होंने कहा कि जब तक उनकी बहाली नहीं की जाएगी, तब तक उनका अनशन जारी रहेगा.

fifth day of pti teachers hunger strike in sirsa
सिरसा में PTI टीचर्स के अनशन का 5वां दिन
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Published : Jun 19, 2020, 3:40 PM IST

सिरसा: नौकरी से निकाले गए पीटीआई अध्यापकों का जिला लघु सचिवालय के सामने धरना और आमरण अनशन पांचवें दिन भी जारी रहा. हालांकि शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की है, जिसके बाद कैबिनेट मंत्री चौ. रणजीत सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है.

ये तीन सदस्यीय कमेटी पीटीआई अध्यापकों को लेकर रिपोर्ट तैयार करेगी. जिसके आधार पर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. धरने पर बैठे पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि उन्हें राजनेताओं पर भरोसा नहीं है. जब तक कमेटी अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपती और जब तक उन्हें नौकरी पर दोबारा नहीं रख लिया जाता उनका धरना और अनशन जारी रहेगा.

सिरसा में PTI टीचर्स के अनशन का 5वां दिन, बड़े आंदोलन की दी चेतावनी.

बता दें कि, हरियाणा सरकार द्वारा 1983 पीटीआई अध्यापकों की ज्वाइनिंग सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रद्द कर दी गई थी. जिसके बाद पूरे प्रदेश के पीटीआई अध्यापक धरना प्रदर्शन कर दोबारा बहाली की मांग कर रहे हैं. सिरसा में भी पांच दिन से पीटीआई अध्यापकों का अनशन जारी है. उनकी चेतावनी है कि अगर उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गई तो वो अपना धरना राष्ट्रीय स्तर पर लेकर जाएंगे.

क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला ?

साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.

इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.

ये भी पढ़िए: शराब घोटाला: गुजरात और पंजाब राज्यों की मदद ले रही है एसआईटी

इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर उनकी नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं. बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों कहा कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए, इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करें.

सिरसा: नौकरी से निकाले गए पीटीआई अध्यापकों का जिला लघु सचिवालय के सामने धरना और आमरण अनशन पांचवें दिन भी जारी रहा. हालांकि शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की है, जिसके बाद कैबिनेट मंत्री चौ. रणजीत सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है.

ये तीन सदस्यीय कमेटी पीटीआई अध्यापकों को लेकर रिपोर्ट तैयार करेगी. जिसके आधार पर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. धरने पर बैठे पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि उन्हें राजनेताओं पर भरोसा नहीं है. जब तक कमेटी अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपती और जब तक उन्हें नौकरी पर दोबारा नहीं रख लिया जाता उनका धरना और अनशन जारी रहेगा.

सिरसा में PTI टीचर्स के अनशन का 5वां दिन, बड़े आंदोलन की दी चेतावनी.

बता दें कि, हरियाणा सरकार द्वारा 1983 पीटीआई अध्यापकों की ज्वाइनिंग सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रद्द कर दी गई थी. जिसके बाद पूरे प्रदेश के पीटीआई अध्यापक धरना प्रदर्शन कर दोबारा बहाली की मांग कर रहे हैं. सिरसा में भी पांच दिन से पीटीआई अध्यापकों का अनशन जारी है. उनकी चेतावनी है कि अगर उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गई तो वो अपना धरना राष्ट्रीय स्तर पर लेकर जाएंगे.

क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला ?

साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.

इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.

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इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर उनकी नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं. बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों कहा कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए, इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करें.

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