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सिरसा में अब गेहूं की फसल को लेकर किसान के सामने खड़ी हुई नई मुसीबत

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Published : Apr 19, 2020, 8:25 AM IST

देश भर में कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉक डाउन लगा हुआ है. ऐसे में किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हरियाणा में सरसों की बिक्री शुरू हो चुकी है लेकिन 20 अप्रैल से शुरू होने वाली गेहूं की बिक्री को लेकर किसानों के सामने बहुत मुसीबतें है.

सिरसा
सिरसा

सिरसा: किसानों के पास इस बार लॉक डाउन के दौरान मजदूर नहीं है. ऐसे में किसानों को परिवार सहित ही गेहूं की कटाई करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. कुछ किसान मशीनों के द्वारा गेहूं की कटाई जरूर कर रहे हैं लेकिन इस मशीन का खर्चा उन्हें खुद ही वहन करना पड़ रहा है. वहीं जिला प्रशासन ने किसानों को सरसों की तर्ज पर ही गेहूं की फसल मंडी में लाने के लिए कुछ हिदायतें दी हैं. साथ ही प्रशासन ने किसानों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए एहतियात बरतने के निर्देश भी दिए हैं.

गेहूं की फसल में सिरसा जिला हमेशा से ही आगे रहा है और यहां पर गेहूं की बम्पर पैदावार होती है. इस बार भी स्थिति कुछ वैसी ही है. किसानों को गेहूं की पैदावार बम्पर होने की उम्मीद है लेकिन कोरोना वायरस के चलते देशभर में लॉक डाउन है जिस कारण लोगों को दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं किसान भी इससे अछूता नहीं है. गेहूं की कटाई शुरू हो चुकी है लेकिन लॉक डाउन के चलते किसानों को सबसे बड़ी समस्या मज़दूर ना मिलने की है.

सिरसा
सिरसा में मशीन के जरिए भी फसल की कटाई की जा रही है.

हालांकि अधिकतर कटाई मशीनों के द्वारा ही की जाती है लेकिन सोशल डिस्टेन्सिंग की पालना के चलते प्रशासन द्वारा किसानों को छूट के साथ-साथ हिदायतें भी दी गई हैं. ऐसे में किसान को कटाई के बाद अपनी फसल को रखने की समस्या से दो चार होना पड़ेगा क्योंकि एक तो सरकारी खरीद 20 अप्रैल से शुरू होनी हैं, वहीं सोशल डिस्टेन्सिंग को लागू करवाने के लिए प्रशासन द्वारा एक सीमित संख्या में ही मंडियों में आने की इजाजत होगी.

ये भी पढ़ें- सिरसाः लॉकडाउन में फसल की कटाई के साथ खेत में पढ़ाई कर रहे छात्र

सिरसा के उपायुक्त रमेश चंद्र से ने कहा कि गेहूं की खरीद के लिए इस बार खरीद केन्द्रों की संख्या बढ़ाई गई है पिछली बार 59 सेंटर थे लेकिन इस बार 202 सेंटर बनाये गए हैं. उन्होंने बताया कि किसानों को पहले ही मेसेज करके बताया जाएगा कि उन्हें किस दिन अपनी फसल लेकर मंडी में आना है. पहले ये सारी प्रक्रिया जल्दी खत्म हो जाती थी लेकिन इस बार इस सारी प्रक्रिया में 2 महीने का वक्त लग सकता है.

उपायुक्त रमेश चंद्र ने बताया कि मज़दूरों की किसी तरह की कोई कमी नहीं है क्योंकि मनरेगा के तहत मज़दूर उपलब्ध हैं और हमने सभी गांव के सरपंचों से बात कर ली है वो मजदूर काम करने को तैयार हैं. उन्होंने बताया कि किसानों को किसी तरह की समस्या नहीं आने दी जाएगी. किसानों को इस विषय में छूट दी गई है. जिला में इस वक्त फसल कटाई के लिए 1 हज़ार मशीन हैं और दूसरे राज्यों से भी मशीनें मंगवाई जा रही हैं जिसे बॉर्डर पर ही चेकिंग और सैनिटाइज किया जा रहा है.

बता दें कि किसानों को अपना रजिस्ट्रेशन मेरी फसल मेरा ब्यौरा में करवाना होगा जिसके लिए 19 अप्रैल अंतिम तारीख है. लॉक डाउन के चलते किसानों को मज़दूर ना मिलने की दिक्क्त, मशीनों की समस्या, सोशल डिस्टेंस की पालना जैसी तमाम समस्याओं के चलते सारी प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी. अब ऐसे में देखना होगा कि सिरसा गेहूं में की पैदावार में आगे रहने की अपनी परम्परा को कैसे कायम रखता है.

ये भी पढ़ें- गुरुग्राम: पति ने क्रिकेट बैट से पीट-पीटकर की पत्नी की हत्या

सिरसा: किसानों के पास इस बार लॉक डाउन के दौरान मजदूर नहीं है. ऐसे में किसानों को परिवार सहित ही गेहूं की कटाई करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. कुछ किसान मशीनों के द्वारा गेहूं की कटाई जरूर कर रहे हैं लेकिन इस मशीन का खर्चा उन्हें खुद ही वहन करना पड़ रहा है. वहीं जिला प्रशासन ने किसानों को सरसों की तर्ज पर ही गेहूं की फसल मंडी में लाने के लिए कुछ हिदायतें दी हैं. साथ ही प्रशासन ने किसानों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए एहतियात बरतने के निर्देश भी दिए हैं.

गेहूं की फसल में सिरसा जिला हमेशा से ही आगे रहा है और यहां पर गेहूं की बम्पर पैदावार होती है. इस बार भी स्थिति कुछ वैसी ही है. किसानों को गेहूं की पैदावार बम्पर होने की उम्मीद है लेकिन कोरोना वायरस के चलते देशभर में लॉक डाउन है जिस कारण लोगों को दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं किसान भी इससे अछूता नहीं है. गेहूं की कटाई शुरू हो चुकी है लेकिन लॉक डाउन के चलते किसानों को सबसे बड़ी समस्या मज़दूर ना मिलने की है.

सिरसा
सिरसा में मशीन के जरिए भी फसल की कटाई की जा रही है.

हालांकि अधिकतर कटाई मशीनों के द्वारा ही की जाती है लेकिन सोशल डिस्टेन्सिंग की पालना के चलते प्रशासन द्वारा किसानों को छूट के साथ-साथ हिदायतें भी दी गई हैं. ऐसे में किसान को कटाई के बाद अपनी फसल को रखने की समस्या से दो चार होना पड़ेगा क्योंकि एक तो सरकारी खरीद 20 अप्रैल से शुरू होनी हैं, वहीं सोशल डिस्टेन्सिंग को लागू करवाने के लिए प्रशासन द्वारा एक सीमित संख्या में ही मंडियों में आने की इजाजत होगी.

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सिरसा के उपायुक्त रमेश चंद्र से ने कहा कि गेहूं की खरीद के लिए इस बार खरीद केन्द्रों की संख्या बढ़ाई गई है पिछली बार 59 सेंटर थे लेकिन इस बार 202 सेंटर बनाये गए हैं. उन्होंने बताया कि किसानों को पहले ही मेसेज करके बताया जाएगा कि उन्हें किस दिन अपनी फसल लेकर मंडी में आना है. पहले ये सारी प्रक्रिया जल्दी खत्म हो जाती थी लेकिन इस बार इस सारी प्रक्रिया में 2 महीने का वक्त लग सकता है.

उपायुक्त रमेश चंद्र ने बताया कि मज़दूरों की किसी तरह की कोई कमी नहीं है क्योंकि मनरेगा के तहत मज़दूर उपलब्ध हैं और हमने सभी गांव के सरपंचों से बात कर ली है वो मजदूर काम करने को तैयार हैं. उन्होंने बताया कि किसानों को किसी तरह की समस्या नहीं आने दी जाएगी. किसानों को इस विषय में छूट दी गई है. जिला में इस वक्त फसल कटाई के लिए 1 हज़ार मशीन हैं और दूसरे राज्यों से भी मशीनें मंगवाई जा रही हैं जिसे बॉर्डर पर ही चेकिंग और सैनिटाइज किया जा रहा है.

बता दें कि किसानों को अपना रजिस्ट्रेशन मेरी फसल मेरा ब्यौरा में करवाना होगा जिसके लिए 19 अप्रैल अंतिम तारीख है. लॉक डाउन के चलते किसानों को मज़दूर ना मिलने की दिक्क्त, मशीनों की समस्या, सोशल डिस्टेंस की पालना जैसी तमाम समस्याओं के चलते सारी प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी. अब ऐसे में देखना होगा कि सिरसा गेहूं में की पैदावार में आगे रहने की अपनी परम्परा को कैसे कायम रखता है.

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