सिरसा: खरीफ के सीजन में धान की फसल की अधिक खेती होना भू-जल स्तर नीचे गिरने के मुख्य कारणों में से एक हैं. गिरता हुआ भू-जल स्तर चिंता का विषय बनता जा रहा है. इस दिशा में अब सरकार ने मेरा पानी-मेरी विरासत योजना बनाई है, जिसके तहत किसानों को धान को छोड़कर दूसरी फसल की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
योजना के तहत यदि कोई धान की बजाए दूसरी खेती करता है, तो उसको सात हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. किसान सरकार के इस फैसले से नाखुश हैं. खासकर तब जब वैकल्पिक फसलों की बुआई का सीजन निकल चुका है. उनका कहना है कि सरकार ये फैसला अगर जनवरी के महीने में लेती तो किसानों के पास विकल्प होता लेकिन अब सीजन निकलने के बाद किसानों के पास धान के अलावा दूसरी फसल की बिजाई का कोई विकल्प नहीं है.
किसानों का कहना है कि सरकार ने बिना सोचे समझे धान की जगह अन्य फसल बोने का फरमान जारी कर दिया है लेकिन सरकार को ये नहीं पता कि मक्के की बिजाई फरवरी में होती है और अब उसकी कटाई का सीजन है.
वहीं अब कपास की बुवाई का सीजन भी निकल चुका है. सिरसा की जमीन मक्के के लिए उपायुक्त नहीं है और यहां मक्के की फसल सही नहीं हो सकती. यहां या तो कपास की फसल हो सकती है या फिर धान की ही फसल होगी. सरकार ने बिना सोचे समझे ये फरमान जारी कर किसानों को परेशान करने का काम किया है.
कुछ किसानों का कहना है कि सरकार वैकल्पिक फसल जैसे कपास मूल्य बढ़ाए जिससे किसान अपने आप धान की खेती छोड़ कपास की खेती करने लग जाएंगे और सिरसा में मक्का की खेती 5 प्रतिशत भी नहीं है. क्योंकि यहां की जमीन मक्के की फसल के लिए उपयुक्त नहीं है.
कृषि उप निदेशक डॉ. बाबू लाल ने कहा कि धान की खेती में अन्य फसलों की तुलना में 50 से 60 प्रतिशत पानी की खपत ज्यादा होती है. यही कारण है कि धान की अधिकतम खेती होने व इसमें अधिक पानी खपत होने कारण भू-जल स्तर नीचे जाता जा रहा है.
सरकार द्वारा गिरते हुए भू-जल स्तर को बढ़ाने के लिए 'मेरा पानी-मेरी विरासत योजना बनाई गई है. अब तक करीब 50 से 52 किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. उन्होंने कहा कि हमें यकीन है कि हम अधिक से अधिक किसानों को मना लेंगे.
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