सिरसा: राजद्रोह के मामले में गिरफ्तार किसानों की जमानत के बाद अब गुटबाजी की खबरें सामने आने लगी है. किसान नेता भूपेंद्र वैदवाला ने बीते दिन फेसबुक पर लाइव होकर किसान आंदोलन में नेता बने प्रहलाद सिंह भारूखेड़ा और लखविंद्र सिंह औलख पर कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा है कि 22 जुलाई को गिरफ्तार किसानों की रिहाई के बाद बलदेव सिंह सिरसा ने आमरण अनशन खत्म कर दिया. लेकिन इसे रिहाई नहीं जमानत कहा जाएगा.
मीडिया से बातचीत करते हुए एडवोकेट जीपीएस किंगरा ने बताया कि किसानों को जमानत पर रिहा किया गया है और धरना दे रहे हैं किसानों को अंधेरे में रखा गया है. उन्होंने कहा कि गिरफ्तार किसानों पर कोई भी धारा नहीं हटी है, बल्कि उनकी जमानत हुई है. अगर किसानों की जमानत ही करवानी थी, तो इस अनशन का क्या फायदा. उन्होंने कहा कि आज बैठक कर ये हमने अन्य किसानों के सामने बात रखी है कि संयुक्त किसान मोर्चा की बातें न मानी जाए. बल्कि सिरसा में किसानों की एक अलग जत्थेबंदी यानि तीसरी जत्थेबंदी बनाए. उन्होंने कहा कि हम दिल्ली की बात नहीं करेंगे, पहले खुद को जिले में मजबूत करेंगे.
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आपको बता दें कि किसानों पर दर्ज देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार किए गए पांचों किसानों को 22 जुलाई को बेल पर रिहा कर दिया गया था. जिसके बाद सिरसा के लघुसचिवालय के सामने आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने अपना अनशन खत्म कर दिया था. इसी मामले में अब सिरसा के वरिष्ठ वकील जीपीएस किंगरा ने कहा है कि किसानों को अंधेरे में रखा गया है. किसानों को जमानत पर रिहा किया है और उन पर कोई भी धारा नहीं हटी है.