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डेरा प्रबंधक रंजीत मर्डर केस के फैसले पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, पीड़ित परिवार ने की ये मांग

डेरा सच्चा सौदा के प्रबंधक रहे रंजीत सिंह (Ranjit Singh Murder case) की हत्या के मामले में नया मोड़ आ गया है. पीड़ित परिवार ने सीबीआई कोर्ट के जज पर अविश्वास जताते हुए केस को ट्रांसफर करने की मांग की है.

Dera manager Ranjit murder case High Court stay
डेरा प्रबंधक रंजीत मर्डर केस के फैसले पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, पीड़ित परिवार ने की ये मांग
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Published : Aug 24, 2021, 6:02 PM IST

Updated : Aug 25, 2021, 3:49 PM IST

सिरसा: डेरा सच्चा सौदा के प्रबंधक रहे रंजीत सिंह (Ranjit Singh Murder case) की हत्या के मामले में 19 साल बाद पीड़ित परिवार को अब न्याय की उम्मीद जगी है. लेकिन रंजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने अब पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (PUNJAB HARYANA HIGH COURT) में एक अपील दायर कर केस को ट्रांसफर करने की मांग की है. जिसके बाद हाई कोर्ट ने सीबीआई कोर्ट को फैसला देने से फिलहाल रोक दिया है और उस पर रोक लगा दी है. इस मामले में दिवंगत पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने भी जगसीर सिंह के केस ट्रांसफर करने को लेकर पीड़ित परिवार का समर्थन किया है.


अंशुल छत्रपति ने कहा कि जब कोर्ट के फैसला सुनाने से पहले ही विवाद खड़ा हो रहा है तो ऐसे में सीबीआई के जज को इस मामले से अपने आपको अलग कर देना चाहिए. इस मामले में सीबीआई कोर्ट को 26 अगस्त को फैसला सुनाना था लेकिन पीड़ित परिवार के हाई कोर्ट में अपील करने के बाद हाईकोर्ट ने अब 27 अगस्त तक रोक लगा दी है. आपको बता दें कि 10 जुलाई 2002 को डेरा सच्चा सौदा प्रबंधक रणजीत सिंह की हत्या हुई थी.

डेरा प्रबंधक रंजीत मर्डर केस के फैसले पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, पीड़ित परिवार ने की ये मांग

ये भी पढ़ें: राम रहीम से हमदर्दी के चक्कर में नप गए DSP, डीजीपी ने किया सस्पेंड

मीडिया से बातचीत करते हुए अंशुल छत्रपति ने कहा कि रंजीत सिंह हत्या मामले में 19 साल के बाद पीड़ित परिवार को अब न्याय की उम्मीद जगी थी. लेकिन रंजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में एक अपील दायर कर केस को सीबीआई कोर्ट से ट्रांसफर करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि जगसीर सिंह ने सीबीआई कोर्ट के खिलाफ अविश्वास जताया है.

ये भी पढ़ें: 4 लोगों की हत्या कर थाने पहुंचा शख्स, बोला- मैंने चारों को मार दिया, मुझे गिरफ्तार कर लो

जिसके बाद से सीबीआई के जज को नैतिकता के चलते अपने आपको इस मामले से अलग करना चाहिए. अंशुल छत्रपति और लेख राज ढोट ने कहा कि हाई कोर्ट को भी पीड़ित परिवार की भावना को देखते हुए केस ट्रांसफर की मांग पर फैसला सुनाना चाहिए. क्योंकि पीड़ित को संघर्ष के बाद आखिरी उम्मीद तो न्यायपालिका से ही बचती है.

आपको बता दें कि रंजीत मर्डर केस 2002 का है. दरअसल साल 2002 में 10 जुलाई को कुरुक्षेत्र के रहने वाले रंजीत सिंह का मर्डर हुआ था. आरोप है कि डेरा प्रमुख को उस पर शक था कि साध्वी यौन शोषण मामले की गुमनाम चिट्ठी उसने अपनी बहन से लिखवाई थी. जिसकी वजह से उसकी हत्या कर दी गई. रंजीत डेरे की प्रबंधन समिति की सदस्य था.

सिरसा: डेरा सच्चा सौदा के प्रबंधक रहे रंजीत सिंह (Ranjit Singh Murder case) की हत्या के मामले में 19 साल बाद पीड़ित परिवार को अब न्याय की उम्मीद जगी है. लेकिन रंजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने अब पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (PUNJAB HARYANA HIGH COURT) में एक अपील दायर कर केस को ट्रांसफर करने की मांग की है. जिसके बाद हाई कोर्ट ने सीबीआई कोर्ट को फैसला देने से फिलहाल रोक दिया है और उस पर रोक लगा दी है. इस मामले में दिवंगत पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने भी जगसीर सिंह के केस ट्रांसफर करने को लेकर पीड़ित परिवार का समर्थन किया है.


अंशुल छत्रपति ने कहा कि जब कोर्ट के फैसला सुनाने से पहले ही विवाद खड़ा हो रहा है तो ऐसे में सीबीआई के जज को इस मामले से अपने आपको अलग कर देना चाहिए. इस मामले में सीबीआई कोर्ट को 26 अगस्त को फैसला सुनाना था लेकिन पीड़ित परिवार के हाई कोर्ट में अपील करने के बाद हाईकोर्ट ने अब 27 अगस्त तक रोक लगा दी है. आपको बता दें कि 10 जुलाई 2002 को डेरा सच्चा सौदा प्रबंधक रणजीत सिंह की हत्या हुई थी.

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मीडिया से बातचीत करते हुए अंशुल छत्रपति ने कहा कि रंजीत सिंह हत्या मामले में 19 साल के बाद पीड़ित परिवार को अब न्याय की उम्मीद जगी थी. लेकिन रंजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में एक अपील दायर कर केस को सीबीआई कोर्ट से ट्रांसफर करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि जगसीर सिंह ने सीबीआई कोर्ट के खिलाफ अविश्वास जताया है.

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जिसके बाद से सीबीआई के जज को नैतिकता के चलते अपने आपको इस मामले से अलग करना चाहिए. अंशुल छत्रपति और लेख राज ढोट ने कहा कि हाई कोर्ट को भी पीड़ित परिवार की भावना को देखते हुए केस ट्रांसफर की मांग पर फैसला सुनाना चाहिए. क्योंकि पीड़ित को संघर्ष के बाद आखिरी उम्मीद तो न्यायपालिका से ही बचती है.

आपको बता दें कि रंजीत मर्डर केस 2002 का है. दरअसल साल 2002 में 10 जुलाई को कुरुक्षेत्र के रहने वाले रंजीत सिंह का मर्डर हुआ था. आरोप है कि डेरा प्रमुख को उस पर शक था कि साध्वी यौन शोषण मामले की गुमनाम चिट्ठी उसने अपनी बहन से लिखवाई थी. जिसकी वजह से उसकी हत्या कर दी गई. रंजीत डेरे की प्रबंधन समिति की सदस्य था.

Last Updated : Aug 25, 2021, 3:49 PM IST

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