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राम रहीम की जेड प्लस सुरक्षा पर अंशुल छत्रपति ने उठाए सवाल, कानून के मुद्दे पर हरियाणा सरकार को भी घेरा

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Published : Feb 22, 2022, 3:29 PM IST

Updated : Feb 22, 2022, 3:45 PM IST

हरियाणा सरकार द्वारा जेल से फरलो पर रिहाई के बाद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को जेड प्लस कैटेगरी की सुरक्षा दी गई (Gurmeet Ram Rahim gets Z plus security) है. पत्रकार स्व. रामचंद्र छत्रपति के पुत्र अंशुल छत्रपति ने डेरा प्रमुख को जेड प्लस सुरक्षा दिए जाने पर सवाल उठाए हैं.

Gurmeet Ram Rahim gets z plus security
डेरा प्रमुख को जेड प्लस सुरक्षा दिए जाने पर उठ रहे सवाल.

सिरसा: दुष्कर्म और हत्या के मामले में सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम फरलो पर 6 फरवरी से जेल से बाहर है. अब खट्टर सरकार ने उसे जेड प्लस सुरक्षा दे दी है. जिसके चलते अब एक बार फिर यह मुद्दा चर्चा में आ गया है. पत्रकार स्व. रामचंद्र छत्रपति के पुत्र अंशुल छत्रपति ने डेरा प्रमुख को जेड प्लस सुरक्षा दिए जाने पर सवाल उठाए हैं.

अंशुल ने कहा कि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख को गैरकानूनी तरीके से हरियाणा सरकार के आदेश पर जेल अथॉरिटी ने उसके बाहर निकाला है. जेल में नियम कानून को ताक पर रखते हुए हार्डकोर क्रिमिनल को सुविधाएं दी गई हैं. जिसको लेकर हरियाणा हाईकोर्ट में एक पिटिशन फाइल की गई थी. जिसके जवाब में सरकार ने बेशर्मी भरा जवाब दिया कि गुरमी राम रहीम सीधे पर कत्ल में शामिल नहीं है, इसलिए हार्डकोर क्रिमिनल की श्रेणी में नहीं आता है.

डेरा प्रमुख को जेड प्लस सुरक्षा दिए जाने पर उठ रहे सवाल.

जेड प्लस सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए अंशुल ने कहा कि सरकार मानती है कि खालिस्तानियों से डेरा सच्चा प्रमुख को खतरा है. तो उसके लिए सबसे सेफ जगह जेल है. उसे जेल से बाहर लाया ही क्यों जा रहा है. अगर लाया भी जा रहा है तो इनती रहमदिली क्यों दिखाई जा रही है. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार चाहे जितना कानून को लचीला बना कर उसकी मदद करे. अभी मामला अदालत के अंदर पेंडिंग है, हमें पूरी उम्मीद और भरोसा है न्यायपालिका पर, ऐसे व्यक्ति पर किसी भी तरह की रहमदिली नहीं दिखाएगी.

राम रहीम की फरलो के खिलाफ किसने लगाई याचिका? पंजाब में समाना निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा चुनाव में 56 साल के निर्दलीय उम्मीदवार परमजीत सिंह सोहाली ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में दलील दी गई कि डेरा प्रमुख राम रहीम को फरलो ऐसे समय में दी गई है, जब पंजाब में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. याचिका में दलील दी गई कि इससे पंजाब में शांति भंग होने का भय है. याचिका के अनुसार डेरा पंजाब के कुछ क्षेत्रों में प्रभाव का दावा कर करता रहा है, डेरा प्रमुख की रिहाई से राज्य के विधानसभा चुनावों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

ये भी पढ़ें-राम रहीम की फरलो मामला: हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर हरियाणा सरकार से किया जवाब तलब

याचिकाकर्ता पंजाब के पटियाला जिले के गांव भादसों का रहने वाला है. याचिकाकर्ता के मुताबिक आठ फरवरी को उसने फरलो रद्द करने के लिए हरियाणा सरकार को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. याचिकाकर्ता के मुताबिक, डेरा प्रमुख विधानसभा चुनाव में अपनी अवैधता को धरातल पर अंजाम दे सकता है, क्योंकि उसके कई सहयोगी गलत काम करने वाले फरार हैं. याचिका में कहा गया है कि डेरा प्रमुख ने घोर नापाक और कुख्यात कृत्यों की श्रृंखला को अंजाम दिया है. ऐसे में उन्हें पंजाब विधानसभा चुनावों के मद्देनजर फरवरी के महीने में फरलो पर रिहा किया गया है. इस स्तर पर उसकी रिहाई पंजाब के लिए निर्धारित निष्पक्ष विधानसभा चुनाव की भावना के खिलाफ है.

क्या है पूरा मामला- डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 25 अगस्त 2017 को रोहतक की सुनारिया जेल में लाया गया था. पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में पेशी के दौरान व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी. इसके बाद हेलीकॉप्टर के जरिए उसे सुनारिया जेल लाया गया. 28 अगस्त को जेल परिसर में ही सीबीआई की विशेष कोर्ट लगी. सीबीआई जज जगदीप सिंह ने राम रहीम को दो साध्वियों से यौन शोषण मामले में 10-10 साल की सजा सुनाई थी. वहीं साल 2019 के जनवरी महीने में सीबीआई की विशेष अदालत ने पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड (Journalist Ramchandra Chhatrapati murder case) में राम रहीम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अक्टूबर 2021 में डेरा के पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह हत्याकांड में भी राम रहीम को उम्रकैद की सजा हुई थी.

ये भी पढ़ें: राम रहीम को खालिस्तानी आतंकियों से खतरा, फरलो के दौरान मिली जेड प्लस सिक्युरिटी

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सिरसा: दुष्कर्म और हत्या के मामले में सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम फरलो पर 6 फरवरी से जेल से बाहर है. अब खट्टर सरकार ने उसे जेड प्लस सुरक्षा दे दी है. जिसके चलते अब एक बार फिर यह मुद्दा चर्चा में आ गया है. पत्रकार स्व. रामचंद्र छत्रपति के पुत्र अंशुल छत्रपति ने डेरा प्रमुख को जेड प्लस सुरक्षा दिए जाने पर सवाल उठाए हैं.

अंशुल ने कहा कि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख को गैरकानूनी तरीके से हरियाणा सरकार के आदेश पर जेल अथॉरिटी ने उसके बाहर निकाला है. जेल में नियम कानून को ताक पर रखते हुए हार्डकोर क्रिमिनल को सुविधाएं दी गई हैं. जिसको लेकर हरियाणा हाईकोर्ट में एक पिटिशन फाइल की गई थी. जिसके जवाब में सरकार ने बेशर्मी भरा जवाब दिया कि गुरमी राम रहीम सीधे पर कत्ल में शामिल नहीं है, इसलिए हार्डकोर क्रिमिनल की श्रेणी में नहीं आता है.

डेरा प्रमुख को जेड प्लस सुरक्षा दिए जाने पर उठ रहे सवाल.

जेड प्लस सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए अंशुल ने कहा कि सरकार मानती है कि खालिस्तानियों से डेरा सच्चा प्रमुख को खतरा है. तो उसके लिए सबसे सेफ जगह जेल है. उसे जेल से बाहर लाया ही क्यों जा रहा है. अगर लाया भी जा रहा है तो इनती रहमदिली क्यों दिखाई जा रही है. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार चाहे जितना कानून को लचीला बना कर उसकी मदद करे. अभी मामला अदालत के अंदर पेंडिंग है, हमें पूरी उम्मीद और भरोसा है न्यायपालिका पर, ऐसे व्यक्ति पर किसी भी तरह की रहमदिली नहीं दिखाएगी.

राम रहीम की फरलो के खिलाफ किसने लगाई याचिका? पंजाब में समाना निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा चुनाव में 56 साल के निर्दलीय उम्मीदवार परमजीत सिंह सोहाली ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में दलील दी गई कि डेरा प्रमुख राम रहीम को फरलो ऐसे समय में दी गई है, जब पंजाब में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. याचिका में दलील दी गई कि इससे पंजाब में शांति भंग होने का भय है. याचिका के अनुसार डेरा पंजाब के कुछ क्षेत्रों में प्रभाव का दावा कर करता रहा है, डेरा प्रमुख की रिहाई से राज्य के विधानसभा चुनावों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

ये भी पढ़ें-राम रहीम की फरलो मामला: हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर हरियाणा सरकार से किया जवाब तलब

याचिकाकर्ता पंजाब के पटियाला जिले के गांव भादसों का रहने वाला है. याचिकाकर्ता के मुताबिक आठ फरवरी को उसने फरलो रद्द करने के लिए हरियाणा सरकार को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. याचिकाकर्ता के मुताबिक, डेरा प्रमुख विधानसभा चुनाव में अपनी अवैधता को धरातल पर अंजाम दे सकता है, क्योंकि उसके कई सहयोगी गलत काम करने वाले फरार हैं. याचिका में कहा गया है कि डेरा प्रमुख ने घोर नापाक और कुख्यात कृत्यों की श्रृंखला को अंजाम दिया है. ऐसे में उन्हें पंजाब विधानसभा चुनावों के मद्देनजर फरवरी के महीने में फरलो पर रिहा किया गया है. इस स्तर पर उसकी रिहाई पंजाब के लिए निर्धारित निष्पक्ष विधानसभा चुनाव की भावना के खिलाफ है.

क्या है पूरा मामला- डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 25 अगस्त 2017 को रोहतक की सुनारिया जेल में लाया गया था. पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में पेशी के दौरान व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी. इसके बाद हेलीकॉप्टर के जरिए उसे सुनारिया जेल लाया गया. 28 अगस्त को जेल परिसर में ही सीबीआई की विशेष कोर्ट लगी. सीबीआई जज जगदीप सिंह ने राम रहीम को दो साध्वियों से यौन शोषण मामले में 10-10 साल की सजा सुनाई थी. वहीं साल 2019 के जनवरी महीने में सीबीआई की विशेष अदालत ने पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड (Journalist Ramchandra Chhatrapati murder case) में राम रहीम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अक्टूबर 2021 में डेरा के पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह हत्याकांड में भी राम रहीम को उम्रकैद की सजा हुई थी.

ये भी पढ़ें: राम रहीम को खालिस्तानी आतंकियों से खतरा, फरलो के दौरान मिली जेड प्लस सिक्युरिटी

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Last Updated : Feb 22, 2022, 3:45 PM IST
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