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हरियाणा में रिकॉर्ड रूप से बढ़ी कपास की खेती, इस योजना का दिखा असर, देखिए ये रिपोर्ट - कपास की खेती सिरसा

सरकार द्वारा चलाए जा रही 'मेरा पानी मेरी विरासत योजना' का असर अब देखने को मिल रहा है. हरियाणा में इस साल 7 लाख 36 हजार हेक्टेयर में कपास की खेती की गई है. पूरे राज्य में जिला स्तर पर सबसे ज्यादा कपास की खेती सिरसा में हुई है.

cotton farming increased due to my water my heritage plan in sirsa
मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत हरियाणा में रिकॉर्ड रूप से बढ़ी कपास की खेती
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Published : Jul 27, 2020, 3:51 PM IST

सिरसा: धान की खेती के लिए मशहूर हरियाणा के किसानों का रूझान अब कपास की खेती की तरफ हो रहा है. हरियाणा के 54 साल के इतिहास में पहली बार 7 लाख 36 हजार हेक्टेयर में कपास की खेती की गई है. सूबे में कपास की खेती सबसे ज्यादा सिरसा में की गई है. सिरसा में कपास की खेती का रकबा करीब 2 लाख 10 हजार हेक्टेयर है.

कपास की खेती पर सबसे ज्यादा प्रभाव सरकार की ओर से हाल में शुरू की गई ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना का नजर आया है. इस योजना के अंतर्गत ही किसानों ने करीब 40 हजार हेक्टेयर में धान की बजाय कपास की फसल में रुचि दिखाई है.

'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना के तहत हरियाणा में रिकॉर्ड रूप से बढ़ी कपास की खेती, देखिए ये रिपोर्ट.

कृषि विभाग के अनुसार सिरसा में सर्वाधिक 2 लाख 10 हजार हेक्टेयर रकबे में कपास की काश्त की गई है. इससे पहले हरियाणा में 1996-97 में 6 लाख 49 हजार जबकि 1997-98 में 6 लाख 38 हजार हेक्टेयर रकबे पर कपास की काश्त की गई थी. 2004-05 में भी 6 लाख 21 हजार हेक्टेयर रकबे पर कपास की काश्त की गई थी. पिछले सीजन 2019-20 में 7 लाख 22 हजार हेक्टेयर में कपास की बिजाई हुई थी, लेकिन इस बार 7 लाख 36 हजार हेक्टेयर में कपास की काश्त की गई है. जो हरियाणा में 54 साल में ये कपास का सर्वाधिक रकबा है.


2020-21 में क्षेत्रवार कपास की खेती का रकबा ( हेक्टेयर में)

क्षेत्ररकबा क्षेत्ररकबा
सिरसा 210000हिसार 147000
भिवानी 88260फतेहाबाद 72410
जींद 70000 चरखी दादरी 35000
नारनौल 18900पलवल 23500
झज्जर 11500रोहतक 15540
सोनीपत 6050कैथल 7690
फरीदाबाद 690मेवात 5940
गुरुग्राम 6760रेवाड़ी 17100

कुल 7,36,510 हेक्टेयर

क्या हैं किसानों की मुश्किलें?

इस संबंध में किसान सुरेश और आत्माराम ने बताया कि कपास की खेती में किसानों को बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जिसमें मुख्य समस्या फसल की चुगाई यानि चुनने की है. जिसमें लेबर का खर्चा बहुत अधिक आता है. किसानों ने बताया कि सरकार ने इस साल नरमे का एमएसपी दर 5800 रुपये किया है, लेकिन लेबर 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मजदूरी लेते हैं यानि किसानों को यह 4800 रुपये के हिसाब से पड़ता है. ऊपर से रोजाना बढ़ते पेट्रोल डीजल के दाम, खाद की बढ़ती कीमतों से किसान का बुरा हाल है.

किसानों ने कहा कि या तो सरकार उन्हें खाद और मजदूरों पर लगने वाले खर्चे पर अलग से सब्सिडी दे या तो नरमे का दाम 10 से 12 हजार प्रति क्विंटल करे. जिससे किसानों को कोई दिक्कत नहीं होगी और वो धान छोड़कर नरमे और अन्य फसलों की खेती करेगा.

वहीं कृषि विभाग के अधिकारी बाबूलाल ने बताया कि इस बार मेरा पानी मेरी विरासत के तहत सिरसा में 9980 किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है. जो करीब 13 हजार हेक्टेयर के किसान हैं. इन खेतों में वो धान की फसल नहीं लगाएंगे. उन्होंने कहा कि इस बार सिरसा में 2 लाख 10 हजार हेक्टेयर में कपास की बिजाई हुई है. जो पिछले साल से 10 हेक्टेयर ज्यादा है. उन्होंने बताया कि कृषि विभाग अभी भी किसानों की वेरिफिकेशन कर रहे हैं. जिससे उन्हें और लाभ हो सके.

ये भी पढ़ें: कारगिल दिवस विशेष: जिन वीरों ने देश के लिए शहादत दी, उनका शौर्य भूल गया सिस्टम

सिरसा: धान की खेती के लिए मशहूर हरियाणा के किसानों का रूझान अब कपास की खेती की तरफ हो रहा है. हरियाणा के 54 साल के इतिहास में पहली बार 7 लाख 36 हजार हेक्टेयर में कपास की खेती की गई है. सूबे में कपास की खेती सबसे ज्यादा सिरसा में की गई है. सिरसा में कपास की खेती का रकबा करीब 2 लाख 10 हजार हेक्टेयर है.

कपास की खेती पर सबसे ज्यादा प्रभाव सरकार की ओर से हाल में शुरू की गई ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना का नजर आया है. इस योजना के अंतर्गत ही किसानों ने करीब 40 हजार हेक्टेयर में धान की बजाय कपास की फसल में रुचि दिखाई है.

'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना के तहत हरियाणा में रिकॉर्ड रूप से बढ़ी कपास की खेती, देखिए ये रिपोर्ट.

कृषि विभाग के अनुसार सिरसा में सर्वाधिक 2 लाख 10 हजार हेक्टेयर रकबे में कपास की काश्त की गई है. इससे पहले हरियाणा में 1996-97 में 6 लाख 49 हजार जबकि 1997-98 में 6 लाख 38 हजार हेक्टेयर रकबे पर कपास की काश्त की गई थी. 2004-05 में भी 6 लाख 21 हजार हेक्टेयर रकबे पर कपास की काश्त की गई थी. पिछले सीजन 2019-20 में 7 लाख 22 हजार हेक्टेयर में कपास की बिजाई हुई थी, लेकिन इस बार 7 लाख 36 हजार हेक्टेयर में कपास की काश्त की गई है. जो हरियाणा में 54 साल में ये कपास का सर्वाधिक रकबा है.


2020-21 में क्षेत्रवार कपास की खेती का रकबा ( हेक्टेयर में)

क्षेत्ररकबा क्षेत्ररकबा
सिरसा 210000हिसार 147000
भिवानी 88260फतेहाबाद 72410
जींद 70000 चरखी दादरी 35000
नारनौल 18900पलवल 23500
झज्जर 11500रोहतक 15540
सोनीपत 6050कैथल 7690
फरीदाबाद 690मेवात 5940
गुरुग्राम 6760रेवाड़ी 17100

कुल 7,36,510 हेक्टेयर

क्या हैं किसानों की मुश्किलें?

इस संबंध में किसान सुरेश और आत्माराम ने बताया कि कपास की खेती में किसानों को बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जिसमें मुख्य समस्या फसल की चुगाई यानि चुनने की है. जिसमें लेबर का खर्चा बहुत अधिक आता है. किसानों ने बताया कि सरकार ने इस साल नरमे का एमएसपी दर 5800 रुपये किया है, लेकिन लेबर 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मजदूरी लेते हैं यानि किसानों को यह 4800 रुपये के हिसाब से पड़ता है. ऊपर से रोजाना बढ़ते पेट्रोल डीजल के दाम, खाद की बढ़ती कीमतों से किसान का बुरा हाल है.

किसानों ने कहा कि या तो सरकार उन्हें खाद और मजदूरों पर लगने वाले खर्चे पर अलग से सब्सिडी दे या तो नरमे का दाम 10 से 12 हजार प्रति क्विंटल करे. जिससे किसानों को कोई दिक्कत नहीं होगी और वो धान छोड़कर नरमे और अन्य फसलों की खेती करेगा.

वहीं कृषि विभाग के अधिकारी बाबूलाल ने बताया कि इस बार मेरा पानी मेरी विरासत के तहत सिरसा में 9980 किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है. जो करीब 13 हजार हेक्टेयर के किसान हैं. इन खेतों में वो धान की फसल नहीं लगाएंगे. उन्होंने कहा कि इस बार सिरसा में 2 लाख 10 हजार हेक्टेयर में कपास की बिजाई हुई है. जो पिछले साल से 10 हेक्टेयर ज्यादा है. उन्होंने बताया कि कृषि विभाग अभी भी किसानों की वेरिफिकेशन कर रहे हैं. जिससे उन्हें और लाभ हो सके.

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