सिरसा: देश के ग्रामीण इलाकों में गर्भवती मां और नवजात शिशु की देखभाल के लिए साल 1975 में भारत सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्र खोले. 31 जनवरी 2013 तक देश में लगभग 13.3 लाख आंगनबाड़ी केंद्र खुल चुके थे. इन केंद्रों में मुख्य तौर पर गैर पूर्व-प्राथमिक शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य जांच आदि सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं. कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन की स्थिति में आंगनबाड़ी केंद्रों ने क्या भूमिका निभाई और अब वो कैसे लोगों को सुविधा दे रहे हैं.
इन सभी सवालों का उत्तर जानने के लिए ईटीवी भारत हरियाणा टीम सिरसा के ख्वाजा-खेड़ा गांव में पहुंची. गांव की महिलाओं से जब आंगनबाड़ी केंद्रों में मिल रही सुविधाओं को लेकर पूछा गया तो आंगनबाड़ी के किए काम से संतुष्ट नजर आई.
पार्वती और निशा नाम की महिलाओं ने बताया कि आंगनबाड़ी में उन्हें सभी सुविधाएं मिल रही है. पौष्टिक आहार समय से मिलता है और टीकाकरण भी वक्त से हो रहा है. दोनों आंगनबाड़ी में मिल रही सुविधाओं से संतुष्ट नजर आईं. बता दें कि लॉकडाउन के दौरान 15वें दिन गर्भवती महिलाओं को लिए राशन घर-घर पहुंचाया जाता था. अब अनलॉक में हर महीने राशन लोगों के घर पहुंचाया जाता है.
आंगनबाड़ी के काम से संतुष्ट हैं ख्वाजा-खेड़ा गांव की महिलाएं
आंगनबाड़ी में साफ-साफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है. यहां के टॉयलेट्स साफ रहते हैं. जिससे महिलाओं को कोई परेशानी नहीं होती. समय-समय पर महिलाओं को इंजेक्शन भी लग रहे हैं. जिससे की मां और बच्चा बीमारियों से सुरक्षित रह सकें. गांव की महिलाओं ने बताया कि जब भी आंगनबाड़ी जाती हैं तो हमें सफाई मिलती है. वहां के कर्मचारी हमारे साथ अच्छा बर्ताव करते हैं.
आंगनबाड़ी केंद्र की सुपरवाइजर रत्नेश कुमारी ने कहा कि सरकार द्वारा जो भी योजना चलाई जाती है जैसे मातृत्व बंधना योजना, आपकी बेटी हमारी बेटी. सभी योजनाओं का लाभ लाभार्थियों को घर-घर जाकर दिया जा रहा है. गर्भवती महिलाओं को पोषक आहार दिया जाता है. समय-समय पर टीकाकरण किया जाता है. जितने भी आंगनवाड़ी केंद्र हैं वो सब लगभग प्राइवेट प्रॉपर्टी पर बनाए गए हैं. जिसका प्रत्येक महीने का किराया देना होता है. किराया समय पर ना आने की वजह से मकान मालिक उन्हें अकसर परेशान करते हैं. सिरसा अर्बन का ब्लॉक की आंगनबाड़ी में लगभग 1 साल से किराया नहीं मिला है.