सिरसाः कंपकंपा देने वाली सर्दी में गरीब दिहाड़ीदार लोग खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं. गरीब लोगों को सहारा देने के लिए इस रेन बसेरे का निर्माण लाखों रुपए की लागत से किया गया था. लेकिन जब लोग ठंड बढ़ने के साथ रात गुजारने के लिए इस रेन बसेरे में पहुंचते हैं तो यहां लटका ताला मिलता. जिसके चलते रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, अनाज मंडी और शहर के अलग-अलग हिस्सों में लोग खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं.
रैन बसेरे पर लटकता ताला
ठिठुरती ठंड में गरीबों को सहारा देने के लिए सिरसा में बनाए गए रैन बसेरे पर ताला लटका हुआ है. न तो यहां कोई कर्मचारी है और न ही इस ताले को खोलने की नगर परिषद द्वारा कोई जहमत उठाई गई है. हालांकि नगर परिषद के अधिकारी इसमें साफ-सफाई करवाने का दावा जरूर कर रहे है. लेकिन यहां की तस्वीर कुछ और बयां कर रही है. यूं तो रेलवे स्टेशन में भी प्रतीक्षालय बने हुए हैं, लेकिन गरीब व्यक्ति को स्टेशन के बाहर ही सोना पड़ता है.
नगर परिषद अधिकारी अनजान
इस ठंड में भी उनके लिए ना तो प्रतिक्षालय खुल पाता है और ना ही रैन बसेरा. इसे प्रशासन की लापरवाही ही कहेंगे कि सर्दियां शुरू होने के बाद भी रैन बसेरा शुरू नहीं हो पाया. रैन बसेरों में कहने को तो सभी तरह की सुविधाएं हैं, गरीबों के सोने के लिए बिस्तर, गर्म पानी से नहाने तक की सुविधा इस रैन बसेरे में की गई है. लेकिन जब इसकी जमीनी हकीकत की तस्वीर लेकर हमने नगर परिषद के ईओ अमन डांढा से बातचीत की तो उनका कहना था कि अभी 6 दिन पूर्व उन्होंने रैन बसेरे की विजिट की थी. उन्होंने बताया कि वहां साफ-सफाई और सभी व्यवस्थाएं करवा दी गई हैं. लेकिन ताला लगे होने की उन्हें जानकारी नहीं है.
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प्रशासन की लापरवाही गरीब पर भारी !
अब सोचने वाली बात ये है रैन बसेरे की देखरेख का कार्य नगर परिषद के पास है और नगर परिषद के मुखिया को यहां ताला लगे होने तक की जानकारी नहीं है. इसे प्रशासनिक उदासीनता ही माना जाएगा. जिसका खामियाजा गरीब लोगों को उठाना पड़ रहा है.