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सिरसा के इस गांव में है 1700 साल पुरानी दरगाह - ख्वाजा खेड़ा गांव सिरसा

सिरसा जिले में एक 1700 साल पुरानी दरगाह है. लोगों का मानना है कि इस दरगाह पर मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.

ख्वाजा पीर दरगाह सिरसा हरियाणा
ख्वाजा पीर दरगाह सिरसा हरियाणा
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Published : Feb 9, 2021, 3:27 PM IST

Updated : Oct 7, 2022, 8:00 PM IST

सिरसा: हरियाणा में सिरसा को धर्म नगरी के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि बहुत से सन्त पीर पैगम्बर ने यहां कई सालों तक तपस्या की. सिरसा का वर्णन महाभारत में भी किया गया है. सभी देवी देवताओं, पीर पैगम्बरों और प्रत्येक धर्म के यह मंदिर, मस्जिद, चर्च गुरद्वारे और दरगाहें हैं. सिरसा चारों ओर से डेरों से घिरा हुआ है. सिरसा के मध्य में बाबा सरसाईनाथ का डेरा बना हुआ है. जिसके नाम पर ही सिरसा नाम रखा गया. ऐसी ही एक 1700 साल पुरानी दरगाह भी सिरसा में हैं. सिरसा का सबसे पहला गांव है ख्वाजा-खेडा. जिसमे ख्वाजा पीर की दरगाह बनी हुई है. इस गांव का नाम ख्वाजा-खेडा खवाजा पीर के नाम से ही रखा गया है. मान्यता के अनुसार इस गांव में आज तक कभी बरसात के समय ओलावृष्टि नही हुई है. न ही कभी किसी किसान की फसल खराब हुई है.

गांव वालों के मुताबिक बहुत समय पहले जब मंदिर-मस्जिद आदि बनाने के लिए जो बिल्कुल छोटी-छोटी ईंटों का प्रयोग होता था उन्ही ईंटों से ये दरगाह बनी हुई है. जिससे ये अंदाजा भी लगाया जा सकता है की ये दरगाह कितने साल पुरानी है. उन्होंने बताया की बहोत वर्ष पहले जो इस गांव का नक्शा था उसमें भी ये दरगाह है. उस समय भी इस गांव का नाम ख्वाजा खेडा ही था. ऐसा माना जाता है कि ये दरगाह ख्वाजा पीर जी की है. जो सिरसा में थेहड़ के ऊपर दरगाह बनी हुई. वो दरगाह ख्वाजा पीर के भांजे की है. इसी कारण दोनों दरगाहों को मामा-भांजा दरगाह के नाम से भी जाना जाता है.

सिरसा: हरियाणा में सिरसा को धर्म नगरी के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि बहुत से सन्त पीर पैगम्बर ने यहां कई सालों तक तपस्या की. सिरसा का वर्णन महाभारत में भी किया गया है. सभी देवी देवताओं, पीर पैगम्बरों और प्रत्येक धर्म के यह मंदिर, मस्जिद, चर्च गुरद्वारे और दरगाहें हैं. सिरसा चारों ओर से डेरों से घिरा हुआ है. सिरसा के मध्य में बाबा सरसाईनाथ का डेरा बना हुआ है. जिसके नाम पर ही सिरसा नाम रखा गया. ऐसी ही एक 1700 साल पुरानी दरगाह भी सिरसा में हैं. सिरसा का सबसे पहला गांव है ख्वाजा-खेडा. जिसमे ख्वाजा पीर की दरगाह बनी हुई है. इस गांव का नाम ख्वाजा-खेडा खवाजा पीर के नाम से ही रखा गया है. मान्यता के अनुसार इस गांव में आज तक कभी बरसात के समय ओलावृष्टि नही हुई है. न ही कभी किसी किसान की फसल खराब हुई है.

गांव वालों के मुताबिक बहुत समय पहले जब मंदिर-मस्जिद आदि बनाने के लिए जो बिल्कुल छोटी-छोटी ईंटों का प्रयोग होता था उन्ही ईंटों से ये दरगाह बनी हुई है. जिससे ये अंदाजा भी लगाया जा सकता है की ये दरगाह कितने साल पुरानी है. उन्होंने बताया की बहोत वर्ष पहले जो इस गांव का नक्शा था उसमें भी ये दरगाह है. उस समय भी इस गांव का नाम ख्वाजा खेडा ही था. ऐसा माना जाता है कि ये दरगाह ख्वाजा पीर जी की है. जो सिरसा में थेहड़ के ऊपर दरगाह बनी हुई. वो दरगाह ख्वाजा पीर के भांजे की है. इसी कारण दोनों दरगाहों को मामा-भांजा दरगाह के नाम से भी जाना जाता है.

Last Updated : Oct 7, 2022, 8:00 PM IST
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