सिरसा: चोपटा क्षेत्र के शाहपुरिया गांव में 10वीं कक्षा के छात्र ने पुलिस सुरक्षा में परीक्षा (student gave exam in police security) दी. खबर है कि शाहपुरिया गांव के सरकारी स्कूल की 10वीं कक्षा के दो विद्यार्थियों (अमन और विपुल) का प्रोजेक्ट में नम्बर के चलते विवाद हो गया था. विवाद इतना बढ़ गया कि मामला परिवार तक आ पहुंचा. आरोप है कि विपुल ने अपने पिता और गांव के कुछ युवकों समेत दूसरे विद्यार्थी अमन को खेलने के बहाने घर से बाहर बुलाया और उसके साथ मारपीट की.
लड़ाई झगड़े की सूचना मिलते ही अमन के पिता भी मौके पर पहुंचे. जिसके बाद अमन के पिता के साथ भी मारपीट की गई. इतना ही नहीं आरोपियों ने स्कूल से अमन का नाम भी कटवा दिया. खबर है कि इस घटना के बाद अमन के परिवार की महिलाओं को धमकियां मिलने लगी. जिसके बाद पीड़ित परिवार ने पुलिस में मामला दर्ज करवाया. मामले पर सुनवाई करते हुए जिला कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक को विद्यार्थी अमन समेत पूरे परिवार को सुरक्षा देने के आदेश दिए. कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस सुरक्षा के बीच अमन ने 10वीं की परीक्षा दी.
अमन के चाचा कमल के मुताबिक ये पूरा मामला जातीय अंहकार से जुड़ा हुआ है. कमल ने बताया कि करीब 2 महीने पहले गांव के सरकारी स्कूल की 10वीं कक्षा का रूटीन टेस्ट हुआ. टेस्ट में अमन को कम नंबर मिला तो उसने अध्यापक को टेस्ट दोबारा से चेक करने का अनुरोध किया. दोबारा चेक करने के बाद अमन का 1 नम्बर बढ़ गया. ये बात दूसरे छात्र विपुल को पसंद नहीं आई. विपुल कथित ऊंची जाति से संबंध रखता है और अमन दलित जाति से. इसलिए विपुल ने विवाद खड़ा कर दिया.
छात्र अमन के चाचा कमल ने कहा कि कुछ दिन बाद स्कूल की तरफ से सभी छात्रों को एक प्रोजेक्ट बनाने को कहा गया. उस प्रोजेक्ट में अमन ने दूसरा स्थान प्राप्त किया. इस प्रोजेक्ट के लिए अमन को सम्मानित किया गया. ये बात विपुल को रास नहीं आई कि अमन उससे आगे कैसे निकल गया. कथित ऊंची जाति से संबंध रखने वाले विपुल ने ये बात अपने परिजनों को बताई. जिसके बाद विपुल ने अमन को खेलने के लिए बुलाया. खेल मैदान में अमन के परिजन खड़े थे. जहां उन्होंने अमन के साथ मारपीट की. अमन के पिता जब वहां पहुंचे तो विपुल के परिजनों ने अमन के पिता के साथ भी मारपीट की. जिसके बाद विपुल के परिजनों ने स्कूल से अमन का नाम कटवा दिया.
अमन का नाम कटने के बाद उसके परिजनों ने स्कूल प्राचार्य से मुलाकात की. अमन के परिजनों के मुताबिक उन्हें ये कह दिया गया कि जब तक आप विपुल के परिवार से माफी नहीं मांगेंगे तब तक आपके बच्चे का नाम दोबारा दर्ज नहीं किया जाएगा. अमन के चाचा ने बताया कि विपुल के परिजनों ने हमारे घर की महिलाओं को धमकियां दी, कि अगर अगर तुम खेत की तरफ आओगे तो तुम्हे वापस नहीं जाने देंगे. इस पूरे मामले को लेकर पीड़ित परिवार ने पुलिस उपायुक्त से बातचीत की.
जिसके बाद डीसी के आदेश पर अमन को एडमिट कार्ड मिल गया. अमन के चाचा के मुताबिक इसके बाद भी मामला शांत नहीं हुआ. विपुल के परिवार की ओर से अमन के परिवार को लगातार धमकियां दी जाने लगी. उन्हें जातिसूचक गालियां निकाली गई और कहा गया कि एडमिट कार्ड तो मिल गया, लेकिन अमन को पेपर में नहीं बैठने दिया जाएगा. जिसके बाद परिजनों ने जिला अदालत का दरवाजा खटखटाया. अदालत ने सुनवाई करते हुए पुलिस अधीक्षक को आदेश दिए कि अमन की परीक्षा पुलिस प्रोटेक्शन (Police protection for student in Sirsa) में करवाई जाए. जिसके बाद छात्र अमन की 10वीं की परीक्षा पुलिस की सुरक्षा में करवाई गई.
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जब इस विषय को लेकर स्कूल प्राचार्य बलजीत से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अमन के परिवार द्वारा लगाए गए आरोपों का कोई आधार नहीं है. उन्होंने कहा कि विद्यार्थी अपनी प्रेक्टिकल अच्छे से देकर गया है. वो स्कूल से अपना रोल नंबर भी लेकर गया है. उन्होंने बताया कि बच्चा सही तरीके से अपनी परीक्षा दे रहा है. इस मुद्दे पर चोपटा थाना प्रभारी सत्यवान ने बताया कि इस संदर्भ को लेकर हमें शिकायत मिली थी. जिसपर हमने मुकदमा दर्ज कर लिया था. उसके बाद गांव के लोगों द्वारा कमेटी गठित की गई.
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