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रोहतक: यमुना नदी में आई बाढ़ बनी मुसीबत का सबब, लगातार बढ़ रहा है जलस्तर

हथनीकुंड बैराज से छोड़ा गया 8.72 क्यूसेक पानी करनाल, पानीपत के साथ-साथ और भी हिस्सों में मुसीबत का सबब बना हुआ है. यमुना में आई बाढ़ के कारण रोहतक की तरफ आने वाली नहरों में भी उफान आ गया है.

यमुना नदी में आई बाढ़ बनी मुसीबत का सबब
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Published : Aug 20, 2019, 8:42 PM IST

रोहतक: हथनीकुंड बैराज से छोड़ा गया 8.72 क्यूसेक पानी करनाल, पानीपत के साथ-साथ और भी हिस्सों में मुसीबत का सबब बना हुआ है. यमुना में आई बाढ़ के कारण रोहतक की तरफ आने वाली नहरों में भी उफान आ गया है. पिछले दो-तीन दिनों से पानी का जलस्तर इतना बढ़ गया है कि वह किनारों तक पहुंच गया है. यही नहीं पानी बढ़ने से नहरों का पानी ऊपर से जाने वाले पुलों को भी छूने लगा है.

यमुना नदी में आई बाढ़ बनी मुसीबत का सबब

वहीं दूसरी ओर नहर में आए उफान से किसान भी चिंतित हो गए हैं. किसानों का कहना है कि जब धान की फसल की बुवाई का समय था. उस वक्त तो नहर में पानी नहीं छोड़ा गया. अभी पिछले दो-तीन दिनों से जलस्तर इतना बढ़ गया है कि यदि और पानी छोड़ा गया तो नहर के किनारे टूट जाएंगे और फसल जलमग्न हो जाएगी.

ये भी पढ़ें: बहादुरगढ़ पूर्ण उत्तरी बाईपास की मांग कर रहे किसान सीएम को दिखाएंगे काले झंडे

गौरतलब है कि हरियाणा के हथनीकुंड बैराज से 8.72 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. जिसके कारण करनाल और पानीपत के काफी इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी. जिसके कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं और लोगों के घरों में भी पानी घुस गया.

रोहतक: हथनीकुंड बैराज से छोड़ा गया 8.72 क्यूसेक पानी करनाल, पानीपत के साथ-साथ और भी हिस्सों में मुसीबत का सबब बना हुआ है. यमुना में आई बाढ़ के कारण रोहतक की तरफ आने वाली नहरों में भी उफान आ गया है. पिछले दो-तीन दिनों से पानी का जलस्तर इतना बढ़ गया है कि वह किनारों तक पहुंच गया है. यही नहीं पानी बढ़ने से नहरों का पानी ऊपर से जाने वाले पुलों को भी छूने लगा है.

यमुना नदी में आई बाढ़ बनी मुसीबत का सबब

वहीं दूसरी ओर नहर में आए उफान से किसान भी चिंतित हो गए हैं. किसानों का कहना है कि जब धान की फसल की बुवाई का समय था. उस वक्त तो नहर में पानी नहीं छोड़ा गया. अभी पिछले दो-तीन दिनों से जलस्तर इतना बढ़ गया है कि यदि और पानी छोड़ा गया तो नहर के किनारे टूट जाएंगे और फसल जलमग्न हो जाएगी.

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गौरतलब है कि हरियाणा के हथनीकुंड बैराज से 8.72 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. जिसके कारण करनाल और पानीपत के काफी इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी. जिसके कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं और लोगों के घरों में भी पानी घुस गया.

Intro:रोहतक:-यमुना नदी के विकराल रूप से परेशान रोहतक के किसान।
यमुना में आई बाढ़ से रोहतक की तरफ आनेवाली नहरों में भी आया उफान।
अचानक 3 दिन से बढ़ रहा है नहर में पानी।पुल से सटा कर चल रहा है पानी।
किसान परेशान,कहा और पानी बढ़ा तो टूट जाएगी नदी,फसल हो जाएगी बर्बाद।

यमुना में बढ़ा जलस्तर करनाल और पानीपत को रौंदते हुए दिल्ली की तरफ बढ़ रहा है लेकिन यमुना में आई बाढ़ से रोहतक की तरफ आने वाली नदियों में भी पानी बढ़ने लगा है जिससे उनके टूटने का खतरा और बढ़ गया है नदियों में बढ़ा जलस्तर विकराल रूप लेता जा रहा है जो किनारो और पुल से सटकर चल रहा अगर ओर जल स्तर बढ़ा तो कभी भी नदी के किनारे टूट सकते हैं जिससे फसल बर्बाद हो सकती।

Body:हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया 8.72 क्यूसेक पानी करनाल पानीपत और दिल्ली के साथ-साथ हरियाणा के और किसानों के लिए भी आफत बनता जा रहा है यमुना में आई बाढ़ के कारण रोहतक की तरफ आने वाली नहरों में भी उफान आ गया पिछले दो-तीन दिनों से पानी का जलस्तर इतना बढ़ गया है कि वह किनारों तक पहुंच गया यही नहीं पानी बढ़ने से नहर के ऊपर से जाने वाले पुलों को भी छूने लगा है ऐसी स्थिति में यदि ओर पानी नहरों में छोड़ा जाता है तो नहर के किनारे टूट जाएंगे और फसल व गांव जलमग्न हो जाएंगे।Conclusion:वहीं दूसरी ओर नहर में आए उफान से किसान भी चिंतित हो गए है, किसानों का कहना है कि जब धान की फसल की बुवाई का समय था उस वक्त तो नहर में पानी नहीं छोड़ा गया लेकिन अभी पिछले दो-तीन दिनों से पानी का जलस्तर इतना बढ़ गया है कि यदि और पानी छोड़ा गया तो नहर के किनारे टूट जाएंगे और फसल जलमग्न हो जाएगी, जिसके कारण किसान पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगे। गौरतलब है कि हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से 8.72 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था जिसके कारण करनाल और पानीपत के काफी इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी जिसके कारण किसानों की फसल और लोगों के घरों में पानी घुस गया था हरियाणा के साथ-साथ दिल्ली के यमुना से सटे कई इलाकों में भी बाढ़ आने का खतरा है जिससे दिल्ली सरकार ने अलर्ट भी जारी किया है।

बाइट:-धर्मपाल,प्रधान सिंह किसान।
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