रोहतक: हरियाणा सरकार की योजना के अनुसार एमबीबीएस कोर्स मे 4 साल एलोपैथ ओर एक साल आयुर्वेद कि पढ़ाई कि योजना लागू होने से पहले ही खटाई में पड़ती दिखाई दे रही है. जहां आयुर्वेद एक्सपर्ट इसकी सराहना कर रहें हैं तो वहीं एमबीबीएस छात्रों ने सरकार कि इस योजना को नकार दिया है. वहीं, आइएमए नें कहा है कि यदि सरकार ने इस योंजना को लागू करने कि कोशिश कि तो इस का विरोध किया जाएगा.
अनिल विज ने क्या कहा ?: हरियाणा स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के बयान ने प्रदेश में फिर से हलचल पैदा कर दी है. दरअसल, बीते शुक्रवार को अनिल विज ने कहा की MBBS कोर्स के दौरान एक साल आयुर्वेद का कोर्स भी करना होगा. स्वास्थ्य मंत्री के इस बयान के बाद से प्रदेश के डॉक्टर्स में हलचल मच गई है. लेकिन छात्रों ने सरकार की इस योजना का विरोध करना शुरू कर दिया है. छात्रों ने कहा कि आयुर्वेद और एलोपैथ को मिक्स कर दोनों छाओं का भविष्य खराब हो सकता है.
विज के फैसले पर क्या बोले MBBS छात्र: लेकिन सरकार की इस योजना से नाराज छात्रों का कहना है कि दोनों ही कोर्स के अपने फायदे हैं दोनों के नुकसान है इस तरह से दोनों कोर्स को मिक्स करना गलत है. इससे छात्रों के भविष्य पर भी नाकारात्मक असर पड़ेगा. एमबीबीएस छात्रों का कहना है कि मॉर्डन साईंस और मॉर्डन दवाइयों के बारे में हम पढ़ाई कर रहे हैं उसके लिये हमें दवाइयों और ड्रग्स तथा केमिकल के बारे में ज्यादा पढ़ाई करनी पड़ती है तो ऐसे में जब सरकार अगर इन दोनों कोर्स को एक साथ कर देती है तो हमारी मॉर्डन साईंस की सेल्फ इंपोर्टेंस को घटा रहे हैं. दोनों ही कोर्स के अपने अपने महत्व है.
MBBS छात्रों की सरकार से मांग: एमबीबीएस स्टूडेंट्स का कहना है कि वो भी आयुर्वेदा का उतना ही रिस्पेक्ट करते हैं जितना आर्युवेदा वाले मॉर्डन साईंस का करते हैं. क्योंकि आर्युवेदा प्राचीन समय से ही चलता आ रहा है तो उसकी अपनी जगह पर अपनी इंपोर्टेंस है. साथ ही स्टूडेंट्स ने सरकार से मांग की है कि इन दोनों कोर्स को मिक्स करके इनकी अहमियत को खत्म ना करें. दोनों ही कोर्स के छात्र का इंटरस्ट भी इन दोनों को मिक्स करके खत्म होगा और इसका कोई फायदा नहीं होगा.
क्या कहते हैं IMA रोहतक के अध्यक्ष: वहीं, भारतीय चिकित्सक संघ के जिलाअध्यक्ष रविंद्र हुड्डा ने कहा कि ये कोई सोच भी कैसे सकता है. सभी की अपनी अपनी विशेषताएं हैं. इनको मिक्स करने से इन दोनों की विशेषताएं खत्म हो जाती है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से हम बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं. किसी भी तरीके से ये नहीं होना चाहिए. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि ऐसा कुछ उनका सुझाव है. NMC(राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग) के पास अगर ये सुझाव जाता है, तो वो इसका स्पोर्ट नहीं करेंगे. लेकिन अगर इसको राजनीतिक अमलीजामा पहनाया गया तो इस फैसले को स्वीकार किया जा सकता है.
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आयुर्वेद विशेषज्ञ की राय: आयुर्वेद स्पेशलिस्ट संजय जाखड़ ने कहा कि सरकार का ये सरहानीय फैसला है. सरकार चाहती है कि एक साल के लिये आयुर्वेद भी MBBS में पढ़ाया जाए. MBBS और BMS के बीच एक बहुत बड़ी खाई थी. पिछले 2014 से बड़ा बदलाव दिखा है कि सरकार का बड़ा प्रयास रहा है कि इस खाई को जैसे भी कम किया जाए. मेक्रोपैथी हर पैथी की अपनी अहमियत है. आयुर्वेद के अपने फायदे और लिमिटेशन है. कोरोना के बाद यह भी सामने आया है कि हर पैथी कंप्लीट नहीं है. जिस पैथी के अंदर जिस बीमारी का बढ़िया इलाज हो पाए, उसे प्रमोट किया जाए हमारा और सरकार का मकसद है जन हित के लिये काम हो ना कि किसी प्रतिद्वंदी की तरह से काम हो. MBBS स्टूडेंट्स को भी पता चलेगा कि आयुर्वेद के अंदर क्या है. तो सरकार का ये संदेश काफी सराहनीय है.
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