रोहतक: हरियाणा बॉन्ड पॉलिसी के (Haryana Bond Policy) खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठे एमबीबीएस छात्रों में से एक छात्रा की तबीयत देर रात खराब हो गई जिसके बाद छात्रा (girl student condition is critical) को गंभीर अवस्था में पीजीआई की इमरजेंसी में भर्ती करवाया जहां पर छात्रा की हालत नाजुक बनी हुई है.सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ पिछले 37 दिनों से धरने पर बैठे एमबीबीएस छात्र बारी-बारी से भूख हड़ताल पर भी बैठ रहे हैं. ऐसे में देर रात एक छात्रा की तबीयत अचानक खराब हो गई जिसके बाद उसे गंभीर अवस्था में पीजीआई की इमरजेंसी में भर्ती करवाया गया.
एमबीबीएस कॉलेज की नेहा राव पिछले 48 घंटे से भूख हड़ताल पर बैठी हुई थी.अचानक देर रात करीब 2:30 बजे के आसपास नेहा की तबीयत ज्यादा खराब (student sitting on strike is critical) हो गई. जिसके बाद नेहा को तुरंत प्रभाव से इमरजेंसी में भर्ती करवाया गया. अभी भी छात्रा की हालत नाजुक बनी हुई है. (protest against bond policy in rohtak)
गौरतलब है कि एमबीबीएस छात्र पिछले 37 दिनों से सरकार की बॉन्ड पॉलिसी (strike against bond policy in rohtak) के खिलाफ धरने पर बैठे हुए हैं एमबीबीएस छात्रों का कहना है कि वह तब तक धरने से नहीं उठेंगे जब तक सरकार बॉन्ड पॉलिसी को वापस नहीं ले लेती इसके अलावा छात्र बारी-बारी से 10 स्टूडेंट का बैच बनाकर भूख हड़ताल पर भी बैठते हैं.
हालांकि सरकार से साथ स्टूडेंट्स की (bond policy in rohtak) लंबे दौर की बैठक हुई जो बेनतीजा रही थी. वहीं सीएम मनोहर लाल ने बॉन्ड पॉलिसी में कुछ बदलाव किए थे. जिसमें बॉन्ड पॉलिसी के दो साल घटा दिए गए थे और बॉन्ड राशि 40 से घटाकर 30 लाख रुपये तक कर दी गई थी. लेकिन अभी भी छात्र सरकार के इस फैसले से संतुष्ट नहीं है.
वहीं, एमबीबीएस छात्रों का कहना है सरकार जब तक उनकी मांगों पूरी तरह से नहीं मानती वो इसी तरह धरने पर डटे रहेंगे और गांव-गांव में जाकर छात्र जागरुकता रैली निकाल रहे हैं. वहीं 5 दिसंबर को बॉन्ड पॉलिसी के विरोध में करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज से छात्र गोहाना के खानपुर कलां बीपीएस महिला मेडिकल कॉलेज (BPS Women Medical College sonipat) पहुंचे थे. इस दौरान छात्रों ने गांव-गांव तक जागरूकता रैली निकाली थी.
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ड्राफ्ट तैयार करे सरकार- सरकार द्वारा लगातार इस बात का दावा किया जा रहा है कि छात्रों से बातचीत के बाद बॉन्ड पॉलिसी के मुद्दे का हल निकाल लिया गया है. लेकिन प्रदर्शन कर रहे छात्र अभी भी इससे संतुष्ट (medical students Protest against bond policy) नजर नहीं आ रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार पहले ड्राफ्ट तैयार करे बाद में हम कोई फैसला लेंगे.
छात्रों की मांग- MBBS की डिग्री पूरी होने के 2 महीने के अंदर सभी को नौकरी दी जाए.
-बॉन्ड की अवधि एक साल की हो.
-बॉन्ड को तोड़ने वालों के लिए राशि 20 लाख रुपये हो
-पढ़ाई के बाद नौकरी नहीं मिलने पर छात्रों को बॉन्ड से मुक्त किया जाए.