रोहतक: हरियाणा के जिला रोहतक में राज्य स्तरीय सांझी उत्सव और प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इस आयोजन में बहुत से प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. वहीं, 15 अक्टूबर से शुरू होकर 24 अक्टूबर तक चले इस उत्सव में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आई कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी. दरअसल, लुप्त होती सांझी की कला को बचाने और विस्तार करने के उद्देश्य से यह आयोजन किए जा रहे हैं. जिसके प्रति लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है.
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इस उत्सव के माध्यम से हरियाणा की लोक पारंपरिक कला को दर्शाया गया. साथ ही सांझी विरासत व पारंपरिक वस्तुओं की प्रदर्शनी भी लगाई गई. हरियाणा की ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने सांझी माता को समर्पित तथा अन्य लोक गीतों को प्रस्तुत किया.
इस उत्सव में महिलाओं द्वारा नवरात्रों के दौरान दीवार पर सांझी बनाई जाती है. ग्रामीण क्षेत्र से लुप्त हो रही इस कला को संरक्षित करने के लिए ही कला एवं सांस्कृतिक विभाग ने सांझी उत्सव का आयोजन किया. इस उत्सव में भाग ले रही महिला कलाकार अर्चना सुहासिनी ने कहा कि हमारी संस्कृति और परंपरा की पहचान लुप्त होती जा रही है. हरियाणा की पारंपरिक धार्मिक आस्था से संबंधित कला को संरक्षित करने की सख्त जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमारी आस्था के साथ ही कला भी जुड़ी हुई है. उसी का एक उदाहरण सांझी भी है. आज सांझी लुप्त होने के कगार पर खड़ी है.
हरियाणा लोक कला संघ रोहतक के अध्यक्ष रघुविंद्र मलिक ने हरियाणा की पारंपरिक बर्तन, उपकरण तथा विरासत वस्तुओं की जानकारी दी. उन्होंने यह भी कहा कि अन्य प्रदेशों की आस्था से जुड़ी कला का विस्तार हो रहा है. वे चाहते हैं कि हरियाणा की पारंपरिक धार्मिक आस्था से जुड़ी सांझी का प्रचार-प्रसार भी अन्य राज्यों में हो. इसी को ध्यान में रखते हुए सांझी उत्सव का आयोजन किया गया.
आयोजनक रघुविंद्र मलिक ने बताया कि पहली बार इस तरह का बड़े स्तर पर आयोजन किया गया है. इसमें पहली बार ही 200 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया है. पहले काफी कम कलाकार अपनी रुचि दिखाते थे. लेकिन सरकार ने भी सांझी को बढ़ावा देने के लिए उचित कदम उठाए हैं. जिसका असर प्रतिभागियों की संख्या से देखने को मिल रहा है.
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