रोहतक: हरियाणा में निजीकरण के विरोध में सरकारी कर्मियों का प्रदर्शन लगातार जारी है. जिसके चलते रविवार को रोहतक के कर्मचारी भवन में विभिन्न संगठनों व यूनियनों की बैठक (employee unions meeting in Rohtak) हुई. इस बैठक में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा, हरियाणा कर्माचारी महासंघ, सीआईटीयू, एटक, इंटक सहित कई संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए. रोहतक के कर्मचारी भवन में हुई इस बैठक में 23 व 24 फरवरी को होने वाली राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बनाने पर चर्चा (protest against privatization in Haryana) की गई और ठोस रणनीति बनाई गई.
बता दें कि यह हड़ताल केंद्र व प्रदेश सरकारों की नीतियों के विरोध में हो रही है. कर्मचारियों की प्रमुख मांग हैं कि निजीकरण की नीतियों को वापस लिया जाए, नियमित कर्मचारियों की भर्ती हो और लेबर कोड को वापस लिया जाए. बैठक के बाद कर्मचारियों ने बताया कि हड़ताल के दौरान प्रदेश में 2 दिन तक पूर्ण रूप से रोडवेज का चक्का जाम रहेगा. हरियाणा कर्मचारी महासंघ के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष बलदेव घनघस व सीआईटीयू की प्रदेशाध्यक्ष सुरेखा ने बीजेपी सरकार पर कर्मचारियों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है.
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उन्होंने बताया कि मांगों को लेकर अनेक बार आंदोलन किया जा चुका है, लेकिन सरकार सहमत होने के बावजूद मांगों को लागू नहीं कर रही है. इसके साथ ही बलदेव घनघस ने बताया कि सरकार का पूरा जोर निजीकरण व ठेकेदारी प्रथा को बढावा देने का है. सरकारी कर्मचारियों की संख्या घटाई जा रही है और निजीकरण की नीतियों को बढावा दिया जा रहा है. ऐसे में आंदोलन के सिवाय कोई रास्ता नहीं है. इसी के चलते सभी संगठनों के प्रतिनिधियों ने किसान आंदोलन की तर्ज पर चक्का जाम करने का फैसला लिया है. कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने बताया कि जिस प्रकार किसानों ने लगातार एक साल से भी ज्यादा समय तक शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर सरकार पर दबाव बनाया और जीत हासिल की, उसी प्रकार अब कर्मचारी भी आंदोलन करेंगे.
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