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बॉन्ड पॉलिसी का विरोध जारी, पीजीआई रोहतक में रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने एक घंटे तक बंद रखी ओपीडी सेवाएं

एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए लागू बांड पॉलिसी के विरोध में शनिवार को पीजीआईएमएस में रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (Resident Doctors Association) ने एक घंटे तक ओपीडी सेवाएं बंद रखी. इस दौरान ओपीडी में आने वाले मरीजों की काउंटर पर पर्ची तो काटी गई लेकिन इलाज नहीं किया गया. डॉक्टर्स ने सांकेतिक तौर पर सुबह 10 बजे से 11 बजे तक ओपीडी सेवाएं बंद रख रोष जताया.

हरियाणा में बॉन्ड पॉलिसी का विरोध
हरियाणा में बॉन्ड पॉलिसी का विरोध
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Published : Nov 19, 2022, 8:01 PM IST

रोहतक: मेडिकल कॉलेज में हरियाणा सरकारी की बॉन्ड पॉलिसी (Haryana Government Bond Policy) का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. शनिवार को रोहतक में एमबीबीएस छात्रों ने ओपीडी बंद करके विरोध जताया. इसी के साथ एसोसिएशन ने बांड पॉलिसी की वापसी को लेकर प्रदेश सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम एक बार फिर दे दिया है. हालांकि पीजीआई रोहतक में मरीजों को कुछ देर के लिए दिक्कत जरूर हुई लेकिन वहां मौजूद एमबीबीएस विद्यार्थियों ने उन्हें पोस्टर्स के जरिए जागरूक किया तो वे भी समर्थन में नजर आए. मरीजों ने भी कहा कि सरकार को इन भावी डॉक्टरों की मांगों पर विचार करना चाहिए.

वहीं, पीजीआईएमएस की रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने प्रदेश सरकार को बांड पॉलिसी वापस लेने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. एसोसिएशन के प्रधान डा. अंकित गुलिया ने बताया कि अगर सरकार ने अगले 24 घंटे के अंदर पॉलिसी को वापस नहीं लिया तो पीजीआईएमएस के सभी विभागों के डॉक्टर कठोर निर्णय लेंगे. पीजीआईएमएस के एमबीबीएस विद्यार्थियों का भी सरकार को दी गई 72 घंटे के अल्टीमेटम की समय सीमा खत्म हो चुकी है.

हरियाणा में बॉन्ड पॉलिसी का विरोध
बॉन्ड पॉलिसी का विरोध जारी

ऐसे में अब सबकी नजर आंदोलनकारियों के अगले कदम पर है. गौरतलब है कि पीजीआईएमएस में एक नवंबर से बांड पॉलिसी के खिलाफ आंदोलन की शुरूआत हुई थी और 2 नवंबर से बाकायदा धरना दिया जा रहा है. एमबीबीएस विद्यार्थियों को किसी भी सूरज में बांड पॉलिसी स्वीकार्य नहीं है. प्रदेश सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए वर्ष 2020 से बांड पॉलिसी लागू कर रखी है.

हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी क्या है- दरअसल एमबीबीएस में बॉन्ड पॉलिसी के तहत हरियाणा सरकार एडमिशन के समय छात्रों से 4 साल में 40 लाख रुपए का बॉन्ड भरवा रही है. छात्र को हर साल 10 लाख रुपये बॉन्ड के रूप में देने होंगे. इस पॉलिसी के तहत सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले हर छात्र को कम से कम 7 साल सरकारी अस्पताल में सेवाएं देनी होंगी. अगर वह ऐसा नहीं करता है तो बॉन्ड के रूप में दिये गये 40 लाख रुपये सरकार ले लेगी.

एमबीबीएस छात्र विरोध क्यों कर रहे हैं- MBBS छात्रों का कहना है कि हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के चलते छात्र पढ़ाई से पहले कर्ज में डूब जायेंगे. उन पर बॉन्ड पॉलिसी के नाम पर आर्थिक बोझ डाल दिया गया है. छात्र हर साल 10 लाख रुपये कहां से लायेगा. हरियाणा के विपक्षी दल भी सरकार की इस पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं.

रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन
रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का विरोध प्रदर्शन.

एमबीबीएस छात्रों की मांग क्या है- एमबीबीएस छात्रों की मांग है कि बॉन्ड एग्रीमेंट में से बैंक की दखल अंदाजी पूरी तरह से खत्म की जाए. इसके अलावा बॉन्ड सेवा की अवधि 7 साल से घटाकर अधिकतम 1 साल की जाये. ग्रेजुएशन के अधिकतम 2 महीने के अंदर सरकार MBBS ग्रेजुएट को नौकरी की गारंटी दे. बॉन्ड की राशि 40 लाख से घटाकर 5 लाख की जाये.

एमबीबीएस छात्रों का कहना है कि सरकार ने बांड पॉलिसी तो लागू कर दी लेकिन एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी देने की गारंटी नहीं दे रही है, इसलिए यह बांड पॉलिसी उन्हें स्वीकार्य नहीं है. एक नवंबर से पीजीआई रोहतक में आंदोलन की शुरूआत हुई थी. 2 नवंबर से विद्यार्थी धरने पर बैठ गए थे. विद्यार्थियों के इस आंदोलन को विभिन्न सामाजिक संगठनों, खापों और राजनीतिक दलों का समर्थन मिल चुका है.

ये भी पढ़ें- बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ बड़े आंदोलन की तैयारी में एमबीबीएस छात्र, अस्पतालों में बढ़ सकती है मुश्किल

रोहतक: मेडिकल कॉलेज में हरियाणा सरकारी की बॉन्ड पॉलिसी (Haryana Government Bond Policy) का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. शनिवार को रोहतक में एमबीबीएस छात्रों ने ओपीडी बंद करके विरोध जताया. इसी के साथ एसोसिएशन ने बांड पॉलिसी की वापसी को लेकर प्रदेश सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम एक बार फिर दे दिया है. हालांकि पीजीआई रोहतक में मरीजों को कुछ देर के लिए दिक्कत जरूर हुई लेकिन वहां मौजूद एमबीबीएस विद्यार्थियों ने उन्हें पोस्टर्स के जरिए जागरूक किया तो वे भी समर्थन में नजर आए. मरीजों ने भी कहा कि सरकार को इन भावी डॉक्टरों की मांगों पर विचार करना चाहिए.

वहीं, पीजीआईएमएस की रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने प्रदेश सरकार को बांड पॉलिसी वापस लेने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. एसोसिएशन के प्रधान डा. अंकित गुलिया ने बताया कि अगर सरकार ने अगले 24 घंटे के अंदर पॉलिसी को वापस नहीं लिया तो पीजीआईएमएस के सभी विभागों के डॉक्टर कठोर निर्णय लेंगे. पीजीआईएमएस के एमबीबीएस विद्यार्थियों का भी सरकार को दी गई 72 घंटे के अल्टीमेटम की समय सीमा खत्म हो चुकी है.

हरियाणा में बॉन्ड पॉलिसी का विरोध
बॉन्ड पॉलिसी का विरोध जारी

ऐसे में अब सबकी नजर आंदोलनकारियों के अगले कदम पर है. गौरतलब है कि पीजीआईएमएस में एक नवंबर से बांड पॉलिसी के खिलाफ आंदोलन की शुरूआत हुई थी और 2 नवंबर से बाकायदा धरना दिया जा रहा है. एमबीबीएस विद्यार्थियों को किसी भी सूरज में बांड पॉलिसी स्वीकार्य नहीं है. प्रदेश सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए वर्ष 2020 से बांड पॉलिसी लागू कर रखी है.

हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी क्या है- दरअसल एमबीबीएस में बॉन्ड पॉलिसी के तहत हरियाणा सरकार एडमिशन के समय छात्रों से 4 साल में 40 लाख रुपए का बॉन्ड भरवा रही है. छात्र को हर साल 10 लाख रुपये बॉन्ड के रूप में देने होंगे. इस पॉलिसी के तहत सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले हर छात्र को कम से कम 7 साल सरकारी अस्पताल में सेवाएं देनी होंगी. अगर वह ऐसा नहीं करता है तो बॉन्ड के रूप में दिये गये 40 लाख रुपये सरकार ले लेगी.

एमबीबीएस छात्र विरोध क्यों कर रहे हैं- MBBS छात्रों का कहना है कि हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के चलते छात्र पढ़ाई से पहले कर्ज में डूब जायेंगे. उन पर बॉन्ड पॉलिसी के नाम पर आर्थिक बोझ डाल दिया गया है. छात्र हर साल 10 लाख रुपये कहां से लायेगा. हरियाणा के विपक्षी दल भी सरकार की इस पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं.

रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन
रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का विरोध प्रदर्शन.

एमबीबीएस छात्रों की मांग क्या है- एमबीबीएस छात्रों की मांग है कि बॉन्ड एग्रीमेंट में से बैंक की दखल अंदाजी पूरी तरह से खत्म की जाए. इसके अलावा बॉन्ड सेवा की अवधि 7 साल से घटाकर अधिकतम 1 साल की जाये. ग्रेजुएशन के अधिकतम 2 महीने के अंदर सरकार MBBS ग्रेजुएट को नौकरी की गारंटी दे. बॉन्ड की राशि 40 लाख से घटाकर 5 लाख की जाये.

एमबीबीएस छात्रों का कहना है कि सरकार ने बांड पॉलिसी तो लागू कर दी लेकिन एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी देने की गारंटी नहीं दे रही है, इसलिए यह बांड पॉलिसी उन्हें स्वीकार्य नहीं है. एक नवंबर से पीजीआई रोहतक में आंदोलन की शुरूआत हुई थी. 2 नवंबर से विद्यार्थी धरने पर बैठ गए थे. विद्यार्थियों के इस आंदोलन को विभिन्न सामाजिक संगठनों, खापों और राजनीतिक दलों का समर्थन मिल चुका है.

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