रोहतक: लॉकडाउन ने सक्षम और समृद्ध लोगों के हौसलों को पस्त कर चुका है. जिनके सिर पर छत है, बिजनेस है वो भी भविष्य की चिंता में है, ऐसे में ये कल्पना करना भी काफी परेशान कर देता है कि अपने घरों से दूर प्रवासी मजदूरों की क्या हालत होगी. ये मजदूर कुछ भी करके अपने गांव पहुंचना चाहते हैं. ऐसे ही कुछ प्रवासी मजदूरों ने साइकिल से ही 750 किलोमीटर दूर यूपी के झांसी पहुंचने का ठान लिया.
रोहतक में ईटीवी भारत की टीम से इन मजदूरों ने अपना दुखड़ा सुनाया. लॉकडाउन होते ही ये पंजाब के भटिंडा में फंस गए थे. इन्हें दो जून की रोटी का टोटा पड़ने लगा. इनके पास अब एक ही चारा था कि कैसे भी अपने घर वापस लौट जाना, लेकिन जाएं भी तो कैसे जाएं, इनके पास ना कोई साधन था और ना ही जेब में पैसे थे. गांव पहुंचने के लिए इन्होंने कुछ पैसे का जुगाड़ करने का सोचा ताकि साइकिल खरीद सकें.
भटिंडा में मजदूरी करने वाले जगत सिंह ने बताया कि इन्होंने खेतों में दिहाड़ी मजदूरी की और कुछ पैसे जोड़े. इन पैसे से इन्होंने सबसे पहले एक साइकिल और हवा भरने वाला पंप खरीदा. रास्ते के लिए थोड़ा सा पानी और खाना लेकर निकल पड़े.
आपको बता दे कि लॉक डाउन के बाद से ही हजारों की संख्या में मजदूर पैदल ही घर के लिए निकल पड़े हैं, हालांकि सरकार का दावा है कि वो ऐसे मजदूरों के प्रवास पर लगाम रही है तमाम बॉर्डर सील हैं, फिर भी रोजाना ऐसी खबरें सामने आ रही है.
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