रोहतक: हरियाणा में एमबीबीएस छात्रों का विरोध (MBBS Students Protest in Haryana) बढ़ता जा रहा है. छात्रों के इस अभियान को आमजन का भी समर्थन भी मिलने लगा है. शुक्रवार को ये विद्यार्थी लघु सचिवालय परिसर, बस स्टैंड परिसर, छोटूराम चौक समेत कई अन्य स्थान पर पहुंचे. इस जागरूकता अभियान के माध्यम से छात्रों ने आम लोगों को भी ये बताया गया कि बांड पॉलिसी किसी के भी हित में नहीं हैं.
एमबीबीएस विद्यार्थियों की ओर से प्रदेश सरकार को दिए गए अल्टीमेटम की समय सीमा शुक्रवार को खत्म हो गई. ऐसे में अब ये विद्यार्थी आंदोलन और तेज कर सकते हैं. हालांकि प्रदेश सरकार ने वार्ता के लिए 10 एमबीबीएस विद्यार्थियों के नाम मांगे हैं लेकिन अब तक सरकार की ओर से औपचारिक तौर पर निमंत्रण नहीं मिला है. इसी चलते अब आंदोलनकारी विद्यार्थी आगामी रणनीति बनाने में जुट गए हैं.
हरियाणा सरकार की बांड पॉलिसी (Haryana Government Bond Policy) का विरोध कर रहे छात्र अब बड़े आंदोलन की घोषणा कर सकते हैं. सरकारी एजेंसियां भी विद्यार्थियों के अगले कदम पर नजर रखे हुए हैं. 3 दिन पहले एमबीबीएस विद्यार्थियों ने प्रदेश सरकार को 72 घंटे तक का अल्टीमेटम दिया था. उस दिन प्रदेश के 4 मेडिकल कॉलेजों के एमबीबीएस विद्यार्थियों ने पीजीआई रोहतक में डीन व डायरेक्टर ऑफिस के सामने संयुक्त रूप से धरना दिया था. इन विद्यार्थियों की यही मांग है कि बांड पॉलिसी को रद्द किया जाए.
वीरवार देर रात को विद्यार्थियों ने हाथ में टॉर्च लेकर अपना विरोध दर्ज कराया था. इस प्रदर्शन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे ज्यादातर विद्यार्थी शामिल हुए. डीन व डायरेक्टर ऑफिस के सामने 2 नवंबर से इन विद्यार्थियों का धरना चल रहा है. उसी स्थान पर देर रात से अल सुबह तक ये विद्यार्थी टॉर्च जलाकर इसी तरह से विरोध करते रहे. उन्होंने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. एमबीबीएस विद्यार्थी प्रिया कौशिक और अक्षत मित्तल ने कहा कि प्रदेश सरकार मेडिकल शिक्षा को बर्बाद करना चाहती है.
हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी क्या है- दरअसल एमबीबीएस में बॉन्ड पॉलिसी के तहत हरियाणा सरकार एडमिशन के समय छात्रों से 4 साल में 40 लाख रुपए का बॉन्ड भरवा रही है. छात्र को हर साल 10 लाख रुपये बॉन्ड के रूप में देने होंगे. इस पॉलिसी के तहत सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले हर छात्र को कम से कम 7 साल सरकारी अस्पताल में सेवाएं देनी होंगी. अगर वह ऐसा नहीं करता है तो बॉन्ड के रूप में दिये गये 40 लाख रुपये सरकार ले लेगी.
एमबीबीएस छात्र विरोध क्यों कर रहे हैं- MBBS छात्रों का कहना है कि हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के चलते छात्र पढ़ाई से पहले कर्ज में डूब जायेंगे. उन पर बॉन्ड पॉलिसी के नाम पर आर्थिक बोझ डाल दिया गया है. छात्र हर साल 10 लाख रुपये कहां से लायेगा. हरियाणा के विपक्षी दल भी सरकार की इस पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं.
एमबीबीएस छात्रों की मांग क्या है- एमबीबीएस छात्रों की मांग है कि बॉन्ड एग्रीमेंट में से बैंक की दखल अंदाजी पूरी तरह से खत्म की जाए. इसके अलावा बॉन्ड सेवा की अवधि 7 साल से घटाकर अधिकतम 1 साल की जाये. ग्रेजुएशन के अधिकतम 2 महीने के अंदर सरकार MBBS ग्रेजुएट को नौकरी की गारंटी दे. बॉन्ड की राशि 40 लाख से घटाकर 5 लाख की जाये.
एमबीबीएस छात्रों का कहना है कि सरकार ने बांड पॉलिसी तो लागू कर दी लेकिन एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी देने की गारंटी नहीं दे रही है, इसलिए यह बांड पॉलिसी उन्हें स्वीकार्य नहीं है. गौरतलब है कि बांड पॉलिसी के खिलाफ एक नवंबर से पीजीआई रोहतक में आंदोलन की शुरूआत हुई थी. 2 नवंबर से विद्यार्थी धरने पर बैठ गए थे. विद्यार्थियों के इस आंदोलन को विभिन्न सामाजिक संगठनों, खापों और राजनीतिक दलों का समर्थन मिल चुका है.