रोहतक: महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक में अब विद्यार्थी सांकेतिक भाषा सीखेंगे. इससे मूक बधिर व्यक्तियों की शैक्षणिक जरूरत पूरी होंगी. दरअसल इसी सत्र से डिप्लोमा इन इंडियन लैंग्वेज इंटरप्रेटिंग व डिप्लोमा इन टीचिंग इंडियन साइन लैंग्वेज प्रारंभ किए जा रहे हैं. यह दोनों पाठ्यक्रम भारतीय पुनर्वास परिषद से मान्यता प्राप्त हैं. यूनिवर्सिटी के सेंटर सेंटर ऑफ डिसएबीलिटी स्टडीज के तत्वावधान में दोनों डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं.
भारतीय सांकेतिक भाषा से संबंधित पाठ्यक्रम शुरू करने वाली एमडीयू हरियाणा की पहली यूनिवर्सिटी है. विश्वविद्यालय का हरियाणा वेल्फेयर सोसायटी फॉर पर्सन्स विद स्पीच एंड हियरिंग इंपेयरमेंट के साथ एमओयू है. मौजूदा समय में सांकेतिक भाषा का पठन-पाठन समय की जरूरत है. इससे न केवल मूक-बधिर विद्यार्थी लाभान्वित होंगे बल्कि इससे नई शिक्षा नीति के समावेशी शिक्षा के संकल्प को पूरा करने में भी आसानी होगी. इन पाठ्यक्रमों के जरिए समाज की मुख्यधारा से मूक-बधिर विद्यार्थियों को जोडने में भी मदद मिलेगी.
गुरूवार को मीडिया इंटरेक्शन प्रोग्राम में एमडीयू के सेंटर फॉर डिसएबीलिटी स्टडीज (MDU Center For Disability Studies) के निदेशक प्रो. राधेश्याम व फैकल्टी ऑफ इंटर डिसीप्लीनरी स्टडीज के डीन प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने दोनों नए पाठ्यक्रमों की जानकारी दी. उन्होंने मूक तथा बधिर व्यक्तियों की शैक्षणिक जरूरतों के लिए इन दोनों पाठ्यक्रमों को महत्त्वपूर्ण बताया. जबकि सांकेतिक भाषा शिक्षक श्रेया व इमरान ने सांकेतिक भाषा के प्रयोग तथा व्याख्या का प्रदर्शन किया. इन दोनों पाठ्यक्रम में 30-30 सीटें होंगी. प्रवेश भारतीय पुनर्वास परिषद (Rehabilitation Council of India) द्वारा आयोजित ऑल इंडिया ऑनलाइन एप्टीट्यूट टेस्ट (All India Online Aptitude Test) के जरिए होगा. इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 21 जुलाई है. प्रवेश के लिए परिषद की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा.