रोहतक: बॉन्ड पॉलिसी के विरोध में रोहतक में एमबीबीएस छात्रों का प्रदर्शन (mbbs students protest in rohtak) जारी है. सोमवार को रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा (retired employees association haryana) की जिला इकाई ने आंदोलन कर रहे एमबीबीएस विद्यार्थियों के समर्थन में डीसी ऑफिस के बाहर धरना दिया. इस धरने के जरिए बॉन्ड पॉलिसी का विरोध किया गया और इस पॉलिसी को रद्द करने की मांग की गई. इस धरने में एमबीबीएस विद्यार्थी भी शामिल हुए. रिटायर्ड कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
संघ के महासचिव रामकिशन ने कहा कि प्रदेश सरकार हठधर्मिता के चलते जिद पर अड़ी हुई है और एमबीबीएस विद्यार्थियों की बात सुने बगैर ही बॉन्ड पॉलिसी को लागू कर दिया. वहीं, एमबीबीएस विद्यार्थियों का कहना है कि वे आंदोलन (students protest against bond policy) को तब तक जारी रखेंगे, जब तक सरकार उनकी मांग को मान नहीं लेगी. बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ एक नवंबर से पीजीआईएमसस रोहतक में आंदोलन की शुरूआत (students protest in rohtak pgi) हुई थी. इस दिन रोष मार्च निकाला गया था.
इसके बाद 2 नवंबर को पीजीआईएमएस में डीन व डायरेक्टर ऑफिस के बाहर एमबीबीएस विद्यार्थी धरने (students protest against bond policy) पर बैठ गए थे. तब से लगातार धरना चल रहा है और रोजाना ही इस धरनास्थल पर विभिन्न संगठन पहुंचकर आंदोलन को समर्थन कर रहे हैं. रेजीडेंट डॉक्टर्स ने भी एमबीबीएस विद्यार्थियों का पुरजोर समर्थन करते हुए हड़ताल कर दी थी, लेकिन 30 नवंबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से चंडीगढ़ में मुलाकात के बाद हड़ताल खत्म कर दी थी. वे 2 दिसंबर से ओपीडी सेवाओं में काम पर लौट आए हैं.
बॉन्ड पॉलिसी क्या है? दरअसल एमबीबीएस में बॉन्ड पॉलिसी के तहत हरियाणा सरकार ने एडमिशन के समय छात्रों से 4 साल में 40 लाख रुपये के बॉन्ड भरवाने का ऐलान किया. इसके तहत छात्र को हर साल 10 लाख रुपये बॉन्ड के रूप में देने थे. इस पॉलिसी के तहत सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले हर छात्र को कम से कम 7 साल सरकारी अस्पताल में सेवाएं देनी थी. ऐसा ना करने पर बॉन्ड के रूप में दिये गये 40 लाख रुपये सरकार ले लेगी. छात्रों के विरोध के बाद सरकार ने इस पॉलिसी में बदलाव किया. 40 लाख रुपये की राशि को घटाकर 30 लाख कर दिया. 7 साल को घटाकर 5 साल कर दिया.
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एमबीबीएस छात्र क्यों कर रहे विरोध? MBBS छात्रों का कहना है कि हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के चलते छात्र पढ़ाई से पहले कर्ज में डूब जायेंगे. उन पर बॉन्ड पॉलिसी के नाम पर आर्थिक बोझ डाल दिया गया है. छात्र हर साल 10 लाख रुपये कहां से लायेगा. एमबीबीएस छात्रों की मांग है कि बॉन्ड एग्रीमेंट में से बैंक की दखल अंदाजी पूरी तरह से खत्म की जाए. इसके अलावा बॉन्ड सेवा की अवधि अधिकतम 1 साल की जाये. ग्रेजुएशन के अधिकतम 2 महीने के अंदर सरकार MBBS ग्रेजुएट को नौकरी की गारंटी दे. बॉन्ड की राशि 5 लाख की जाये.