रोहतक: पीजीआईएमएस (PGIMS Rohtak) के MBBS छात्र बॉन्ड पॉलिसी के विरोध में आंदोलन जारी रखेंगे. आंदोलनकारी छात्रों ने प्रदेश सरकार को स्पष्ट कर दिया है कि वे 30 लाख रुपए की राशि भी नहीं दे सकते. अब आंदोलन (mbbs students protest in rohtak) की दिशा और दशा भी MBBS छात्र ही तय करेंगे. क्योंकि यह उन्हीं से जुड़ा हुआ मुद्दा है. हालांकि रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी बैठक कर अब तक के घटनाक्रम की समीक्षा की है. वहीं, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा गुरुवार को पीजीआईएमएस में धरनास्थल पर पहुंचे और MBBS छात्रों की मांगों का समर्थन किया.
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा (Deepender Hooda) ने कांग्रेस पार्टी की ओर से आश्वासन दिया कि हरियाणा विधानसभा के आगामी सत्र के दौरान वे इस मुद्दे पर काम रोको प्रस्ताव लेकर आएंगे. संसद सत्र के दौरान वे खुद इस मुद्दे को उठाएंगे. दरअसल, एक दिन पहले MBBS छात्रों व रेजीडेंट डॉक्टर्स की चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के 4 घंटे से भी अधिक समय तक चर्चा हुई थी. बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने बॉन्ड राशि 40 लाख रुपए से 30 लाख रुपए और समय सीमा 7 वर्ष की जगह 5 वर्ष करने की घोषणा की थी. लेकिन आंदोलनकारियों ने उसी समय इस घोषणा को सिरे से नकार दिया था.
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मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में मौजूद MBBS छात्र पंकज बिट्टू ने कहा कि वे जनता की सेवा करना चाहते हैं, लेकिन सरकार को लोन की ईएमआई चाहिए. साथ ही MBBS करने के बाद भी सरकारी नौकरी की गारंटी नहीं दी जा रही है. बैठक में प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री के सामने प्रस्ताव रखा था कि वे 2 वर्ष तक सरकारी नौकरी करने के लिए तैयार हैं. कोई सरकारी नौकरी करने से इंकार करता है तो उस पर 10 लाख रुपए की पेनल्टी लगाई जाए. पंकज बिट्टू ने कहा कि यह पॉलिसी डॉक्टरों की कमी के लिए नहीं है. इस पॉलिसी के जरिए सरकार मेडिकल एजुकेशन को बर्बाद करना चाहती है. पहले से ही सरकारी मेडिकल कॉलेजों में बढ़ी हुई फीस भर रहे हैं. इस पर पहले 40 लाख और अब 30 लाख रुपए की बॉन्ड पॉलिसी लागू की जा रही है. इसलिए तय किया गया है कि यह संघर्ष (protest against bond policy will continue) अभी जारी रहेगा.
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गौरतलब है कि पीजीआईएमएस रोहतक (PGIMS Rohtak) में बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ 1 नवंबर से आंदोलन की शुरुआत हुई थी. वहीं 2 नवंबर से पीजीआईएमएस में डीन व डायरेक्टर ऑफिस के सामने धरना दिया गया. आंदोलन को विभिन्न संगठनों का समर्थन मिल रहा है. 19 नवंबर से इस आंदोलन में पीजीआईएमएस के रेजीडेंट डॉक्टर्स भी शामिल हो गए. शुरुआत एक घंटे तक ओपीडी में हड़ताल कर की गई थी. इसके बाद 22 नवंबर को 2 घंटे, 23 नवंबर को 3 घंटे और 24 नवंबर को ओपीडी में 4 घंटे तक हड़ताल की गई.
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इसके बाद रेजीडेंट डॉक्टर्स ने इमरजेंसी सेवाओं का भी बहिष्कार कर दिया. जिसके बाद सीनियर डॉक्टरों पर जिम्मेदारी आ गई. पीजीआईएमएस में ओपीडी सेवाएं पूर्ण रूप से बंद हैं. इमरजेंसी में सीनियर डॉक्टर्स ने जिम्मेदारी संभाल रखी है. इस बीच 25 नवंबर व 27 नवंबर को एमबीबीएस छात्रों और रेजीडेंट डॉक्टर्स के प्रतिनिधिमंडल की स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के साथ चंडीगढ़ में वार्ता हुई. आंदोलनकारियों को मुख्यमंत्री की ओर से 28 नवंबर को चंडीगढ़ में वार्ता का निमंत्रण मिला. वार्ता के लिए 30 नवंबर को दोपहर 2 बजे का समय निर्धारित किया गया। पीजीआईएमएस रोहतक से 17 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री के साथ वार्ता के लिए गया था.