रोहतक: हरियाणा सरकार की बॉंड पॉलिसी के खिलाफ (Haryana Government Bond Policy) एमबीबीएस छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है. इस बीच 2018 और 2019 बैच के छात्रों ने क्लास रिज्वाइन करने का फैसला किया है. छात्रों ने इस बारे में पीजीआईएमएस के डायरेक्टर डा. एसएस लोहचब को पत्र लिखकर अवगत करा दिया गया है. लेकिन साथ ही इन विद्यार्थियों का कहना है कि आंदोलन को उनका समर्थन जारी रहेगी. जिसे लेकर किसी प्रकार का कोई मतभेद नहीं है.
30 नवंबर को एमबीबीएस विद्यार्थियों व रेजीडेंट डॉक्टर्स की बांड पॉलिसी को लेकर चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से वार्ता हुई. इस वार्ता के बाद मुख्यमंत्री ने बांड राशि 40 लाख रूपए की बजाय 30 लाख रूपए और समय सीमा 7 साल की बजाय 5 साल करने की घोषणा की थी. लेकिन एमबीबीएस विद्यार्थियों ने उसी दौरान इस घोषणा को नकार कर आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया था.
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अगले दिन एक दिसंबर की रात को पीजीआईएमएस के रेजीडेंट डॉक्टर्स ने भी अपनी हड़ताल वापस ले ली थी और 2 दिसंबर से काम पर लौट आए थे. लेकिन वर्ष 2018 से 2022 बैच के विद्यार्थी धरने पर बैठे थे. अब वर्ष 2018 और 2019 बैच के विद्यार्थियों ने भी क्लास लगाने का निर्णय लिया है. गौरतलब है कि बांड पॉलिसी के खिलाफ पीजीआईएमएस में एक नवंबर से आंदोलन चल रहा है. 24 नवंबर से एमबीबीएस विद्यार्थी क्रमिक भूख हड़तालप पर बैठे हैं. प्रदेश सरकार ने वर्ष 2020 से बांड पॉलिसी लागू की है.
बांड पॉलिसी के खिलाफ एमबीबीएस विद्यार्थियों ने गुरुवार को कैंडल मार्च भी निकाला. इस मार्च के जरिए प्रदेश सरकार के प्रति रोष प्रकट किया गया. कैंडल मार्च की शुरूआत पीजीआईएमएस के डायरेक्टर ऑफिस के सामने से हुई और मेडिकल मोड़ पर समापन हुआ.
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