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MBBS के छात्रों ने ठुकराई सीएम की घोषणा, बोले- बॉन्ड पॉलिसी खत्म नहीं होने तक जारी रहेगा प्रदर्शन - एमबीबीएस छात्रों के लिए बॉन्ड पॉलिसी

हरियाणा सरकार ने सूबे के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन को लेकर एमबीबीएस छात्रों के लिए बॉन्ड पॉलिसी को अनिवार्य किया था. हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इसमें बदलाव भी किया. इसके बाद भी छात्र रोहतक पीजीआई में हड़ताल (mbbs students protest in pgims) कर रहे हैं.

mbbs students protest in pgims regarding mbbs bond policy haryana
mbbs students protest in pgims regarding mbbs bond policy haryana
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Published : Nov 3, 2022, 7:51 PM IST

रोहतक: पीजीआईएमएस में एमबीबीएस छात्रों का आंदोलन (mbbs students protest in pgims) जारी है. छात्रों ने साफ किया है कि जब तक सरकार बॉन्ड पॉलिसी को पूरी तरह से खत्म नहीं करेगी, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा. छात्रों के इस ऐलान से हेल्थ यूनिवर्सिटी प्रशासन मुश्किल में आ गया है, क्योंकि 5 नवंबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय यहां दीक्षांत समारोह में शिरकत करेंगे. इस दौरान छात्र सीएम का विरोध कर सकते हैं.

दरअसल हरियाणा सरकार ने सूबे के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस छात्रों के लिए बॉन्ड पॉलिसी (mbbs bond policy haryana) को अनिवार्य किया था. जिसके तहत दाखिले के लिए छात्र को सालाना 10 लाख रुपये देने की बात कही गई थी. पीजीआईएमएस के एमबीबीएस छात्र लगातार सरकार की इस पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं. जिसके चलते हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने घोषणा की थी कि एमबीबीएस के छात्रों के अब बॉन्ड राशि का भुगतान नहीं करना होगा. अब विद्यार्थियों को कॉलेज और संबंधित बैंक के साथ राशि के बॉन्ड-कम-ऋण एग्रीमेंट करना होगा.

अगर एमबीबीएस, एमडी पास-आउट विद्यार्थी डॉक्टर के रूप में राज्य सरकार की सेवा में शामिल होना चाहते हैं और सात साल की निर्दिष्ट अवधि के लिए काम करते हैं, तो राज्य सरकार बॉन्ड राशि का वित्तपोषण करेगी. जो छात्र हरियाणा में डॉक्टर के रूप में सरकारी सेवा में शामिल नहीं होना चाहते, उन्हें उक्त राशि का भुगतान स्वयं करना होगा. ऐसे विद्यार्थियों की संबंधित स्नातक डिग्री उम्मीदवारों द्वारा सभी वित्तीय देनदारी पूरी करने के बाद ही जारी की जाएगी. सरकार ने ये कदम इसलिए उठाया है ताकि एमबीबीएस करने के बाद छात्र सरकारी अस्पतालों में काम कर सकें और राज्य के लोगों को अपनी सेवाएं दे सकें.

मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद वीरवार को एमबीबीएस के छात्र पीजीआईएमएस परिसर में डटे रहे और मुख्यमंत्री की घोषणा को सिरे से नकार दिया. इस बीच पीजीआईएमएस निदेशक ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों के प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिए बुलाया. जिसमें 15 सदस्य शामिल हुए. करीब एक घंटे तक चली बातचीत में पॉलिसी को लेकर जमकर बहस हुई, लेकिन कोई भी नतीजा नहीं निकला. आंदोलनकारी विद्यार्थियों का साफ तौर पर कहना था कि उन्हें किसी भी प्रकार की पॉलिसी या एग्रीमेंट नहीं चाहिए. उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकारी पूर्ण रूप से पॉलिसी वापस नहीं लेती.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में MBBS छात्रों को नहीं देनी होगी बॉन्ड राशि- सीएम खट्टर

इसके बाद विद्यार्थी दोबारा धरने पर जाकर बैठ गए. पंडित भगवत दयाल शर्मा यूनिवर्सिटी (pandit bhagwat dayal sharma university) ऑफ हेल्थ साइंसिस में एक दिन पहले एमबीबीएस में प्रवेश के लिए काउंसलिंग शुरू हुई है. वीरवार को यूनिवर्सिटी ने काउंसलिंग रद्द कर दी. यूनिवर्सिटी के डीन एकेडमिक अफेयर्स कम एडमिशन कमेटी चेयरमैन डॉक्टर अशोक चौहान ने इस संबंध में पत्र जारी किया है. जिसमें प्रशासनिक कारणों से दाखिले के पहले राउंड के लिए दस्तावेजों की जांच का शेड्यूल रद्द करने की बात कही गई है. काउंसलिंग में सरकारी व एडेड मेडिकल कॉलेज, डेंटल एजुकेशन इंस्टीट्यूट, निजी विवि के एमबीबीएस, बीडीएस कोर्स शामिल थे. जल्दी ही नया शेड्यूल विवि की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा.

रोहतक: पीजीआईएमएस में एमबीबीएस छात्रों का आंदोलन (mbbs students protest in pgims) जारी है. छात्रों ने साफ किया है कि जब तक सरकार बॉन्ड पॉलिसी को पूरी तरह से खत्म नहीं करेगी, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा. छात्रों के इस ऐलान से हेल्थ यूनिवर्सिटी प्रशासन मुश्किल में आ गया है, क्योंकि 5 नवंबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय यहां दीक्षांत समारोह में शिरकत करेंगे. इस दौरान छात्र सीएम का विरोध कर सकते हैं.

दरअसल हरियाणा सरकार ने सूबे के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस छात्रों के लिए बॉन्ड पॉलिसी (mbbs bond policy haryana) को अनिवार्य किया था. जिसके तहत दाखिले के लिए छात्र को सालाना 10 लाख रुपये देने की बात कही गई थी. पीजीआईएमएस के एमबीबीएस छात्र लगातार सरकार की इस पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं. जिसके चलते हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने घोषणा की थी कि एमबीबीएस के छात्रों के अब बॉन्ड राशि का भुगतान नहीं करना होगा. अब विद्यार्थियों को कॉलेज और संबंधित बैंक के साथ राशि के बॉन्ड-कम-ऋण एग्रीमेंट करना होगा.

अगर एमबीबीएस, एमडी पास-आउट विद्यार्थी डॉक्टर के रूप में राज्य सरकार की सेवा में शामिल होना चाहते हैं और सात साल की निर्दिष्ट अवधि के लिए काम करते हैं, तो राज्य सरकार बॉन्ड राशि का वित्तपोषण करेगी. जो छात्र हरियाणा में डॉक्टर के रूप में सरकारी सेवा में शामिल नहीं होना चाहते, उन्हें उक्त राशि का भुगतान स्वयं करना होगा. ऐसे विद्यार्थियों की संबंधित स्नातक डिग्री उम्मीदवारों द्वारा सभी वित्तीय देनदारी पूरी करने के बाद ही जारी की जाएगी. सरकार ने ये कदम इसलिए उठाया है ताकि एमबीबीएस करने के बाद छात्र सरकारी अस्पतालों में काम कर सकें और राज्य के लोगों को अपनी सेवाएं दे सकें.

मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद वीरवार को एमबीबीएस के छात्र पीजीआईएमएस परिसर में डटे रहे और मुख्यमंत्री की घोषणा को सिरे से नकार दिया. इस बीच पीजीआईएमएस निदेशक ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों के प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिए बुलाया. जिसमें 15 सदस्य शामिल हुए. करीब एक घंटे तक चली बातचीत में पॉलिसी को लेकर जमकर बहस हुई, लेकिन कोई भी नतीजा नहीं निकला. आंदोलनकारी विद्यार्थियों का साफ तौर पर कहना था कि उन्हें किसी भी प्रकार की पॉलिसी या एग्रीमेंट नहीं चाहिए. उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकारी पूर्ण रूप से पॉलिसी वापस नहीं लेती.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में MBBS छात्रों को नहीं देनी होगी बॉन्ड राशि- सीएम खट्टर

इसके बाद विद्यार्थी दोबारा धरने पर जाकर बैठ गए. पंडित भगवत दयाल शर्मा यूनिवर्सिटी (pandit bhagwat dayal sharma university) ऑफ हेल्थ साइंसिस में एक दिन पहले एमबीबीएस में प्रवेश के लिए काउंसलिंग शुरू हुई है. वीरवार को यूनिवर्सिटी ने काउंसलिंग रद्द कर दी. यूनिवर्सिटी के डीन एकेडमिक अफेयर्स कम एडमिशन कमेटी चेयरमैन डॉक्टर अशोक चौहान ने इस संबंध में पत्र जारी किया है. जिसमें प्रशासनिक कारणों से दाखिले के पहले राउंड के लिए दस्तावेजों की जांच का शेड्यूल रद्द करने की बात कही गई है. काउंसलिंग में सरकारी व एडेड मेडिकल कॉलेज, डेंटल एजुकेशन इंस्टीट्यूट, निजी विवि के एमबीबीएस, बीडीएस कोर्स शामिल थे. जल्दी ही नया शेड्यूल विवि की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा.

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