रोहतक: पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कृष्णमूर्ति हुड्डा ने रोहतक के जसिया गांव में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ जनसभा की. इस दौरान कृष्ण मूर्ति हुड्डा ने भूपेंद्र हुड्डा और उनके परिवार को अवसरवादी बताया. कृष्ण मूर्ति हुड्डा ने कहा कि साल 1977 में कांग्रेस पार्टी पहली बार केंद्र और हरियाणा की सत्ता से बाहर हुई. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के वफादार कहलाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस को छोड़ कर 'रेड्डी कांग्रेस' में चले गए थे.
तब ये सोचा कि अब कांग्रेस कभी सत्ता में नहीं आएगी. लेकिन साल 1980 में इंदिरा गांधी दोबारा सत्ता में आ गई, तो गुलाम नबी आजाद के साथ से वो पूरे परिवार समेत दोबारा कांग्रेस में आ गए. ये उनके अवसरवाद का सबूत है. पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा जिसके साथ रहे, उन्हें ही धोखा दिया है. पिछले दिनों कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ जी-23 बनाई थी, लेकिन जब कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री को हरियाणा में पूरी बागडोर सौंप दी.
तो उन्होंने जी-23 के सभी नेताओं को छोड़ दिया. पूर्व मुख्यमंत्री के कारण गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस छोड़नी पड़ी, बाकि जी-23 के नेता भी पूर्व मुख्यमंत्री के पलटी मारने से परेशान हैं. कृष्णमूर्ति हुड्डा ने कहा कि करीब 10 साल तक मुख्यमंत्री रहते हुए भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने विधानसभा क्षेत्र में भी विकास कार्य नहीं करवा पाए. क्षेत्र के लोगों को सही ढंग से रोजगार नहीं मिला. जो नेता मुख्यमंत्री बनने के बाद खुद के चुनाव क्षेत्र को सिंचाई के लिए पानी नहीं दे पाया, वो अब पूरे प्रदेश का विकास कैसे करेगा. इस जनसभा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राज्यसभा सांसद पुत्र दीपेंद्र हुड्डा के खिलाफ भी प्रस्ताव पास किया गया.