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आजाद हिंद फौज के सिपाही उमराव सिंह का निधन, रोहतक के थे एकमात्र जीवित स्वतंत्रता सेनानी

रोहतक में रविवार को आजाद हिंद फौज के सिपाही रहे उमराव सिंह का 99 साल की उम्र में निधन (Freedom fighter Umrao Singh dies) हो गया. उमराव सिंह जिले के एकमात्र जीवित स्वतंत्रता सेनानी थे.

Freedom fighter Umrao Singh dies
Freedom fighter Umrao Singh dies
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Published : Jan 16, 2022, 7:33 PM IST

रोहतक: रविवार को रोहतक जिले के एकमात्र जीवित स्वतंत्रता सेनानी का निधन हो गया. उमराव सिंह ने 99 साल की उम्र में अपना देह त्याग (Freedom fighter Umrao Singh dies) दिया. उमराव सिंह के निधन के बाद उनके पैतृक गांव निगाना में उनका अंतिम संस्कार किया गया. स्वतंत्रता सेनानी के निधन पर एसडीएम राकेश सैनी ने श्रद्धासुमन अर्पित किये. वहीं पूरे गांव के लोगों ने उमराव सिंह अमर रहे के उद्घोष के साथ उमराव के पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई दी.

बता दें कि रोहतक के निगाना गांव के उमराव सिंह 1940 में अंग्रेजों की फौज में भर्ती हुए थे. उस समय अंग्रेजों और जापानियों के बीच में युद्ध चला हुआ था. जिसके चलते उन्हें ट्रेनिंग के बाद जापानियों से युद्ध करने के लिए सिंगापुर भेज दिया गया. अंग्रेज, जापानियों से युद्ध हार गए और उमराव सिंह को बंदी बना लिया गया. लेकिन कुछ महीने बाद सुभाष चंद्र बोस के चाचा रासबिहारी बोस भारतीय जवानों से मिलने के लिए आए और उन्हें देश के प्रति प्रेरित किया. उसके बाद सुभाष चंद्र बोस आए और उमराव सिंह आजाद हिंद फौज में भर्ती (Azad Hind Fauj soldier Umrao singh) हो गए. उमराव सिंह ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को करीब से देखा है.

Freedom fighter Umrao Singh dies
स्वतंत्रता सेनानी उमराव सिंह

ये भी पढ़ें- हरियाणा के जवान की कश्मीर में ड्यूटी के दौरान कोरोना से मौत, बेटियों ने दी मुखाग्नि

उमराव सिंह बताते थे कि चाचा रासबिहारी बोस की भी देश की आजादी में अहम भागीदारी थी. सबसे पहले रासबिहारी बोस ही आए थे और उन्होंने ही भारतीय जवानों को देश को आजाद कराने के लिए प्रेरित किया था. जिसके बाद से उमराव सिंह ने आजाद हिंद फौज के सिपाही के रूप में देश की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी थी. इसी के चलते 9 अगस्त 2020 को भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उमराव सिंह को सम्मान पत्र भेजा था.

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रोहतक: रविवार को रोहतक जिले के एकमात्र जीवित स्वतंत्रता सेनानी का निधन हो गया. उमराव सिंह ने 99 साल की उम्र में अपना देह त्याग (Freedom fighter Umrao Singh dies) दिया. उमराव सिंह के निधन के बाद उनके पैतृक गांव निगाना में उनका अंतिम संस्कार किया गया. स्वतंत्रता सेनानी के निधन पर एसडीएम राकेश सैनी ने श्रद्धासुमन अर्पित किये. वहीं पूरे गांव के लोगों ने उमराव सिंह अमर रहे के उद्घोष के साथ उमराव के पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई दी.

बता दें कि रोहतक के निगाना गांव के उमराव सिंह 1940 में अंग्रेजों की फौज में भर्ती हुए थे. उस समय अंग्रेजों और जापानियों के बीच में युद्ध चला हुआ था. जिसके चलते उन्हें ट्रेनिंग के बाद जापानियों से युद्ध करने के लिए सिंगापुर भेज दिया गया. अंग्रेज, जापानियों से युद्ध हार गए और उमराव सिंह को बंदी बना लिया गया. लेकिन कुछ महीने बाद सुभाष चंद्र बोस के चाचा रासबिहारी बोस भारतीय जवानों से मिलने के लिए आए और उन्हें देश के प्रति प्रेरित किया. उसके बाद सुभाष चंद्र बोस आए और उमराव सिंह आजाद हिंद फौज में भर्ती (Azad Hind Fauj soldier Umrao singh) हो गए. उमराव सिंह ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को करीब से देखा है.

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स्वतंत्रता सेनानी उमराव सिंह

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उमराव सिंह बताते थे कि चाचा रासबिहारी बोस की भी देश की आजादी में अहम भागीदारी थी. सबसे पहले रासबिहारी बोस ही आए थे और उन्होंने ही भारतीय जवानों को देश को आजाद कराने के लिए प्रेरित किया था. जिसके बाद से उमराव सिंह ने आजाद हिंद फौज के सिपाही के रूप में देश की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी थी. इसी के चलते 9 अगस्त 2020 को भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उमराव सिंह को सम्मान पत्र भेजा था.

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