रोहतक: किसान आंदोलन का सामना कर रही सरकार को एक और बड़ा झटका लगा है. बीजेपी के पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने किसान आंदोलन को समर्थन देने का फैसला किया है. चौधरी बीरेंद्र सिंह इस फैसले का ऐलान रोहतक में एक प्रेस वार्ता कर किया है.
प्रेसवार्ता के दौरान चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने के लिए 1966 में पहली बार एमएसपी आई थी. वो तीस साल तक किसानों को समृद्ध करता रहा, लेकिन 15-20 साल से उस वृद्धी में ठहराव हो गया. इसके लिए कुछ बदलाव की जरूरत है. आज किसान आर्थिक रूप से वृद्धी चाहता है.
आज किसानों को शंका है कि मेरी आर्थिक स्थिति बिगड़ ना जाए, इसलिए वो चाहता है कि सरकार उससे बात करे. ये असंभव नहीं है, ये चीज हो सकती है. चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि मेरा फर्ज है कि मैं किसानों के साथ खड़ा रहूं. इसलिए मैंने अपने साथियों के साथ फैसला लिया है कि हम अब किसानों के साथ इस धरने को समर्थन दें और किसानों को सहयोग करें.
कैसे करेंगे विरोध?
चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि वो दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में सांकेतिक धरने देंगे. आसपास के किसानों को जागरुक करेंगे. चौधरी छोटू राम के नाम से रोष प्रदर्शन करेंगे. उन्होंने कहा कि आज वक्त है कि किसानों को जागरुक करें.
इस शर्त के साथ करेंगे समर्थन
बीरेंद्र सिंह ने कहा कि इस लड़ाई में मैं आगे रहूंगा, पीछे कार्यकर्ता रहेंगे. जिन यूनियनों के नेतृत्व में वहां आंदोलन हो रहा है, वो समर्थन देंगे तभी मैं वहां पहुंचुंगा. उन्होंने इस दौरान ये भी कहा कि उन यूनियनों के नेता अगर मुझे ये कहेंगे कि आप आइए, लेकिन बोल नहीं सकते तो ऐसा नहीं हो सकता, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 49 साल कि राजनीति में मैंने बोलना सीखा है, अगर समर्थन दूंगा तो वहां बोलूंगा और लाव लश्कर के साथ सिंघु बॉर्डर पर पहुंचुंगा.
क्या बृजेंद्र सिंह इस्तीफा देंगे?
जब चौधरी बीरेंद्र सिंह से सवाल किया गया कि आप चौधरी छोटू राम के बेटे हैं, जो किसानों के सबसे बड़े मसीहा माने जाते रहे हैं, अब सरकार के सामने आप खड़े हैं, आपके बेटे सरकार के सांसद हैं, तो क्या वो इस्तीफा देंगे. इस सवाल पर चौधरी बीरेंद्र सिंह ने खुद के फैसले को अपने बेटे से बिल्कुल अलग कर लिया. उन्होंने कहा कि पद पर रहना या नहीं रहना बृजेंद्र सिंह का अपना फैसला है. मैंने अपनी मर्जी से किसानों के साथ खड़े होने का फैसला किया है.
'अर्थव्यवस्था में किसानों की भागीदारी जरूरी'
किसानों का आर्थिक जगत में पकड़ करनी है तो किसानों का वैल्यू एडिशन हो और अर्थवयस्था में भागीदार बनाया जाए. उन्होंने उदाहरण दिया कि हरियाणा में बासमती चावल का एक्सपोर्ट चार हजार करोड़ का है, लेकिन किसान को तो वही दाम मिलता है जो परंपरागत रूप से मिलता रहता है, लेकिन वास्तव में जो लाभ है वो हरियाणा के 35-40 मिलर्स को ही मिलता है, ऐसे में किसानों की अर्थव्यस्था में भागीदारी तय होनी चाहिए.
'सार्थक बातचीत से निकल सकता है समाधान'
चौधरी बीरेंद्र सिंह ने इस प्रेसवार्ता के दौरान इस बात पर जोर दिया कि किसी समस्या का समाधान बातचीत से होता है, अभी वक्त है बातचीत हो और ये बातचीत निष्कर्ष के साथ होना चाहिए. उन्होंने कहा कि विश्वास ही सबसे बड़ा हथियार है. दोनों तरफ विश्वासभरी बातचीत पूरी समस्या का हल निकाल सकती है.
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