रोहतक: न्यायाधीश बनाना आसान नहीं है. बहुत मुश्किल है उस कुर्सी में बैठकर बिना किसी भेदभाव के न्याय करना और उससे भी ज्यादा मुश्किल है उस पद तक पहुंच पाना. आपने भी अक्सर उम्रदराज न्यायाधीशों को ही देखा होगा, लेकिन रोहतक जिले के महम के रहने वाले दीपक कुमार सिर्फ 21 साल की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के जज बन गए हैं. दीपक न्यायिक सेवा परीक्षा 2018 पास कर भारत के युवा जजों में से एक बन गए हैं.
महम के दीपक बने 21 साल में जज
महम चौबीसी के निंदाना गावं के रहने वाले दीपक कुमार ने राजस्थान न्यायपालिका में न्यायिक अधिकारी के 200 पदों में से 70 वां स्थान हासिल किया है. दीपक ने अपनी 12 वीं तक की पढ़ाई ग्रामीण परिवेश में रहकर एचडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल खेड़ी से की. बाद में उन्होंने वैश्य कॉलेज ऑफ लॉ से ग्रेजुएशन की.
निंदाना पहुंचने पर हुआ जोरदार स्वागत
महम पहुंचने पर दीपक कुमार का जोरदार स्वागत किया गया. दीपक कुमार की इस सफलता से ना सिर्फ निंदाना गावं बल्कि पूरे रोहतक में खुशी का माहौल है. दीपक ने अपनी इस कामयाबी का श्रय अपने माता-पिता समेत पूरे परिवार को दिया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश रहेगी की वो बिना किसी भेदभाव के लोगों को न्याय दिला सकें.
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राजस्थान के मयंक ने किया टॉप
बता दें, साल 2018 तक न्यायिक सेवा परिक्षाओं में आवेदन करने की न्यूनतम उम्र 23 साल थी. साल 2019 में राजस्थान हाई कोर्ट ने आवेदकों की आयु सीमा घटाकर 21 वर्ष कर दी थी. राजस्थान के 21 साल के मयंक ने राजस्थान न्यायिक सेवा भर्ती परीक्षा 2018 में टॉप किया है.