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हरियाणा का बेटा दीपक राजस्थान के लोगों को देगा न्याय! 21 साल की उम्र में बना जज - 21 साल की उम्र में बना जज

महम चौबीसी के निंदाना गावं के रहने वाले दीपक कुमार ने राजस्थान न्यायपालिका में न्यायिक अधिकारी के 200 पदों में से 70 वां स्थान हासिल किया है. दीपक ने अपनी 12 वीं तक की पढ़ाई ग्रामीण परिवेश में रहकर एचडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल खेड़ी से की. बाद में उन्होंने वैश्य कॉलेज ऑफ लॉ से ग्रेजुएशन की.

21 साल की उम्र में जज बने रोहतक के दीपक
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Published : Nov 22, 2019, 11:17 PM IST

रोहतक: न्यायाधीश बनाना आसान नहीं है. बहुत मुश्किल है उस कुर्सी में बैठकर बिना किसी भेदभाव के न्याय करना और उससे भी ज्यादा मुश्किल है उस पद तक पहुंच पाना. आपने भी अक्सर उम्रदराज न्यायाधीशों को ही देखा होगा, लेकिन रोहतक जिले के महम के रहने वाले दीपक कुमार सिर्फ 21 साल की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के जज बन गए हैं. दीपक न्यायिक सेवा परीक्षा 2018 पास कर भारत के युवा जजों में से एक बन गए हैं.

महम के दीपक बने 21 साल में जज
महम चौबीसी के निंदाना गावं के रहने वाले दीपक कुमार ने राजस्थान न्यायपालिका में न्यायिक अधिकारी के 200 पदों में से 70 वां स्थान हासिल किया है. दीपक ने अपनी 12 वीं तक की पढ़ाई ग्रामीण परिवेश में रहकर एचडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल खेड़ी से की. बाद में उन्होंने वैश्य कॉलेज ऑफ लॉ से ग्रेजुएशन की.

हरियाणा का बेटा दीपक राजस्थान के लोगों को देगा न्याय!

निंदाना पहुंचने पर हुआ जोरदार स्वागत
महम पहुंचने पर दीपक कुमार का जोरदार स्वागत किया गया. दीपक कुमार की इस सफलता से ना सिर्फ निंदाना गावं बल्कि पूरे रोहतक में खुशी का माहौल है. दीपक ने अपनी इस कामयाबी का श्रय अपने माता-पिता समेत पूरे परिवार को दिया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश रहेगी की वो बिना किसी भेदभाव के लोगों को न्याय दिला सकें.

ये भी पढ़िए: रेलवे में रिटायरमेंट के बाद नौकरी पर लगे कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, रेलवे वापस ले सकता है ये फैसला

राजस्थान के मयंक ने किया टॉप

बता दें, साल 2018 तक न्यायिक सेवा परिक्षाओं में आवेदन करने की न्यूनतम उम्र 23 साल थी. साल 2019 में राजस्थान हाई कोर्ट ने आवेदकों की आयु सीमा घटाकर 21 वर्ष कर दी थी. राजस्थान के 21 साल के मयंक ने राजस्थान न्यायिक सेवा भर्ती परीक्षा 2018 में टॉप किया है.

रोहतक: न्यायाधीश बनाना आसान नहीं है. बहुत मुश्किल है उस कुर्सी में बैठकर बिना किसी भेदभाव के न्याय करना और उससे भी ज्यादा मुश्किल है उस पद तक पहुंच पाना. आपने भी अक्सर उम्रदराज न्यायाधीशों को ही देखा होगा, लेकिन रोहतक जिले के महम के रहने वाले दीपक कुमार सिर्फ 21 साल की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के जज बन गए हैं. दीपक न्यायिक सेवा परीक्षा 2018 पास कर भारत के युवा जजों में से एक बन गए हैं.

महम के दीपक बने 21 साल में जज
महम चौबीसी के निंदाना गावं के रहने वाले दीपक कुमार ने राजस्थान न्यायपालिका में न्यायिक अधिकारी के 200 पदों में से 70 वां स्थान हासिल किया है. दीपक ने अपनी 12 वीं तक की पढ़ाई ग्रामीण परिवेश में रहकर एचडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल खेड़ी से की. बाद में उन्होंने वैश्य कॉलेज ऑफ लॉ से ग्रेजुएशन की.

हरियाणा का बेटा दीपक राजस्थान के लोगों को देगा न्याय!

निंदाना पहुंचने पर हुआ जोरदार स्वागत
महम पहुंचने पर दीपक कुमार का जोरदार स्वागत किया गया. दीपक कुमार की इस सफलता से ना सिर्फ निंदाना गावं बल्कि पूरे रोहतक में खुशी का माहौल है. दीपक ने अपनी इस कामयाबी का श्रय अपने माता-पिता समेत पूरे परिवार को दिया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश रहेगी की वो बिना किसी भेदभाव के लोगों को न्याय दिला सकें.

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राजस्थान के मयंक ने किया टॉप

बता दें, साल 2018 तक न्यायिक सेवा परिक्षाओं में आवेदन करने की न्यूनतम उम्र 23 साल थी. साल 2019 में राजस्थान हाई कोर्ट ने आवेदकों की आयु सीमा घटाकर 21 वर्ष कर दी थी. राजस्थान के 21 साल के मयंक ने राजस्थान न्यायिक सेवा भर्ती परीक्षा 2018 में टॉप किया है.

Intro:महम पहुचने पर दीपक कुमार का फूल मालाओं से जोरदार स्वागत किया गया जो लोग तरक्की प्राप्त करने के लिए मेहनत करने की ठान लेते हैं वे एक न एक दिन सफलता जरुर हासिल कर लेते हैं। सफलता करने के बाद इन्सान वह मंजिल प्राप्त कर लेता है जिसके वह अक्सर सपने देखा करता था। ऐसे ही मेहनत करने वाले 21 वर्षीय दीपक कुमार के सपनें आज राजस्थान न्यायपालिका में न्यायिक अधिकारी(सिविल जज) के पद पर चयन होने पर साकार हो गए हैं।

महम चौबीसी के निंदाना गावं के सुदेश कुमार जो कि त्रिपुरा में बीएसएफ में कार्यरत हैं, के इकलौते बेटे दीपक कुमार का चयन राजस्थान न्यायपालिका में न्यायिक अधिकारी(सिविल जज) के पद पर 200 पदों में से 70 वां स्थान प्राप्त किया है। दीपक कुमार का चयन रोहतक जिले में अकेले हुआ है।उल्लेखनीय है कि दीपक ने अपनी 12 वीं तक की पढ़ाई ग्रामीण परिवेश में रहकर एचडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल खेड़ी से प्राप्त करके वैश्य कालेज ऑफ ला रोहतक से शैक्षणिक स्तर 2014-2019 से एलएलबी की पढ़ाई उत्तीर्ण की है।

दीपक कुमार की सफलता पर निंदाना गावं में खुशी का माहौल है। दीपक ने बताया कि उसकी इस कामयाबी के पीछे सबसे पहले माता संतोष-पिता सुदेश कुमार, दादा रामफल-दादी सावित्री, साथी रविन्द्र नहरा एवं शिक्षक सौरभ गोयल अभी जिनका हाल ही में युपी में युपी न्यायपालिका में न्यायिक अधिकारी के पद पर चयन हुआ है, अत्यधिक योगदान रहा है ।
बाइट 03 दीपक कुमार नवनयुक्त जज
बाइट 04 सौरभ जज उतर प्रदेशBody:दो शॉट
बाइट दीपक कुमार नवयुक्त जज
बाइट सौरभ जज उतर प्रदेशConclusion:महम पहुचने पर दीपक कुमार का फूल मालाओं से जोरदार स्वागत किया गया जो लोग तरक्की प्राप्त करने के लिए मेहनत करने की ठान लेते हैं वे एक न एक दिन सफलता जरुर हासिल कर लेते हैं। सफलता करने के बाद इन्सान वह मंजिल प्राप्त कर लेता है जिसके वह अक्सर सपने देखा करता था। ऐसे ही मेहनत करने वाले 21 वर्षीय दीपक कुमार के सपनें आज राजस्थान न्यायपालिका में न्यायिक अधिकारी(सिविल जज) के पद पर चयन होने पर साकार हो गए हैं।

महम चौबीसी के निंदाना गावं के सुदेश कुमार जो कि त्रिपुरा में बीएसएफ में कार्यरत हैं, के इकलौते बेटे दीपक कुमार का चयन राजस्थान न्यायपालिका में न्यायिक अधिकारी(सिविल जज) के पद पर 200 पदों में से 70 वां स्थान प्राप्त किया है। दीपक कुमार का चयन रोहतक जिले में अकेले हुआ है।उल्लेखनीय है कि दीपक ने अपनी 12 वीं तक की पढ़ाई ग्रामीण परिवेश में रहकर एचडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल खेड़ी से प्राप्त करके वैश्य कालेज ऑफ ला रोहतक से शैक्षणिक स्तर 2014-2019 से एलएलबी की पढ़ाई उत्तीर्ण की है।

दीपक कुमार की सफलता पर निंदाना गावं में खुशी का माहौल है। दीपक ने बताया कि उसकी इस कामयाबी के पीछे सबसे पहले माता संतोष-पिता सुदेश कुमार, दादा रामफल-दादी सावित्री, साथी रविन्द्र नहरा एवं शिक्षक सौरभ गोयल अभी जिनका हाल ही में युपी में युपी न्यायपालिका में न्यायिक अधिकारी के पद पर चयन हुआ है, अत्यधिक योगदान रहा है ।
बाइट 03 दीपक कुमार नवनयुक्त जज
बाइट 04 सौरभ जज उतर प्रदेश
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