रोहतक: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) ने एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए लागू की गई बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ जारी आंदोलन के लिए प्रदेश सरकार के संवेदनहीन रवैये को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने इन छात्रों की मांग नहीं मानी तो वे विधानसभा सत्र के दौरान बॉन्ड पॉलिसी का मुद्दा उठाएंगे. छात्रों की जायज मांग मानने की बजाय सरकार उन्हें धमका रही है. छात्रों को हॉस्टल से निकालने और उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर वापस न लेने की धमकी दी जा रही है.
पूर्व सीएम हुड्डा ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि छात्रों के आंदोलन को 25 दिन हो चुके हैं लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है. अब छात्रों के समर्थन में रेजिडेंट डॉक्टर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ भी आ गया है. उनकी हड़ताल के चलते मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सरकार गतिरोध को खत्म करने की बजाए इसे लगातार बढ़ाने में लगी है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इन छात्रों, इनके अभिभावकों और हड़ताल की वजह से परेशानी झेल रहे मरीजों के दर्द को समझे और इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान निकाला जाए.
हरियाणा को मंजूर नहीं सख्त पॉलिसी: देश के किसी भी राज्य में हरियाणा जैसी सख्त बॉन्ड पॉलिसी (Bond Policy In haryana) लागू नहीं है. देश के 10 राज्यों में ऐसी कोई पॉलिसी लागू नहीं है. जिन 17 राज्यों ने बॉन्ड पॉलिसी को लागू किया है, उन्होंने अपने छात्रों को सरकारी नौकरी की भी गारंटी दी है. सभी राज्यों में बॉन्ड की रकम और अवधि हरियाणा से कम है. इतना ही नहीं लगभग सभी राज्यों में बॉन्ड सरकार और छात्रों के बीच है. जबकि हरियाणा में बैंक से लोन लेने का प्रावधान रखा गया है.
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बड़ा वर्ग होगा मेडिकल शिक्षा से वंचित: पूर्व सीएम हुड्डा ने कहा कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में बॉन्ड और 40 लाख रुपए की फीस लागू करने से गरीब व मध्यम वर्ग के बच्चे मेडिकल शिक्षा से वंचित हो जाएंगे. गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों तक मेडिकल शिक्षा का लाभ पहुंचाने के लिए कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में 4 मेडिकल कॉलेज स्थापित किए थे. एम्स और कैंसर इंस्टीट्यूट जैसे संस्थान भी कांग्रेस कार्यकाल के दौरान ही प्रदेश में आए. जबकि बीजेपी और बीजेपी-जेजेपी ने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान प्रदेश में एक भी नया मेडिकल शिक्षण संस्थान नहीं बनाया. ऐसे में पहले से स्थापित शिक्षण संस्थानों में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों (mbbs students) से किसी भी तरह की वसूली करने का मौजूदा सरकार को कोई नैतिक अधिकार नहीं है.