रोहतक: हरियाणा में आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स का प्रदर्शन 8 दिसंबर से लगातार जारी है. मंगलवार को 71 वें दिन भी आंगनबाड़ी वर्कर्स का प्रदर्शन जारी रहा. आंदोलन के 70 दिन होने पर तय कार्यक्रम के अनुसार आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर यूनियन हरियाणा के बैनर तले रोहतक में आंगनबाड़ी वर्कर्स (Aanganwadi workers Protest in Rohtak) ने धरना प्रदर्शन किया. वहीं आशा वर्कर्स ने 17 फरवरी को अंबाला में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के आवास का घेराव करने का ऐलान किया.
हरियाणा की जिला प्रधान अनीता भाली ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर और टीकाकरण के अभियान में भी आशा वर्कर्स अहम भूमिका अदा कर रही है. ऐसे में एस्मा से जुड़ा पत्र जारी कर प्रदेश सरकार आशा वर्कर्स का अपमान कर रही है. आशा वर्कर्स और एनएचएम कर्मचारियों के दम पर ही स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी देशभर में प्रशंसा पा रहे है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में सरकार ने आशा वर्कर्स के मानदेय मेंभरी कटौती कर दी थी.
वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कटौती को बहाल कराने की फाइल को रिजेक्ट कर दिया था. जिसके बाद से 20 हजार आशा वर्कर्स कटौती को बहाल कराने के लिए संघर्ष कर रही है. एक बार फिर मुख्यमंत्री की टेबल पर आशा वर्कर्स के मानदेय कटौती को बहाल कराने की फाइल पहुंच गई है. ऐसे में सरकार एस्मा के जरिए आशा वर्कर्स को डरा धमका कर चुप कराना चाहती है. इसके चलते 17 फरवरी को प्रदेश भर की आशा वर्कर्स अनिल ब्वॉज के आवास पहुंचकर प्रदर्शन करेगी.
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गौरतलब है कि आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स 8 दिसंबर से लगातार अपनी मांगों के समर्थन में रोजाना विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए. साथ ही जब तक कर्मचारी नहीं बनाया जाता, तब तक वर्करों को न्यूनतम वेतन 24 हजार व हेल्परों को 16 हजार रुपये दिए जाएं. इसके अलावा वर्ष 2018 में मानी गई मांगों को लागू किया जाए. महंगाई भत्ते की किश्तें जारी की जाएं. हालांकि विरोध को देखते हुए सरकार ने आंगनबाड़ी और हेल्पर्स को वार्ता के लिए आमंत्रित भी किया था. मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ वार्ता हुई, लेकिन वार्ता में कुछ हल नहीं निकला पाया. ऐसे में आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स ने मांगें नहीं माने जाने तक आंदोलन का ऐलान कर रखा है. आंगनबाड़ी यूनियन की नेता ने कहा कि गठबंधन सरकार उनकी मांगों के प्रति गंभीर नहीं है. इसलिए उनकी मांगों की अनदेखी की जा रही है.
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