रोहतकः दिवाली के बाद से दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे प्रदेश में फैले प्रदूषण से हर कोई परेशान नजर आ रहा है. आलम ये है कि पारली जलाने का आरोप झेल रहे किसानों को ही मास्क लगाकर खेत मे काम करना पड़ रहा है. किसान मुंह पर कपड़ा बांधकर खेत मे काम करते नजर आ रहे है.
सरकारों से किसानों के सवाल
वहीं सरकारों की ओर से लगातार हो रहे दोषारोपण के बाद अब किसानों ने ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है. किसान सवाल कर रहे हैं कि अब तक सत्ता में रही कांग्रेस और बीजेपी की सरकारों ने पराली को ठिकाने लगाने के इंतजाम क्यों नहीं किए.
किसानों का कहना है कि अब तक धान की पूरी तरह से कटाई भी नहीं हुई है तो पराली कहां से जलाएं.
वहीं प्रदूषण के चलते सांस लेने में लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. गौरतलब है कि रोहतक देश के प्रदूषित शहरों में से एक है. रोहतक में एयर क्वालिटी इंडेक्स 491 तक पहुंच गई है.
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कैसे होती है प्रदूषण के स्तर की माप ?
आपको बता दें कि एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई हवा में प्रदूषण मापने एक पैमाना होता है. 0 से 50 के बीच एक्यूआई होने पर हवा की क्वालिटी को अच्छा माना जाता है, जबकि 51 से 100 के बीच यह संतोषजनक माना जाता है. 101 से 200 के बीच मध्यम, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच बहुत खराब और 401 से 500 के बीच उसे गंभीर स्तर का समझा जाता है. ऐसी हवा में सांस लेना बहुत खतरनाक होता है. जो कि सेहत के लिए बेहद हानिकारक है.